मुंगेर : शारदीय नवरात्र के दस दिवसीय आस्था, भक्ति व श्रद्धा के साथ लोगों ने दुर्गापूजा मनाया और शुक्रवार को नम आंखों से मां देवी दुर्गा की विदाई दी गयी.
पूरा शहर जय मां दुर्गा के जयघोष से जहां गूंजता रहा. वहीं विसर्जन शोभायात्रा में श्रद्धालु नर-नारियों का सैलाब उमड़ पड़ा. सभी देवियों को पूरे विधि विधान के साथ उत्तरवाहिनी गंगा तट सोझीघाट में मां गंगा में विसर्जित किया गया. दुर्गा पूजा के विजयादशमी की रात गुरुवार को शहर के विभिन्न पूजा पंडालों से मां दुर्गा की प्रतिमा को निकाला गया.
सर्वप्रथम शादीपुर स्थित बड़ी मां दुर्गा की प्रतिमा को मंदिर से निकाली गयी. फिर छोटी मां दुर्गा व बड़ी मां काली की प्रतिमा निकली. कौड़ा मैदान में बड़ी मां व छोटी मां दुर्गा एवं बड़ी मां काली व छोटी मां काली के मिलन के बाद विसर्जन शोभायात्रा निकली. रात भर मां दुर्गा की प्रतिमाओं को नगर भ्रमण कराया गया.
इस मौके पर अखाड़ा समिति के जांबाजों ने अपने अद्भुत करतब से लोगों को आकर्षित किया. सभी प्रतिमाओं को टाउन हॉल के समीप बड़ा महावीर स्थान लाया गया. जहां मां की आरती की गयी. फिर मां के जयकारा के साथ प्रतिमाओं को भगत सिंह चौक होते हुए सोझी घाट गंगा तट ले जाकर विसर्जित किया गया. विसर्जन शोभा यात्रा में हजारों नर-नारी शामिल हुए.
जिन्होंने मां के दिव्य रूप का अंतिम दर्शन कर अपनी सुख समृद्धि की कामना की. लोग मां के एक झलक पाने के लिए बेताब थे. —————————बॉक्स————————-32 कहारों के कंधे पर उठी मां की डोली मुंगेर : मुंगेर में दुर्गा विसर्जन का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है. यहां परंपरा के अनुसार पहले बड़ी दुर्गा,
छोटी दुर्गा, बड़ी काली, छोटी काली और फिर अन्य प्रतिमाओं की विसर्जन शोभायात्रा निकलती है. बड़ी मां दुर्गा व छोटी मां दुर्गा एवं बड़ी मां काली को डोली पर कहारों द्वारा उठा कर ले जाया जाता है. बड़ी मां दुर्गा को 32 कहार अपने कंधे पर उठा कर विसर्जन के लिए ले जाते हैं. वैसे अन्य प्रतिमाओं को ट्रॉली पर रख कर ले जाया जाता है.
विसर्जन शोभा यात्रा में दूर दराज से हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया. पूरबसराय से लेकर गांधी चौक, पंडित दीनदयाल चौक, पटेल चौक, नगर भवन होते हुए भगत सिंह चौक और फिर सोझी घाट तक लोगों की भीड़ लगी मां के दर्शन को लगी रही.