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बच्चे के विकास में अभिभावक व आचार्य की सामान्य भूमिका

प्रतिनिधि, मुंगेर सरस्वती शिशु मंदिर शादीपुर में बच्चों के चहुमुखी विकास एवं प्रत्यक्ष रूप से अभिभावकों के साथ संपर्क तथा विचारों के आदान-प्रदान को लेकर अभिभावक गोष्ठी का आयोजन किया गया. अवकाश प्राप्त पुलिस अधिकारी नरेंद्र प्रसाद मंडल एवं प्रधानाचार्य नवीन कुमार सिंह ने दीप प्रज्वलित कर गोष्ठी का शुभारंभ किया. अभिभावक गोष्ठी के उद्देश्य […]

प्रतिनिधि, मुंगेर सरस्वती शिशु मंदिर शादीपुर में बच्चों के चहुमुखी विकास एवं प्रत्यक्ष रूप से अभिभावकों के साथ संपर्क तथा विचारों के आदान-प्रदान को लेकर अभिभावक गोष्ठी का आयोजन किया गया. अवकाश प्राप्त पुलिस अधिकारी नरेंद्र प्रसाद मंडल एवं प्रधानाचार्य नवीन कुमार सिंह ने दीप प्रज्वलित कर गोष्ठी का शुभारंभ किया. अभिभावक गोष्ठी के उद्देश्य को बताते हुए विपिन कुमार चौरसिया ने कहा कि बच्चों के अंदर छिपी हुई प्रतिभा को देखना अभिभावक व आचार्य दोनों की जिम्मेदारी है. इसलिए जरूरी है कि आचार्य एवं अभिभावक के बीच समन्वयक स्थापित हो. उन्होंने गणित के क्षेत्र में रामानुजम एवं खेल के क्षेत्र में सचिन का उदाहरण दिया. संजीव कुमार सिन्हा ने कहा कि शैक्षणिक गतिविधियों के संचालन में अभिभावक एवं विद्यालय के बीच समन्वयक जरूरी है. नवीन कुमार मिश्र ने कहा कि भारत की प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति को ध्यान में रख कर आधुनिक युग का समावेश किया जाना चाहिए. बच्चे अपने कार्य को समय पर करें. इसे देखने के लिए माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. विशेष रूप से मां की सहभागिता से ही बच्चों में सकारात्मक सोच पैदा होता है.

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