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बेरोजगारी दूर करने में बाधक हैं बैंक

सरकार बेरोजगारी दूर करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. बैंकों को सख्त निर्देश दिया जाता रहा है कि बेरोजगारों को ऋण उपलब्ध करा कर रोजगार के अवसर प्रदान करें. ताकि बेरोजगारी की मार ङोल रहे लोग समाज के मुख्यधारा से भटके नहीं. लेकिन मुंगेर के बैंक इस दिशा में पुरी तरह उदासीन है […]

सरकार बेरोजगारी दूर करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. बैंकों को सख्त निर्देश दिया जाता रहा है कि बेरोजगारों को ऋण उपलब्ध करा कर रोजगार के अवसर प्रदान करें. ताकि बेरोजगारी की मार ङोल रहे लोग समाज के मुख्यधारा से भटके नहीं. लेकिन मुंगेर के बैंक इस दिशा में पुरी तरह उदासीन है और युवा वर्ग बड़ी संख्या में बेरोजगारी की मार ङोल रहे हैं एवं रास्ता से भटक कर अपराध के क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं.

मुंगेर: बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने और रोजगार संबंधी प्रशिक्षण देने के लिए जिले में स्थापित जिला उद्योग केंद्र के माध्यम से इसके आवेदन लिये जाते हैं और जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी कमेटी द्वारा आवेदकों के साक्षात्कार के बाद उसे विभिन्न बैंक शाखाओं को ऋण उपलब्ध कराने के लिए भेजा जाता है. इसमें सरकारी स्तर पर अनुदान की भी व्यवस्था है. लेकिन बैंकों द्वारा मुंगेर के युवाओं को ऋण उपलब्ध नहीं कराया जा रहा.

मात्र 13 आवेदन स्वीकृत

वित्तीय वर्ष 2014-15 में 107 बेरोजगारों को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत रोजगार के लिए ऋण उपलब्ध कराना है. जिस पर खादी ग्रामोद्योग आयोग द्वारा जिले को 1 करोड़ 53 लाख रुपये की अनुदान राशि भी उपलब्ध करा दी गयी. जिला उद्योग केंद्र द्वारा 20 करोड़ 64 लाख रुपये का प्रोजेक्ट एमाउंट स्वीकृत कर 270 आवेदन विभिन्न बैंकों के शाखाओं को भेजा गया है. जिस पर 5 करोड़ 57 लाख रुपये अनुदान था. लेकिन बैंकों की स्थिति यह है कि वित्तीय वर्ष खत्म होने में मात्र तीन माह शेष रह गये हैं और मात्र पांच बैंक द्वारा 13 आवेदनों की ही स्वीकृति दी गयी है. जिसमें बैंक ऑफ इंडिया 3, इलाहाबाद बैंक 2, पंजाब नेशनल बैंक 3, बैंक ऑफ बड़ोदा 3, सिंटिकेट बैंक 2 शामिल है.

1.5 करोड़ की राशि लौटी

पिछले वित्तीय वर्ष 2013-14 में 84 लोगों को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत ऋण उपलब्ध कराना था. केंद्र ने विभिन्न बैंकों की शाखाओं को 172 आवेदन स्वीकृत कर भेज दिया. जिसमें बैंकों ने 58 आवेदनों को स्वीकृत किया और उसमें मात्र 44 लोगों को ही छोटे-छोटे रोजगार के लिए ऋण उपलब्ध कराया. इस वित्तीय वर्ष में 1 करोड़ 70 रुपये का अनुदान जिला को उपलब्ध कराया गया था. जिसमें मात्र 65 लाख रुपये का ही अनुदान दिया गया. जबकि 1 करोड़ 5 लाख अनुदान की राशि खादी ग्रामोद्योग आयोग को लौट गया जो बैंकों के उदासीनता का प्रमाण है.

कमीशन का चलता है खेल

सूत्रों की अगर माने तो बैंक में ऋण दिलाने के लिए दलालों का सहारा लिया जाता है. केसीसी और अन्य तरह की लोन बैंक द्वारा निर्गत की जाती है. पर प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत ऋण के लिए भेजे गये आवेदक को ऋण देने में बैंक आनाकानी करते है. क्योंकि इसमें अधिकांश वैसे लोग बेरोजगार रहते हैं जिनके पास कमीशन देने के लिए पैसे नहीं होते. इस योजना के तहत वैसे लोग अपना काम करवा लेते हैं जो कमीशन देते हैं.

कहते हैंअधिकारी

जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक ई. सत्येंद्र कुमार ने कहा कि उनके स्तर से आवेदकों का साक्षात्कार करवा कर स्वीकृत आवेदन को बैंक भेज दिया जाता है. अब बैंक का दायित्व है कि वह बेराजगार युवक-युवतियों को ऋण उपलब्ध कराये. ताकि वे स्वरोजगार कर सके. लेकिन बैंक पूरी तरह इस मामले में उदासीनता बरतती है. जिसके कारण अनुदान की भी राशि लौट जाती है.

कहते हैं अग्रणी बैंक प्रबंधक

अग्रणी बैंक प्रबंधक केके सहगल ने बताया कि इस मामले में 15 जनवरी के बाद बेरोजगारों को ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जायेगी.

मुख्यधारा से भटक रहे युवा

मुंगेर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है एवं अवैध हथियार निर्माण और तस्करी के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है. बेरोजगारी की मार ङोल रहे लोग आसानी से इन रास्तों को अपना रहे हैं. ताकि पैसा कमाने का एक जरिया तो कुछ भी होना चाहिए. इतना ही नहीं बड़ी संख्या में रोजगार की तलाश में युवा वर्ग दूसरे प्रदेशों को पलायन कर रहे है.

प्रभावित हो रही अर्थ व्यवस्था

जिले के बैंक प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम की हवा निकाल रही है. उद्योग केंद्र द्वारा बेरोजगारों को ऋण दिलाने के लिए आवेदन बैंक भेजे जाते हैं. परंतु बैंक आवेदकों को ऋण उपलब्ध ही नहीं करा रही है. जिसके कारण मुंगेर में नये उद्योग नहीं लग पा रहे है और कुटीर एवं लघु उद्योग का सपना संजोए युवा वर्ग पलायन कर रहे हैं.

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