मधुबनीः सदर अस्पताल में अत्याधुनिक ऑपरेशन थियेटर बनेगा. इसका सर्वे करने यूनीसी संस्था की टीम नई दिल्ली से पहुंची. टीम ने वर्तमान ओटी का जायजा भी लिया. एस्कर्ट और राम मनोहर लोहिया अस्पताल नई दिल्ली की तर्ज पर सदर अस्पताल में ऑपरेशन थियेटर का निर्माण होगा. इसमें सभी मेडिकल और सजर्री, एनेस्थीसिया और ऑक्सीजन की हाइटेक व्यवस्था रहेगी. ओटी में प्रकाश फ्रेमिंग और शिल्डिंग की भी व्यवस्था रहेगी. इसके बन जाने से ऑपरेशन कराने वाले मरीजों को काफी राहत मिलेगी. टीम ने सिविल सजर्न से मिल कर इस मुद्दे पर व्यापक विचार विमर्श किया.
सिविल सजर्न डॉ सुधीर कुमार सिन्हा ने बताया कि वार्ता काफी सकारात्मक रही. उन्होंने कहा कि इस ओटी को मॉड्यूलर ओटी के नाम से जाना जायेगा. ओटी में उच्च स्तरीय कैमरा और इंटरनेट युक्त टेलीविजन भी रहेगा ताकि महानगरों के विशेषज्ञ सजर्नों से आपातकालीन स्थिति में यहां के सजर्न संपर्क कर सके. वर्तमान में सदर अस्पताल का ओटी काफी छोटा है. इसमें जगह की काफी कमी है. पिछले कई साल से लोगों ने इस ओटी की जगह नई, हाइटेक और सुसज्जित ओटी बनाने की मांग की है.
जननी बाल सुरक्षा योजना का महिलाएं ले रहीं लाभ
सदर अस्पताल परिसर में जननी बाल सुरक्षा योजना का चेक लेने महिला मरीजों की भीड़ उमड़ पड़ी है. संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये सरकार शहरी क्षेत्रों की लाभांवित महिला को एक हजार रुपये देती है वहीं आशा को 400 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है. ग्रामीण क्षेत्र की महिला को सदर अस्पताल में संस्थागत प्रसव कराने पर 1400 रुपये और आशा को 600 रुपये दिये जाते हैं. आइसीयू परिसर के कमरों को जननी बाल सुरक्षा योजना का कार्यालय बनाया गया है. इस कार्यालय के बाहर चेक लेने के लिये महिलाओं की लंबी लाइन लगी रहती है. कई लाभार्थी महिला मातृ शिशु कल्याण केंद्र के बरामदे पर बैठ कर अपनी बारी का इंतजार करती है. अच्छी व अनुभवी लेडी डॉक्टरों के होने के कारण कई पीएचसी से महिलाओं को प्रसव के लिये सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. सदर अस्पताल में सीजेरियन ऑपरेशन की सुविधा भी उपलब्ध है. कई गर्भवती महिलाओं को प्रसव के बाद बेड पर ही चेक दे दिया जाता है. चेक लेने के लिये महिलाओं को बच्चे के साथ फोटो खिंचाना पड़ता है जिसकी सुविधा लेबर रूम में है. बर्थ प्लान और लेबर रूम के रजिस्टर के प्रसव संख्या की भी जरूरत होती है. अवकाश के बाद भुगतान लेने वाली महिलाओं की संख्या में इजाफा हुआ है. कहना है कार्यालय के श्याम चंद्र चौधरी का. उन्होंने कहा कि महिलाएं अब घर की जगह सदर अस्पताल में ही संस्थागत प्रसव के लिये आती है. यहां जच्च बच्च दोनों सुरक्षित रहते है. श्री चौधरी ने बताया कि जिले में आदर्श दंपति योजना भी लागू है. अगर आशा के प्रयास से कोई महिला दो बच्चे पर बंध्याकरण कराती है तो आशा को एक हजार रुपये दिये जाते हैं. अभी तक 22 महिलाओं को आदर्श दंपति योजना का लाभ मिल चुका है. आइसीयू परिसर के ही एक कमरे में जन्म निबंधन प्रमाण पत्र का कार्यालय है. अभी प्रसव का काम भी आइसीयू परिसर में ही कराया जाता है.
