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एसपीओ की बहाली नहीं होने से पुलिस की सूचना तंत्र हो रही प्रभावित

एसपीओ की बहाली नहीं होने से पुलिस की सूचना तंत्र हो रही प्रभावित प्रतिनिधि. मुंगेर पुलिस की सूचना तंत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से हर जिले में एसपीओ ( स्पेशल पुलिस ऑफिसर) को बहाल करने की योजना बनायी गयी. ताकि उनकी सूचना पर नक्सल एवं अपराधियों की हर गतिविधि की जानकारी पुलिस को हो […]

एसपीओ की बहाली नहीं होने से पुलिस की सूचना तंत्र हो रही प्रभावित प्रतिनिधि. मुंगेर पुलिस की सूचना तंत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से हर जिले में एसपीओ ( स्पेशल पुलिस ऑफिसर) को बहाल करने की योजना बनायी गयी. ताकि उनकी सूचना पर नक्सल एवं अपराधियों की हर गतिविधि की जानकारी पुलिस को हो रहे और उसकी गिरफ्तारी अथवा उसके मंसूबों को नाकाम किया जा सके. लेकिन आज एसपीओ की बहाली उच्च अधिकारियों की पेच में फंस गयी है. जिसके कारण बहाली नहीं हो रही है. क्या है एसपीओ एसपीओ यानी स्पेशल पुलिस ऑफिसर. प्रति एसपीओ 3000 रुपये प्रति माह पारितोषिक के रुप में दिया जाता है. एसपीओ का मुख्य काम है कि वह अपने क्षेत्र में हर आपराधिक गतिविधियों की जानकारी पुलिस को उपलब्ध कराये. अपराधियों की गिरफ्तारी में स्पाई का काम करे. एसपीओ को प्रतिदिन थाना अथवा एसपी के दरवार में हाजरी भी नहीं लगानी है. ताकि उसकी गोपनीयता बरकरार रहे. मात्र 15 एसपीओ मुंगेर में कर रहे कार्य मुंगेर में 322 एसपीओ के पद स्वीकृत है. जिले के हर क्षेत्रों से वैसे लोगों को चुनना है जो पुलिस के लिए सूचना एकत्रित करने में कारगर साबित हो. ताकि पुलिस का सूचना तंत्र मजबूत रहे. मुंगेर में भी सैकड़ों एसपीओ को बहाल किया गया. लेकिन समय सीमा खत्म होने पर उसका नियोजन भी खत्म हो गया. वर्तमान समय में मात्र 15 एसपीओ मुंगेर जिले में कार्यरत है. इस मद में जिले को राशि भी आवंटित कर दिया गया है. लेकिन वह राशि यू ही बैंक में पड़ा हुआ है. कारगर साबित हो रहा था एसपीओ मुंगेर जिला पूरी एक ओर जहां पहाड़ और जंगल से घिरा हुआ है. वहीं बड़ा भाग दियारा क्षेत्र है. यह जिला जहां नक्सल प्रभावित है और नक्सलियों के आतंक से मुंगेर खौफजदा है. वहीं अपराध और अवैध आग्नेयास्त्र निर्माण व तस्करी के लिए प्रसिद्ध है. जिस पर विराम लगाने में एसपीओ की महत्वपूर्ण भूमिका रही. लेकिन वर्तमान समय में एसपीओ की बहाली नहीं होने से पुलिस का सूचना तंत्र कमजोर हो रहा है. जिससे पुलिस को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.कहां फंस गया हैं पेच बताया जाता है कि एसपीओ की बहाली रोस्टर के अनुसार किया जाना है. लेकिन पुलिस महानिरीक्षक (बजट) ने एक पत्र निकाल दिया कि एसपीओ वहीं बन सकता है जो अनुसूचित जन जाति यानि आदिवासी हो. वह व्यक्ति संबंधित थाना क्षेत्र का निवासी भी हो. अब समस्या उत्पन्न हो गयी है कि हर थाना क्षेत्र में कहां से आविदासी की खोज की जाय. मूलत: धरहरा, टेटियाबंबर, खड़गपुर में तो आदिवासी मिल जायेंगे. लेकिन दूसरे जगह तो आदिवासी हैं ही नहीं. माना जा रहा है कि आदिवासी और रोस्टर की पेच में एसपीओ की बहाली फंस गया है. जिलाधिकारी, डीआइजी एवं मुंगेर एसपी ने मुख्यालय से पत्राचार भी किया और मागदर्शन की मांग की. लेकिन अब तक मागदर्शन नहीं मिल पाया है. जिसके कारण एसपीओ की बहाली अधर में लटका हुआ है. मुंगेर नहीं पूरे बिहार में अटका है मामला कहा जाता है कि अनुसूचित जन जाति यानी आदिवासी को सिर्फ बहाल करने का आदेश जब से निकला है. उसके बाद मुंगेर ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में एसपीओ की बहाली ठप हो गयी है. मुख्यालय को इसमें संशोधन कर पुन: बहाली की प्रक्रिया प्रारंभ की जाय. तभी एसपीओ के पद भर सकते हैं. कहते हैं एसपी पुलिस अधीक्षक वरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि वर्तमान में यहां मात्र 15 एसपीओ कार्यरत हैं जबकि अन्य एसपीओ की बहाली को लेकर प्रक्रिया चल रही है.

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