मुंगेर: सरकार के निर्देशानुसार जिले के सभी 101 पंचायतों में हाई स्कूल की सुविधा होनी है. इसके तहत जिले के पांच मध्य विद्यालयों को जहां उच्च विद्यालय में उत्क्रमित करने की अनुशंसा की गयी है. वहीं शेष बचे 11 पंचायतों में हाई स्कूल खोलने की कवायद शुरू कर दी गयी है. जिले में प्राथमिक से […]
मुंगेर: सरकार के निर्देशानुसार जिले के सभी 101 पंचायतों में हाई स्कूल की सुविधा होनी है. इसके तहत जिले के पांच मध्य विद्यालयों को जहां उच्च विद्यालय में उत्क्रमित करने की अनुशंसा की गयी है. वहीं शेष बचे 11 पंचायतों में हाई स्कूल खोलने की कवायद शुरू कर दी गयी है. जिले में प्राथमिक से लेकर उच्च विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कारगर कदम उठाये जा रहे हैं.
जिला पदाधिकारी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने मंगलवार को सूचना भवन में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए किये जा रहे कार्यो की रूपरेखा बतायी. उन्होंने कहा कि जिले के 203 भूमिहीन विद्यालयों को भूमि उपलब्ध कराने के लिए जहां सरकारी स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं. वहीं भूमि दान दाताओं से भी अपील की गयी है. 34 भूमिहीन विद्यालयों के लिए सरकारी भूमि का चयन किया गया है और शीघ्र ही वहां विद्यालय भवन का निर्माण किया जायेगा. उन्होंने बताया कि इस जिले में 75 उच्च विद्यालय, 35 उत्क्रमित उच्च विद्यालय, 2 टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, 7 बेसिक स्कूल के साथ ही 648 प्राथमिक विद्यालय व 472 मध्य विद्यालय हैं. जबकि कस्तूरबा गांधी बालिका उच्च विद्यालयों की संख्या 8 है.
इन विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर ठोस प्रयास किये जा रहे हैं. एक ओर जहां प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को प्रतिमाह 20, शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को 10 एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी को 5 विद्यालयों के नियमित निरीक्षण के निर्देश दिये गये हैं. वहीं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा भी विद्यालयों का नियमित रूप से निरीक्षण किये जा रहे हैं. जिलाधिकारी ने बताया कि मुंगेर जिले के 28 उच्च विद्यालयों में +2 की पढ़ाई की स्वीकृति प्राप्त है. जिसमें 21 विद्यालयों में +2 की पढ़ाई हो रही है. जबकि 7 विद्यालयों में शिक्षक के अभाव में पढ़ाई कार्य नहीं हो रहा. उन्होंने कहा कि शीघ्र ही इन विद्यालयों में शिक्षक की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की जायेगी. ताकि शिक्षण कार्य को सुचारु रूप से किया जा सके. उन्होंने कहा कि शिक्षाधिकारियों को यह स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि जिस भी विद्यालय में मात्र एक शिक्षक है वहां हर हाल में दो शिक्षक की तैनाती हो. ताकि किसी भी परिस्थिति में विद्यालय बंद नहीं रहे. इस मौके पर जिला शिक्षा पदाधिकारी केके शर्मा, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक केके उपाध्याय, डीपीओ बसंत कुमार मुख्य रूप से मौजूद थे.
शिक्षक तो होते हैं दीये के जलते बाती की तरह
मुंगेर. सरस्वती शिशु मंदिर सादीपुर में मंगलवार को विद्या भारती के त्रि-दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह आयोजन किया गया. उसका उद्घाटन शिक्षाविद राम नरेश पांडेय एवं प्रधानाचार्य नवीन कुमार मिश्र ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. वहीं प्रधानाचार्य ने कार्यक्रम में आये अतिथियों का स्वागत किया.
कार्यशाला की प्रशंसा करते हुए राम नरेश पांडेय ने विद्या भारती के उद्देश्यों से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि शिक्षकों का उद्देश्य एक जलती हुई दीये की बाती के समान होनी चाहिए. जिस प्रकार बाती स्वयं जलती है किंतु आसपास के वातावरण को प्रकाशित करती है.
इसी उद्देश्य के साथ हमें भी कार्य करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि प्राचीन समय की बात की जाय तो ऋषि मुनियों द्वारा जंगलों में आवासीय विद्यालय में ही भैया- बहनों की पढ़ाई की व्यवस्था की जाती थी. साथ ही उस समय के जो गुरु हुए करते थे, वे पूरी चिंतन शिष्यों के विकास के लिये किया करते थे. समय के साथ शिक्षा की नीतियों में भी भारी बदलाव आ चुका है. वर्तमान समय में शिक्षा का उद्देश्य महज रोजी- रोटी बन कर रह गयी है. मौके पर उपस्थित गौरी कुमारी, सुधांशु शेखर झा, रश्मि, गौरी ओझा, पूनम झा, अविनाश कुमार, जय शंकर प्रसाद सहित अन्य ने भी महत्वपूर्ण बात रखी.