पशुओं में खुरहा रोग की रोकथाम के लिये पहल की मांग
पशुओं में खुरहा रोग फैलने से पशुओं की लगातार हो रही मौत पर भाजपा ने चिंता व्यक्त की है. भाजपा के सांसद, विधायक व अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन से इस दिशा में जल्द से जल्द व्यापक कदम उठाने की मांग की है. एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए जिला मंत्री नागेंद्र राउत ने कहा है कि जिले के विभिन्न क्षेत्रों में खुरहा बीमारी व्यापक रूप से फैल रही है. जिससे मवेशियों की लगातार मौत हो रही है लेकिन जिला प्रशासन और राज्य सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही है. यदि हालात इसी प्रकार रहा तो पशुओं में यह हैजा का रूप ले लेगी. इस बीमारी के रोक थाम के लिये सांसद हुक्म देव नारायण यादव, विधायक, जिला अध्यक्ष भोगेंद्र ठाकुर, उपाध्यक्ष देवेंद्र प्रसाद यादव सहित अन्य ने जिला प्रशासन से जल्द से जल्द पहल करने की मांग की है.
एआरटी सेंटर से मिल रही एड्स की दवा
जिले में लगभग 2500 एड्स मरीज है. इनमें 1800 एड्स मरीज सदर अस्पताल स्थित एआरटी सेंटर से दवा ले रहे है. शेष मरीजों को सीडी 4 जांच दवा लेने लायक होने के बाद ही दवा लेंगे. मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण बार बार एआरटी दवा कम होनी लगती है. दवा है पर कम है. इसे लाने के लिये एआरटी सेंटर के कर्मी दवा लाने गये है. एआरटी केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एम एन दानिस ने कहा कि मरीजों को समय से दवा मिले इसके लिये हर संभव प्रयास की जा रही है. सुबह 8 बजे से दिन के 2 बजे तक एआरटी सेंटर में एड्स मरीजों का तांता लगा रहता है. महिला एड्स मरीज भी काफी संख्या में है. एड्स मरीजों के लिये एआरटी सेंटर में डॉक्टर और काउंसलर की भी व्यवस्था है. सभी एड्स मरीजों को नि:शुल्क दवा मिल रही है. मरीजों को एक साथ एक महीने की दवा दी जा रही है. पर फॉलोअप के अभाव में 45 एड्स मरीज दवा नहीं ले रहे है. इसमें 14 महिलाएं और दो बच्च भी है. एआरटी मोबाइल फोन के माध्यम से इन्हें दवा लेने के लिये बुलाता है पर कभी मरीज का स्विच ऑफ बताया है तो कभी नॉट रिस्पॉडिंग. सभी मरीजों का मोबाइल नंबर भी उपलब्ध नहीं रहता हैं. कंयुनीटी केयर सेंटर बंद होने के बाद एड्स मरीजों की हालत काफी दयनीय हो गई है. सीसीसी में अवसरवादी रोगों से ग्रसित मरीजों के लिये रहने, नाश्ता, भोजन, दवा, मनोरंजन की मुफ्त सुविधा उपलब्ध थी. एड्स मरीजों के लिये सीसीसी वरदान था. जिले के एड्स मरीजों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि उनके रहने, नाश्ता, भोजन और मनोरंजन की व्यवस्था पूर्व के कम्युनिटी केयर सेंटर की तरह की जाय. जिससे एड्स मरीजों को राहत मिल सके. सीसीसी बंद होने से मरीजों को गहरा झटका लगा है.