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पेच में फंसी है भूदान की जमीन

मुंगेर : विनोवा भावे का भूदान आंदोलन कभी भूमिहीनों के लिए एक बड़ा सपना बन कर आया था. लेकिन सरकारी इच्छा शक्ति और लाल फीताशाही के कारण यह महत्वाकांक्षी अभियान ध्वस्त होकर रह गयी है. मुंगेर की बात करें तो यहां भूदान में मिली जमीन अनेक प्रकार के पेंच में फंसी हुई है. भूदान की […]

मुंगेर : विनोवा भावे का भूदान आंदोलन कभी भूमिहीनों के लिए एक बड़ा सपना बन कर आया था. लेकिन सरकारी इच्छा शक्ति और लाल फीताशाही के कारण यह महत्वाकांक्षी अभियान ध्वस्त होकर रह गयी है. मुंगेर की बात करें तो यहां भूदान में मिली जमीन अनेक प्रकार के पेंच में फंसी हुई है.

भूदान की जमीन का होगा सर्वे
भूदान कार्यालय की माने तो साढे पैंसठ एकड़ जमीन अवितरित है. जिसका वितरण भूमिहीनों के बीच करना है. लेकिन राजस्व विभाग द्वारा उस भूमि को संपुष्ट नहीं किया गया है. जिसके कारण भूमिहीनों का सपना ध्वस्त हो रहा है. जब विनोवा भावे ने भूदान आंदोलन के दौरान बिहार की यात्रा की थी तो उस दौरान लोगों ने नदी-नाले व पहाड़ की जमीन भी दान में दे दी और इस तरह की भूमि भी मुंगेर में है.
इस संदर्भ में जब बिहार भूदान यज्ञ कमेटी के अध्यक्ष शुभमूर्ति से पूछा गया तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि कोई भी भूमि अयोग्य नहीं होती है. ऐसे भूखंडों का सर्वेक्षण कराया जायेगा और उसके इस्तेमाल की कार्ययोजना बनायी जायेगी.
नहीं कट रही रसीद
भले ही सरकारी तौर पर भूदान के संदर्भ में जितनी भी घोषणा हो जाय. लेकिन हकीकत सरजमी से कोसों दूर है. मुंगेर के धरहरा प्रखंड के इनरवा टांड़ में 75 भूदान किसानों का जमीन पर कब्जा है. लेकिन उनका रसीद आज तक नहीं कटा है.
ब्योराहीन हैं अनेक दान पत्र
दरअसल में जमींदारों की कुटिल चाल के कारण दान के वक्त लोगों ने श्रेय लेने की तो कोशिश की लेकिन वे आंदोलन के प्रणेता को ठगने से भी बाज नहीं आये. अनेक दान पत्र ऐसे हैं जो ब्योराहीन है. इन पर जमीन के खाता-खसरा तक का ठीक से उल्लेख नहीं है. लगभग ऐसे 205 दान पत्र हैं जिसमें 58 एकड़ 9 डिसमिल जमीन है. लेकिन इसका कोई ब्योरा नहीं है.
वन विभाग और भूदान के बीच विवाद
धरहरा एवं अन्य क्षेत्रों में बहुत सारी जमीन ऐसी है जो भूदान की है. लेकिन उस पर दावा वन विभाग कर रहा है. इस बार धरहरा में सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में कई पंचायत प्रतिनिधियों ने इस संदर्भ में प्रशासनिक पदाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया था. मुंगेर में लगभग 200 एकड़ जमीन वन विभाग और भूदान यज्ञ कमेटी के विवाद में फंसी हुई है.
संसाधनों का है अभाव
जिला भूदान यज्ञ कमेटी के मंत्री भैरव मंडल का कहना है कि उनके पास संसाधनों का घोर अभाव है. न तो इसे प्रशिक्षित अमीन मुहैया कराया गया है और न ही अन्य संसाधन. यहां के कर्मचारी मानदेय पर काम करते हैं. लेकिन वह भी 15 माह से नहीं मिला है.

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