मुंगेर: दशकों के संघर्ष व मांग के बाद मुंगेर में 322.991 लाख की लागत से ऑडिटोरियम सह इंडोर स्टेडियम का निर्माण किया गया. जिसका उद्घाटन गत वर्ष 23 मई 2013 को राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था. किंतु उचित रखरखाव एवं देखभाल के अभाव में यह स्टेडियम महज डेढ़ साल में ही कई समस्याओं से ग्रसित हो गया है. ऑडिटोरियम में लाइट नहीं जलती तो दरवाजे को दीमक खा रही है. हाल यह है कि कभी यह स्टेडियम में पानी रिसता है तो कभी पानी के लिए शौचालय तक अनुपयोगी साबित हो रहा है.
55 लाइट, पर रोशनी नहीं
बैडमिंटन के ऑडिटोरियम हॉल में रोशनी की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है. फलत: खिलाड़ियों को परेशानी होती है. यूं तो इस हॉल के सीलिंग में 55 लाइटें लगायी गयी है किंतु वह शोभा की वस्तु बन गयी है. एक भी लाइटें नहीं जलती है. हॉल में जो अन्य ट्यूब लाइटें लगायी गयी हैं उसमें भी आधे से अधिक नहीं जलती. फलत: में रोशनी पर्याप्त नहीं हो पाता. हाल यह है कि युवा उत्साहित खिलाड़ियों ने अपनी खुद की व्यवस्था से 15 हजार की जुगाड़ लाइट लगायी है और उसी के सहारे रोजाना बैडमिंटन का प्रैक्टिस किया जाता है.
नहीं होती है नियमित सफाई
ऑडिटोरियम सभागार में नियमित सफाई नहीं की जाती है. यहां सफाई के लिए स्वीपर नहीं रखा गया है जिससे सफाई का समुचित देखभाल हो सके. हाल यह है कि ऑडिटोरियम में धूल भरा हुआ है और दीवारों में जगह-जगह जाले पड़े हैं जो ऑडिटोरियम की खुबसूरती को बदसूरत बना दिया है.
दीमक खा रहे दरवाजे
ऑडिटोरियम में लाखों रुपये खर्च कर भवन को सुसज्जित किया गया था. आज स्थिति यह है कि दरवाजे को दीमक खा रहा है. अच्छे-अच्छे दरवाजे बरबाद हो रहे हैं. इसके रखरखाव के प्रति स्टेडियम से जुड़े लोग या खेल विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा. इतना ही नहीं सीसा भी टूट-फूट गया है.
पार्किग की नहीं है सुविधा
इंडोर स्टेडियम में पार्किग की सुविधा नहीं है. जिसके कारण खिलाड़ियों को ऑडिटोरियम में ही साइकिल लगा कर प्रैक्टिस करना पड़ता है. जिसके कारण पूर्व में दो महिला खिलाड़ियों की साइकिल चोरी हो गयी थी. फलत: आज भी खिलाड़ी साइकिल व बाइक को लेकर चिंतित रहते हैं. गार्ड की भी कोई सुविधा नहीं है.