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शिक्षक तो होते हैं दीये के जलते बाती की तरह

प्रतिनिधि , मुंगेरसरस्वती शिशु मंदिर सादीपुर में मंगलवार को विद्या भारती के त्रि-दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह आयोजन किया गया. उसका उद्घाटन शिक्षाविद राम नरेश पांडेय एवं प्रधानाचार्य नवीन कुमार मिश्र ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. वहीं प्रधानाचार्य ने कार्यक्रम में आये अतिथियों का स्वागत किया. कार्यशाला की प्रशंसा करते हुए राम […]

प्रतिनिधि , मुंगेरसरस्वती शिशु मंदिर सादीपुर में मंगलवार को विद्या भारती के त्रि-दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह आयोजन किया गया. उसका उद्घाटन शिक्षाविद राम नरेश पांडेय एवं प्रधानाचार्य नवीन कुमार मिश्र ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. वहीं प्रधानाचार्य ने कार्यक्रम में आये अतिथियों का स्वागत किया. कार्यशाला की प्रशंसा करते हुए राम नरेश पांडेय ने विद्या भारती के उद्देश्यों से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि शिक्षकों का उद्देश्य एक जलती हुई दीये की बाती के समान होनी चाहिए. जिस प्रकार बाती स्वयं जलती है किंतु आसपास के वातावरण को प्रकाशित करती है. इसी उद्देश्य के साथ हमें भी कार्य करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि प्राचीन समय की बात की जाय तो ऋषि मुनियों द्वारा जंगलों में आवासीय विद्यालय में ही भैया- बहनों की पढ़ाई की व्यवस्था की जाती थी. साथ ही उस समय के जो गुरु हुए करते थे, वे पूरी चिंतन शिष्यों के विकास के लिये किया करते थे. समय के साथ शिक्षा की नीतियों में भी भारी बदलाव आ चुका है. वर्तमान समय में शिक्षा का उद्देश्य महज रोजी- रोटी बन कर रह गयी है. मौके पर उपस्थित गौरी कुमारी, सुधांशु शेखर झा, रश्मि, गौरी ओझा, पूनम झा, अविनाश कुमार, जय शंकर प्रसाद सहित अन्य ने भी महत्वपूर्ण बात रखी.

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