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जयप्रकाश उद्यान : अतीत गौरवशाली, वर्तमान दु:खदायी

मुंगेर : पार्क शहर की शान होती है. स्वास्थ्य लाभ लेने एवं मनोरंजन के लिए लोग सुबह शाम पार्क में पहुंचते हैं. लेकिन जब पार्क ही बदहाल हो तो स्वास्थ्य लाभ कहां से मिलेगा. प्रभात खबर ने मुंगेर में पार्कों की स्थिति पर पड़ताल की. प्रभात खबर की टीम सोमवार को मुंगेर के ऐतिहासिक ब्रिटिशकालीन […]

मुंगेर : पार्क शहर की शान होती है. स्वास्थ्य लाभ लेने एवं मनोरंजन के लिए लोग सुबह शाम पार्क में पहुंचते हैं. लेकिन जब पार्क ही बदहाल हो तो स्वास्थ्य लाभ कहां से मिलेगा. प्रभात खबर ने मुंगेर में पार्कों की स्थिति पर पड़ताल की. प्रभात खबर की टीम सोमवार को मुंगेर के ऐतिहासिक ब्रिटिशकालीन पार्क जयप्रकाश उद्यान का जायजा लिया.

इस पार्क का अतीत जितना गौरवशाली रहा है वर्तमान उतना ही दु:खदायी है. जयप्रकाश उद्यान को कई नामों से जाना जाता है. इसे स्थानीय लोग चिडि़या खाना भी कहते हैं. लगभग साढे पांच एकड़ में यह पार्क फैला हुआ है. बैठने के लिए पत्थर की सीट लगी है जो अब टूट-फूट चुका है. लकड़ी बेंच है लेकिन वह भी जर्जर हालत में है.

लाइट की व्यवस्था तो है लेकिन उसमें दर्जनों लाइट रखरखाव के अभाव में अब नहीं जल रही. एक समरसेबल के सहारे पार्क में सिंचाई, पेयजल एवं शौचालय की व्यवस्था संचालित होती है. 1978 में वन विभाग के हवाले पार्कब्रिटिश काल में ही इस पार्क की स्थापना की गयी थी. उस समय लोग कंपनी गार्डन के नाम से जानते थे.

आजादी के बाद नगर परिषद के हवाले यह पार्क को किया गया. लेकिन जब पार्क बदहाल हो गया तो प्रशासनिक स्तर पर वर्ष 1978 में इस पार्क को वन विभाग के हवाले कर दिया गया. विभाग द्वारा यहां गार्डन लगाया गया और पार्क का नाम जय प्रकाश उद्यान रखा गया. तब से आज तक यह पार्क वन विभाग की देखरेख में चल रहा है. पहले था चिडि़या खाना पार्क में चिडि़या खाना भी खोला गया. जहां कभी हीरन, जेब्रा, नीलगाय, उदविलाव, शाहिल, हंस, वरसिंहा, लकड़बग्गा, मोर, भालू, तोता जैसे जानवर व पक्षी रहते थे. यहां रोज देखने वालों की भीड़ लगी रहती थी. लेकिन समय के साथ सब कुछ खत्म हो गया.

अब मात्र यह जय प्रकाश उद्यान के नाम से ही जाना जाने लगा. लाखों की लागत से हुआ जीर्णोद्धार वर्ष 2009 में बदहाल जयप्रकाश उद्यान के जीर्णोद्धार की योजना बनायी गयी. 39 लाख की लागत से पार्क की चहारदीवारी का निर्माण कराया गया. साथ ही 20 लाख की लागत से इलेक्ट्रिक व्यवस्था सुदृढ़ की गयी. बड़े-बड़े लाइट लगाये गये.

पार्क के चारों और वायरिंग व्यवस्था की गयी. लेकिन रखरखाव के अभाव में यह भी दम तोड़ने लगा है. प्रयोग में नहीं है शौचालय व यूरिनल जयप्रकाश उद्यान में रोजाना 500 से अधिक लोगों का आना-जाना होता है. लेकिन न तो उनके लिए पेयजल की समुचित व्यवस्था है और न ही शौचालय की. गार्डन में दो रूम का शौचालय बना हुआ है जबकि एक यूरिनल है. लेकिन शौचालय की बदहाल स्थिति के कारण लोग उसका उपयोग नहीं के बराबर करते हैं. 15 कर्मी हैं गार्डन में तैनात गार्डन के रखरखाव के लिए 15 कर्मचारी तैनात किये गये है. जिसमें 1 फोरेस्टर, 1 सिपाही, 2 रात्रि प्रहरी, 12 मजदूर है. उसी में माली, झाड़ूकश भी शामिल है.

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