इआरपी सिस्टम प्रारंभ
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अब एक क्लिक पर मिलेगी जेल जाने वाले अपराधियों की कुंडली
इआरपी सिस्टम प्रारंभ मुंगेर : अपराधी चाहे देश के किसी भी हिस्से में छिपे हों, अब वे बच नहीं सकते. उसकी पूरी कुंडली अब एक क्लिक पर उपलब्ध हो जायेगी. अपराधियों का फिंगर प्रिंट्स, वाइस व आइ विजन को एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से कंप्यूटर में फीड किया गया है. इसमें अपराधियों का पूरा ब्योरा […]
मुंगेर : अपराधी चाहे देश के किसी भी हिस्से में छिपे हों, अब वे बच नहीं सकते. उसकी पूरी कुंडली अब एक क्लिक पर उपलब्ध हो जायेगी. अपराधियों का फिंगर प्रिंट्स, वाइस व आइ विजन को एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से कंप्यूटर में फीड किया गया है. इसमें अपराधियों का पूरा ब्योरा उपलब्ध है. मुंगेर जेल ने यह बड़ी उपलब्धि अपने जेल में बंद कैदियों की पूरी जानकारी कम्प्यूटराइज कर हासिल की है. यह ‘इ-प्रिजन’ योजना के तहत संभव हो सका है. अब तक मुंगेर जेल में आने वाले लगभग 4000 कैदियों की जन्मकुंडली कंप्यूटर में दर्ज की जा चुकी है और वे सभी ऑनलाइन हैं.
अपराधियों की गिरफ्तारी में मिलेगी सुविधा : मुंगेर जेल में इ-प्रिजन योजना के तहत जेलों के कामकाज को पेपरलेस बनाने के लिए इंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (इआरपी) प्रणाली लागू किया गया है. जेल में इस सिस्टम के प्रभावी होने के बाद अब किसी भी कैदी के संबंध में कोई भी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है. यानी जेल में बंद कैदी को किस जुर्म में जेल भेजा गया है, उसने इससे पहले जेल में कितने दिन बिताए हैं, यहां तक कि जेल में रहने वाले हर कैदी की उंगलियों के निशान, आंखों के रंग और उसकी आवाज के नमूने भी कंप्यूटर में एक क्लिक पर देखा-परखा जा सकता है. अगर कहीं अपराध होता है और वह किसी प्रकार के उंगलियों के निशान अथवा कोई व्यक्ति आवाज को सुना है तो इस पद्धति से तत्काल पुलिस अपराधियों तक पहुंच सकती है. चाहे वह देश के किसी भी हिस्से में क्यों नहीं छिपा हो.
एक सर्वर से जुड़े हैं पांच कंप्यूटर : मुंगेर जेल में एक सर्वर से पांच कंप्यूटर जुड़ा हुआ है जो इंट्रानेट से लिंकअप है. जेल कैंपस में एक काउंटर बना हुआ है. जेल में बंद कैदियों से मिलने आने वाले लोगों का भी पूरा डिटेल कंप्यूटर में रखा जा रहा है. कैदियों से मिलने वाला व्यक्ति अपना आधार, वोटर आइ कार्ड या सरकारी मान्यता प्राप्त आइ कार्ड लेकर आयेंगे. जिसके आधार पर नि:शुल्क टिकट उसे काट कर दिया जा रहा है. एक सप्ताह में एक ही बार वह व्यक्ति कैदी से मिलेगा. दूसरी बार मिलने के लिए दूसरे सप्ताह में पुन: इस प्रक्रिया से टिकट कटाना होगा. इस सिस्टम से यह आसानी से पता लग जायेगा कि कौन व्यक्ति किस कैदी से मिलने आया था.
क्या है इआरपी सिस्टम
इआरपी प्रणाली से न केवल जेलों के कामकाज को बेहतर तरीके से अंजाम दिया जा रहा है. बल्कि कैदियों का पूरा डाटा भी पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड हो चुका है. अब एक क्लिक पर किसी भी कैदी की पूरी जन्मकुंडली जेल प्रशासन और पुलिस को उपलब्ध हो सकेगी. इआरपी सिस्टम से अब मुंगेर जेल में रहने वाले कैदियों का पूरा मैनेजमेंट भी कंप्यूटराइज्ड हो चुका है. इसके तहत जेल के गेट मैनेजमेंट, प्रिजन एकाउंट, कैदियों को जेल में काम करने के बदले मिलने वाले पारिश्रमिक, जेल की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों के हथियार व संबंधित डाटा और कैदियों के इलाज के लिए जेल हॉस्पिटल मैनेजमेंट भी पूरी तरह ऑनलाइन हो चुके हैं. इतना ही नहीं, अब जेल में कैदी से मुलाकात करने वालों का भी पूरा ब्योरा भी इ-प्रिजन सिस्टम के तहत कंप्यूटर के माध्यम से संकलित किया जा रहा है.
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