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बैलून बेच कर पवन व गुलशन करा रहा मां का इलाज

बैलून बेच कर पवन व गुलशन करा रहा मां का इलाज जिन हाथों में खेलने के लिए खिलौने होने चाहिए, उस नन्हे हाथों से बिक रहे गुब्बारेफोटो संख्या : 8फोटो कैप्सन : बैलून बेचते बच्चे प्रतिनिधि, मुंगेरबालक पवन व गुलशन बैलून बेच कर अपनी बीमार मां का इलाज करा रहा है. भले ही उसकी यह […]

बैलून बेच कर पवन व गुलशन करा रहा मां का इलाज जिन हाथों में खेलने के लिए खिलौने होने चाहिए, उस नन्हे हाथों से बिक रहे गुब्बारेफोटो संख्या : 8फोटो कैप्सन : बैलून बेचते बच्चे प्रतिनिधि, मुंगेरबालक पवन व गुलशन बैलून बेच कर अपनी बीमार मां का इलाज करा रहा है. भले ही उसकी यह उम्र खेलने की है. किंतु इस छोटी सी उमर में ये दोनों बच्चे बैलून बेच कर परिवार का सहारा बना हुआ है. रोजगार की तलाश में आया मुंगेरशनिवार को दो बालक मुंगेर बाजार में जोर- जोर से चिल्ला रहा था ‘ बैलून ले लो, बैलून ले लो ‘. दोनों से जब पूछा तो एक ने अपना नाम पवन कुमार (11 वर्ष) तथा दूसरे ने अपना नाम गुलशन कुमार (8 वर्ष) बताया, दोनों आपस में सगे भाई हैं. पवन ने बताया कि पिछले एक साल से किला परिसर में ही झुग्गी बनाकर रह रहा है. वे अपनी मां कामिनी देवी के साथ मध्य प्रदेश के झांसी से मुंगेर आया था. यहां वह अपनी मां के साथ बैलून बेचने लगा. मां अक्सर रहती है बीमारपवन ने बताया कि उनकी मां अक्सर बीमार ही रहती है. वे दोनों जितना कमाते हैं, उसमें से आधे से अधिक पैसा मां की इलाज पर ही खर्च हो जाता है. शुक्रवार को उनकी मां का तबीयत ज्यादा खराब हो गया. जिसके बाद उसे सदर अस्पताल में भरती कराना पड़ा. पवन ने कहा कि इलाज भले ही सदर अस्पताल में चल रहा है. किंतु कई जरूरी दवाएं उन्हें बाहर से खरीद कर लाना पड़ता है. धंधे में दो तिहाई का हो जाता है मुनाफापवन ने बताया कि एक बैलून तैयार करने में उन्हें चार रुपये का खर्च आता है. जिसे वह दस रुपये में बेचता है. दोनों भाई मिल कर दिन भर में चार से पांच सौ रुपये तक का बैलून बेच लेता है. जिससे किसी तरह गुजारा चल जाता है.

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