मुंगेर: पूर्व बिहार के विकास से जुड़ा गंगा रेल सह सड़क पुल पूरी तरह राजनीतिक का शिकार हो गया है. एप्रोच पथ को एनएच 80 से जोड़ने के लिए मुंगेर क्षेत्र में 89 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना है.
जिसके लिए अबतक न तो एनएचएआइ ने प्रस्ताव भेजा है और न ही जिला प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण की कोई कार्रवाई प्रारंभ की है. बताया जाता है कि एनएच से जोड़ने के लिए मुंगेर नगर निगम के दस वार्डो एवं 34 गांवों से होकर गुजरेगी. 9 किलोमीटर लंबे इस एप्रोच पथ के भूमि अधिग्रहण का मामला यूं ही पड़ा हुआ है.
एप्रोच पथ बना एनएच
26 दिसंबर 2002 में जिस पुल का तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शिलान्यास किया था. उस पुल के एप्रोच पथ को वर्ष 2014 में राष्ट्रीय उच्च पथ घोषित किया गया. अर्थात 12 वर्ष बाद एप्रोच पथ को एनएच का दर्जा मिला. जाहिर है कि इस पुल निर्माण के लिए जवाबदेह रेल मंत्रलय से लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण एवं बिहार के राजनीतिज्ञ के कार्यशैली पर एक बड़ा सवाल पैदा हो रहा है.