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श्रद्धा और विश्वास ही भवानी व शिव के स्वरूप

प्रतिनिधि , मुंगेर उत्तर वाहिनी गंगा तट बबुआ घाट स्थित श्रीराधा कृष्ण प्रेम कुंज मंदिर में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन माक्षवल्य और भारद्वाज संवाद को प्रस्तुत किया गया. जिसे ध्यान लगा कर श्रोताओं ने सुना. कथावाचक संत कवि विजेता मुद्गलपुरी ने कहा कि आप भी कथा को जानते […]

प्रतिनिधि , मुंगेर उत्तर वाहिनी गंगा तट बबुआ घाट स्थित श्रीराधा कृष्ण प्रेम कुंज मंदिर में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन माक्षवल्य और भारद्वाज संवाद को प्रस्तुत किया गया. जिसे ध्यान लगा कर श्रोताओं ने सुना. कथावाचक संत कवि विजेता मुद्गलपुरी ने कहा कि आप भी कथा को जानते है. उसके बाद भी सुधी श्रोता का दायित्व निभा रहे है. कथा में श्रोता का बहुत महत्व है. इसलिए भगवान राम खुद श्रोता हो जाते है. भगवान शिव राम कथा सुनने के लिए अगस्त ऋषि के आश्रम पर जाते है तो नीलगिरी पर्वत पर हंस का रुप धारण कर पक्षियों के बीच बैठकर काग भुसंडी महाराज से राम कथा सुनते है. जब शिवजी वक्ता होते है तो जगत जननी भगवती पार्वती श्रोता हो जाती है. जिस व्यक्ति के अंदर राम की भक्ति नहीं है. वह राम कथा का श्रोता नहीं हो सकता. बिना विश्वास के भक्ति नहीं आती है. इसलिए सबसे पहले मनुष्य को अपने अंदर विश्वास को जागृत करना होगा. राम कथा को श्रद्धा और विश्वास के साथ सुनना चाहिए. क्योंकि श्रद्धा और विश्वास ही भवानी व शिव के स्वरूप है. कथा वाचक ने कहा कि राम के प्रति शंकार रखने वाले का नाश हो जाता है. इसका उदाहरण भगवान शंकर की पत्नी सती है. उनकी गति आप कथाओं के माध्यम से जानते है. आप राम कथा को जानते है फिर भी आप महान श्रोता है. भजन गायक शंकर मेहता और उनके साथियों ने बेहतरीन भजन प्रस्तुत किया. मौके पर महंत आनंद बिहारी दास, मुरलीधर सिंह, विंदेश्वरी यादव, कमलेश्वर प्रसाद सिंह, नंद किशोर कुंवर मौजूूद थे.

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