मुंगेर : गंगोत्री के तत्वावधान में रविवार को बेलन बाजार में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसका विषय ‘ डीएनए ग्रंथि और बिहार का चुनावी कुरुक्षेत्र ‘ था. अध्यक्षता डॉ केके वाजपेयी ने की. मुख्य वक्ता डॉ शिवचंद्र प्रताप ने कहा कि जब धृतराष्ट्र सत्ता को जबड़े से जकड़ कर बैठ जाता है,
तब दुशासन और दुर्योधन उसकी दो भुजाएं हो जाते हैं. अपने बिहार में ऐसा ही है मगर यहां ऐसा नहीं है. यहां धृतराष्ट्र, दुशासन और दुर्योधन तीनों एक ही है. थ्री इन वन का मामला है और अपना बिहार थ्री इन वन की प्रयोगशाला है. उन्होंने कहा कि डीएनए मनुष्य के आनुवांशिक गुणों का वाहक है. हमारे भारत में डीएनए ज्योतिष शास्त्र हुआ करता था जो बता देता है कि जन्म से पूर्व हम क्या थे, वर्तमान में क्या है और आगे की संभावनाएं क्या है.
मेडिकल डीएनए इंसान की आनुवांशिक सच्चाई उजागर करती है. जुबान झूठ बोल सकती है लेकिन शरीर की बेजुवान कोशिकाएं झूठ नहीं बोल सकती. डीएनए की बात सुन कर चिहुंक पड़ना और समूचे बिहार वासियों का डीएनए टेस्ट करवाने पर तुल जाना उनकी असलियत बयां कर देता है. दरअसल इसे नौटंकी बनाने के पीछे वोटों की तालियां बटोरना और सत्ता की बाजी मार लेना ही उद्देश्य है.
उन्होंने सुशासन बाबू की जन्म कुंडली के आधार पर कुछ महत्वपूर्ण भविष्यवाणियां की. डॉ केके वाजपेयी ने कहा कि यह बिहार का दुर्भाग्य है कि नेताओं ने इसे जाति, धर्म, वर्ग आदि खानों में बांट कर खंडित कर दिया है. मौके पर कैलाश राय रमण, ज्योति कुमार, आचार्य नारायण शर्मा, शिवनंदन सलिल, विजेता मुदगलपुरी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये.