मुंगेर : शहर के बेलन बाजार में गंगोत्री के तत्वावधान में सोमवार को एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसका विषय ‘ छठ महापर्व के गूढ़ार्थ ‘ था. संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ केके वाजपेयी ने की. विद्वान चिंतक डॉ शिवचंद्र प्रताप ने कहा कि जीवन की महानतम उपलब्धि का आमोध साधनोपाय है योग.
जिसे छठ पर्व के रूप में मनुष्य मात्र को समर्पित किया है. अध्यात्म विज्ञान की प्रयोगशाला है. उन्होंने कहा कि छठ पर्व प्रचलित है सूर्य की पूजा के लिए. यह पर्व मानवीय काया के भ्रमध्य में निहित छठे यौगिक चक्र आक्षा पर पहुंची हुई कुंडलिनी की पूजा है. मनुष्य मात्र के मेरूदंड के निचले हिस्से में कुंड की शक्ल वाले पेरीनियम में सोई पड़ी सर्पकार प्राण ऊर्जा जब आष्टांगिक योग, निष्काम कर्म अथवा भक्ति के फलस्वरूप जाग कर ऊपर उठती है और क्रमश:
स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत और विशुद्धि नामक चक्रों यानी ऊर्जा केंद्रों को पार कर भ्रमध्य में स्थित आक्षा नामक छठे चक्र पर जा पहुंचाती है. उन्होंने कहा कि गंगा या अन्य किसी भी पवित्र नदी या जलाशय में खड़े होकर पकवान, नारियल केला फूलों से सजे सूप समर्पित करते हुए छठ माई कही जाने वाली इस सर्पाकार कुंडलिनी को अर्ध्य अर्पित करे का पूजा विधान अर्थपूर्ण है. मौके पर शिवनंदन सलिल, आचार्य नारायण शर्मा, गुरुदयाल त्रिविक्रम, ज्योति कुमार सिन्हा, कैलाश राम मौजूद थे.