फोटो संख्या : 19फोटो कैप्सन : जयंती पर उपस्थित अनुयायी प्रतिनिधि , जमालपुरसंत मत सत्संग आश्रम नयागांव में शुक्रवार को भक्त प्रवर सूरदास की जयंती समारोहपूर्वक मनायी गयी. सत्संगियों द्वारा इसको लेकर दो दिवसीय संतमत सत्संग का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के उपाध्यक्ष आनंदी मंडल ने की.मुख्य वक्ता स्वामी नरेंद्र बाबा ने कहा कि संत शिरोमणि सूरदास के पदों में एक ओर जहां भक्ति रस भरा हुआ है, वहीं उनके कंठ में भी गजब का जादू था. वे हिंदी साहित्य के अमर कवि हैं. सूरदास जन्मांध थे, परंतु उन्होंने भगवान की लीला सहित उनकी छवि का जो वर्णन किया है, वह दर्शाता है कि उन्हें स्वयं भगवान का दर्शन हो चुका था. अध्यक्ष ने कहा कि सूर का जन्म 1540 ई. में तो पार्थिव त्याग विट्ठलनाथ की उपस्थिति में सन 1620 में हुआ था. प्रचार मंत्री राजन कुमार चौरसिया ने कहा कि सूरदास के भजनों से प्रभावित हो कर तानसेन ने सम्राट अकबर से उनकी भेंट करायी थी. उनके जीवन से प्रेरणा मिलती है कि ईश्वर के दर्शन के लिये चर्म चक्षु का होना आवश्यक नहीं बल्कि ध्यान-साधना से ही साक्षात ईश्वर का दर्शन संभव है. मौके पर शिवनारायण मंडल, सुभाष चौरसिया, डॉ. सुबोध शर्मा, सुरेश मोदी, भुजनारायण पंडित, डॉ ज्ञानेश्वर धार्मिक, प्रमोद यादव मुख्य रूप से उपस्थित थे.
संतमत के अनुयायियों ने मनायी भक्त शिरोमणि सूरदास की जयंती
फोटो संख्या : 19फोटो कैप्सन : जयंती पर उपस्थित अनुयायी प्रतिनिधि , जमालपुरसंत मत सत्संग आश्रम नयागांव में शुक्रवार को भक्त प्रवर सूरदास की जयंती समारोहपूर्वक मनायी गयी. सत्संगियों द्वारा इसको लेकर दो दिवसीय संतमत सत्संग का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के उपाध्यक्ष आनंदी मंडल ने की.मुख्य वक्ता स्वामी नरेंद्र बाबा […]
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