उपेक्षित. नप के अधीन पार्क नहीं होने से परेशानी
मधुबनी : नये साल के आगमन की तैयारी अभी से शुरू हो रही है. पर इसके बाद भी हर साल की तरह इस साल भी बच्चे को किसी बाहरी जगह पर ही जाकर मौज मस्ती और पिकनिक की तैयारी करनी होगी. बीते कई सालों से प्रशासन के द्वारा आश्वासन पर आश्वासन दिये जाने के बाद भी अब तक शहर का एक मात्र चिल्ड्रेन पार्क की स्थिति नहीं सुधर सकी है. बल्कि दिन व दिन इसकी स्थित बदतर होती जा रही है.
बन गया डंपिंग यार्ड . करीब 1982 में शहर के बच्चों को पार्क उपलब्ध कराये जाने को लेकर गंगासागर काली मंदिर के बगल में पार्क का निर्माण किया गया. लोगों में खुशी हुई कि अब बच्चों को वे कम से कम कुछ देर पार्क में घुमा सकेंगे.
यहां पर उनके बच्चे खेल कूद, मौज- मस्ती कर सकेंगे. पर यह उत्साह साल दर साल कम होता चला गया. अब तो आलम यह है कि किसी भी सूरत में यह पार्क नजर ही नहीं आ रहा है. गंदगी, कूड़ा – कचरा का ढेर, आवारा पशुओं का जमावड़ा होना इस पार्क की पहचान बन गयी है. आस पास के मुहल्ले के लोग इसी पार्क में कचरा फेंक रहे हैं. वहीं आस पास के घरों के गंदा पानी भी इसी पार्क में बहाया जाता है. जिससे इस पार्क में खेलने की बात तो दूर इसमें जाने की जगह तक नहीं है. गंदगी इस कदर है कि इसमें लोग पांव तक नहीं रख सकते है.
सालों से नप मांग रहा है पार्क . यह पार्क दरभंगा महाराज के ट्रस्ट का है. पर समय समय पर इसमें नगर परिषद के द्वारा मिट्टी भराई का काम कर दिया जाता है. लेकिन जब बात इसके पूर्ण सुरक्षा और सौंदर्यीकरण की आती है तो नप भी हाथ उठा लेती है. नप प्रशासन का कहना है कि मेरे पास शहर के विकास मद में राशि भी आवंटित होती है. पर इसके लिये पहल तभी की जायेगी जब ट्रस्ट इसकी इजाजत दे. जानकारी के अनुसार नप प्रशासन कई सालों से ट्रस्ट से इस पार्क को उसके अधीन किये जाने की मांग कर रहा है. पर अब तक ऐसा नहीं हो सका है.
नप के अधीन नहीं है पार्क
इस बाबत कार्यपालक पदाधिकारी जटाशंकर झा ने बताया है कि अब तक यह पार्क नप के अधीन नहीं आया है. हमारे पास शहर विकास मद में राशि आती है. पर व्यापक तौर पर इस राशि को बिना संबंधित जमीन मालिक के आदेश के काम नहीं किया जा सकता है.