मुंगेर : जिला ब्रह्मर्षि समाज की ओर से सोमवार को किला परिसर स्थित शहीद स्मारक भवन में स्वामी सहजानंद सरस्वती की 132 वीं जयंती मनायी गयी. उसकी अध्यक्षता वरीय शिक्षक नेता नवल किशोर प्रसाद सिंह ने की. मौजूद शिक्षाविद् एवं किसानों ने उनके प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर नमन किया.
वक्ताओं ने कहा कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरू हुआ असहयोग आंदोलन बिहार में गति पकड़ा तो सहजानंद उसके केंद्र में थे. घूम-घूमकर उन्होंने अंग्रेजी राज के खिलाफ लोगों को खड़ा किया. यह वह समय था जब स्वामी जी भारत को समझ रहे थे.
इस क्रम में उन्हें एक अजूबा अनुभव हुआ कि किसानों की हालत गुलामों से भी बदतर है. युवा संन्यासी का मन एक बार फिर नये संघर्ष की ओर उन्मुख हो गया और वे किसानों को लामबंद करने की मुहिम में जुटे गये. इस रूप में देखें तो भारत के इतिहास में संगठित किसान आंदोलन खड़ा करने और उसका सफल नेतृत्व करने का एक मात्र श्रेय स्वामी सहजानंद सरस्वती को जाता है.
अशोक शंकर सिंह ने कहा कि वे किसान आंदोलन के पर्यायवाची थे. उत्कट राष्ट्रवादी थे. बमशंकर सिंह ने कहा कि अन्नदाता के वे सही मायने में हिमायती थे और किसानों को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन किया. डॉ हेमंत कुमार ने कहा कि भूमिहार का परचम लहारने का श्रेय स्वामी सहजानंद को जाता है.
अधिवक्ता सुनील कुमार ने राज्य एवं केंद्र सरकार से किसान हित में चलाये जा रहे योजनाओं का का लाभ किसानों तक पहुंचाने की मांग की. रामरत्न कुमार, प्रो. रामानुज सिंह, पीएन शर्मा, प्रो. प्रकाश, रामशंकर सिंह ने कहा कि सहजानंद को महामानव की संज्ञा दी. मौके पर जयप्रकाश सिंह, प्रो. शब्बीर हसन, प्रशांत कुमार, उमेश नंदन, राजकिशोर कुमार, प्रणव, प्रफुल्ल सहित अन्य मौजूद थे.