जमालपुर : सातवां वित्त आयोग की सिफारिश अबतक की बुरी सिफारिश है. रेल में एफडीआइ नीति अपना कर रेल को बेचने का प्रयास किया जा रहा है. श्रमिकों के हक हुकूक को छीनने का कानून बनाया जा रहा है. मकान किराया भत्ता का प्रतिशत घटा दिया गया है.
एमएसीपी का लाभ अब परीक्षा के आधार पर देने का निर्णय लिया गया है. नई पेंशन नीति पर विचार नहीं किया गया है. ग्रेच्युटी की नयी सिफारिश से सिर्फ अधिकारियों को लाभ होगा. ये बातें इस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन के केंद्रीय महामंत्री सूर्येंदु कुमार बंधोपाध्याय ने शनिवार को यूनियन के कारखाना शाखा जमालपुर में कही.
वे यहां यूनियन बॉडी के एक आवश्यक बैठक को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सरकार विवेकदेव राय कमेटी की सिफारिशों को बैक डोर से लागू करना चाह रही है. इसके कारण रेल सहित अस्पताल, स्कूल, कॉलेज तथा आरपीएफ निजी क्षेत्रों में चला जायेगा.
उन्होंने सिफारिश में संशोधन करने की मांग करते हुए कहा कि प्राइस इंडेक्स के आधार पर वार्षिक वेतन वृद्धि 5 प्रतिशत किया जाये. विशिष्ट अतिथि तथा केंद्रीय अध्यक्षा चपला बनर्जी ने कहा कि भारतीय रेल में ढाई लाख पद रिक्त पड़े हुए हैं. जिसको भरने के लिए सरकार कुछ भी नहीं कर रही है. इसके कारण रेलकर्मियों पर बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है.
भारतीय रेल संकट की दौड़ से गुजर रही है. सातवां वेतन आयोग की सिफारिश केंद्रीय कर्मियों के साथ एक धोखा है, जिस पर संघर्ष निश्चित है. कहा कि महिला रेलकर्मियों को शिशु देखरेख में मिलने वाले अवकाश के दूसरे फेज में अस्सी प्रतिशत कटौती की घोषणा का यूनियन विरोध करती है.
इससे पहले केंद्रीय पदाधिकारियों के आगमन पर बाजे गाजे के साथ उनका स्वागत किया गया. वहीं बैठक की अध्यक्षता यहां के अध्यक्ष रामनगीना पासवान ने की. मौके पर शक्तिधर प्रसाद, वीरेंद्र कुमार यादव, ओम प्रकाश साह, सुरेंद्र विश्वकर्मा, शशिलिया टुडू, सरिता देवी, मीना देवी, रामानंद यादव, राजेंद्र यादव सहित यूनियन के बॉडी सदस्य उपस्थित थे.