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रतन टाटा के बयान पर कैट के बिहार चैप्टर ने जतायी असहमति

रतन टाटा के बयान पर कैट के बिहार चैप्टर ने जतायी असहमति प्रतिनिधि, मुंगेर कन्फेडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स बिहार चैप्टर के अध्यक्ष निर्मल कुमार जालान ने टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा के उस बयान पर असहमति जतायी है. जिसमें उन्होंने सीएसआर के तहत कंपनियों द्वारा अपने मुनाफे का कम से कम दो प्रतिशत […]

रतन टाटा के बयान पर कैट के बिहार चैप्टर ने जतायी असहमति प्रतिनिधि, मुंगेर कन्फेडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स बिहार चैप्टर के अध्यक्ष निर्मल कुमार जालान ने टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा के उस बयान पर असहमति जतायी है. जिसमें उन्होंने सीएसआर के तहत कंपनियों द्वारा अपने मुनाफे का कम से कम दो प्रतिशत सामाजिक कार्यों के लिए खर्च करने की बात कही गयी है. उन्होंने कहा है कि सीएसआर के तहत कंपनी का कानून में यह प्रावधान किया गया है कि लोक परोपकार की भावना के तहत कार्य किया जाना चाहिए. लेकिन हमारे देश में हजारों बड़ी कंपनियां कार्यरत है जो तिकरम लगा कर टैक्स को बचाने में लगी रहती है. उन्होंने कहा कि भारत में हजारों बड़ी कंपनियां हैं लेकिन शायद ही कोई उदाहरण मिलेगा. जिसमें फेसबुक प्रमुख मार्क जुगर वर्क की तरह अपनी 45 अरब डॉलर की संपत्ति बालिका शिक्षा के लिए स्वत: की प्रेरणा से दान दे दी हो. हमारे देश में तो कानून बनाने के बाद भी बड़ी कंपनियां तिकरम लगा कर कानून से बचने का उपाय खोजती रहती है. जिस स्थान से मुनाफा कमा रही है उस स्थान के सामाजिक विकास में अपनी रुचि तक नहीं दिखाती. उन्होंने कहा कि यह सच है कि टाटा समूह की कंपनियां पूर्व से ही सामाजिक सेवा में अच्छा योगदान करती रही है. जमशेदपुर शहर में कंपनी द्वारा कई स्कूल, कॉलेज, पार्क का संचालन किया जाता है और यह शहर प्रवेश करते ही स्वत: दिखलाई पड़ने लगता है. वहीं दूसरी ओर मुंगेर की एक मात्र कंपनी आइटीसी द्वारा मुंगेर के विकास को नजरअंदाज करना बड़े दु:ख का विषय है. इस शहर के अंदर प्रवेश करने वाले किसी भी व्यक्ति को यह महसूस नहीं होगा कि यहां आइटीसी की इतनी बड़ी फैक्टरी भी है.

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