मुंगेर : जमालपुर डीह निवासी 21 वर्षीय मोनू के सदर अस्पताल मुंगेर से रहस्यमय ठंग से लापता होने के मामले ने पुलिस व अस्पताल प्रबंधन की परेशानी बढ़ा दी है. साथ ही विभाग में व्याप्त लापरवाही को भी उजागर कर दिया है. अस्पताल से मोनू कहां गया, कौन उसे ले गया, अगर उसे रेफर किया गया तो कहां किया गया. यह कोई रेकर्ड अस्पताल प्रबंधन के पास उपलब्ध नहीं है.
सबसे हैरानी की बात है कि उस समय ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ने ओडी काट कर पुलिस को मोनू के घायलावस्था में अस्पताल आने की जानकारी तक नहीं दी थी. अब जब डीआइजी मनु महाराज के निर्देश पर पुलिस टीम जांच कर रही है तो न सिर्फ अस्पताल प्रबंधन को कठघरे में खड़ा कर दिया है. बल्कि अस्पताल में ओडी ड्यूटी करने वाले पुलिस पदाधिकारी के कार्यशैली पर भी सवाल उठने लगा है.
पुलिस की बढ़ी परेशानी, नहीं मिल रहा सुराग : डीआइजी के निर्देश पर गठित पुलिस टीम लगातार मोनू को ढूढ़ने में लगी हुई. सदर अस्पताल तक पहुंच कर पुलिस अनुसंधान अटक गया है, क्योंकि वहां के बाद पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लग रहा है कि आखिर मोनू के साथ अस्पताल प्रबंधन ने क्या किया. डीआइजी के निर्देश के 72 घंटे बाद भी पुलिस मोनू का सुराग पाने में विफल साबित हुई है.
टीम के एक सदस्य ने कहा कि हादसे में घायल होने के बाद उसे सदर अस्पताल में भरती कराया गया था. लेकिन यहां से मोनू कहां चला गया. इसकी कोई जानकारी नहीं मिल रही है. माना जा रहा है कि मोनू के मामले में जिस तरह से चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी ने लापरवाही बरती है. उस पर पुलिस के वरीय पदाधिकारियों द्वारा कार्रवाई करने की प्रक्रिया अपनायी जा रही है.
अस्पताल प्रबंधन पलट रहा रिकार्ड
मामला बढ़ता देख व अस्पताल की व्यवस्था की पोल खुलने के बाद अस्पताल प्रबंधन कागजों को खंगाल रहा है कि आखिर मोनू का क्या हुआ. अस्पताल उपाधीक्षक डॉ सुधीर कुमार ने बताया कि अज्ञात घायल के बारे में पुलिस को सूचना ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ रामप्रवेश सिंह द्वारा नहीं दी गयी थी, जबकि हर हाल में ओडी काट कर पुलिस को सूचना देना है. ड्यूटी पर तैनात नर्स व स्वास्थ्यकर्मी से भी पूछताछ की जा रही है. इधर ड्यूटी पर तैनात एक स्वास्थ्यकर्मी ने बताया कि फोटो देखने के बाद हमलोगों को पता चला कि अज्ञात घायल मोनू था.
गंभीर स्थिति में उसे भागलपुर रेफर कर दिया गया, लेकिन किस एंबुलेंस से अथवा किसके साथ उसे भागलपुर ले जाया गया. इसके बारे में उसे कोई पता नहीं है. क्योंकि रेफर होने वाले मरीज का कोई डाटा अस्पताल प्रबंधन के पास नहीं रहता है. सदर अस्पताल से रेफर होने वाले मरीज के चिट्ठा पर ही रेफर लिख दिया जाता है.
कईयों से पुलिस कर रही पूछताछ : मोनू मामले में पुलिस ने जब जांच प्रारंभ किया तो कई तथ्य सामने आये हैं. सबसे पहले एक युवक को लापता मोनू के मोबाइल के साथ हिरासत में लिया गया. जबकि उसने जिस युवक से मोबाइल खरीदा था उसे भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया है.
एक अन्य युवक को भी हिरासत में लेने की बात सामने आ रही है. तीनों जमालपुर का ही रहने वाला बताया जा रहा है. लड़कों ने ही बताया कि सफियाबद पेट्रोल पंप के बाद एक युवक घायल था. जिसे हमलोगों ने अस्पताल में भरती कराया था. लेकिन मोनू का मोबाइल दूसरे के पास मिलने के बाद पुलिस की परेशानी काफी बढ़ी हुई है.