प्रतिनिधि , मुंगेर बबुआ घाट स्थित श्रीराधा कृष्ण प्रेमकंुज मंदिर में आयोजित श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के आठवें दिन अनसुइया-सीता संवाद का का प्रसंग सुनाया गया. कथा वाचक श्रीमद् स्वामी अनंताचार्य महाराज की परम शिष्य एवं अंगिका रामायण के रचियता संत कवि विजेता मुदगलपुरी ने कहा कि अनसुइया का अर्थ होता है ‘किसी में दोष न देखना ‘. उन्होंने कहा कि अनसुइया ने सीता जी को दिव्य आभूषण और कभी मलीन न होने वाले वस्त्र प्रदान किया. सीता जी को उन्होंने उपदेश भी दिया है और नारी धर्म की व्याख्या भी की. अनसुइया ने नारी का प्रथम दायित्व पति की सेवा को बताया. पति के प्रति श्रद्धा और पूर्ण विश्वास पत्नी का धर्म भी बताया. अनसुइया ने कहा कि नारी वामांगी कहलाती है. नारी के बिना पुरुष अधूरा है. पत्नी को बाया भी कहा जाता है. दाम्पत्य जीवन के लिए एक दूसरे का सहयोग जरूरी है. अनसुइया कहती है नारी की परीक्षा विपत्ति काल में ही हो पाती है. क्योंकि विपत्ति में सभी साथ छोड़ जाते हैं. लेकिन पति पत्नी वृद्ध होने, रोगी, निर्धन, अंधा हो जाने के बाद भी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ते. पति-पत्नी एक दूसरे का सम्मान करें अन्यथा दूसरे नरक के भागी होते हैं. नरक कहां, नरक तो दंपत्ति का घर ही बन जाता है. कथावाचक ने कहा कि पुरुष व नारी दोनों के लिए नियम निर्धारित हैं. एकांत में जितनी पाबंदी नारी पर है उतनी ही पाबंदी पुरुष पर भी लागू होती है. इस नियम को उल्लंघन करने वाले चाहे वह पुरुष हो या नारी पतित कहलाते हैं. इसलिए चरित्र धर्म का पालन जीवन में अनिवार्य है. मौके पर परशुराम मिश्र, कपिलदेव यादव, महंत आनंद बिहारी दास, विजय, राजकिरण, गुरुदयाल त्रिविक्रम मुख्य रूप से मौजूद थे.
नारी के बिना पुरुष अधूरा : मुदगलपुरी
प्रतिनिधि , मुंगेर बबुआ घाट स्थित श्रीराधा कृष्ण प्रेमकंुज मंदिर में आयोजित श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के आठवें दिन अनसुइया-सीता संवाद का का प्रसंग सुनाया गया. कथा वाचक श्रीमद् स्वामी अनंताचार्य महाराज की परम शिष्य एवं अंगिका रामायण के रचियता संत कवि विजेता मुदगलपुरी ने कहा कि अनसुइया का अर्थ होता है ‘किसी में दोष […]
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