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अपने ही रिपोर्ट से संदेह के घेरे में एसएफसी

अपने ही रिपोर्ट से संदेह के घेरे में एसएफसी तीन रिपोर्ट मे तीन प्रकार के राशि का जिक्रहर रिपोर्ट में हो रहा लाखों का अंतरमामला वित्तीय वर्ष 12-13 में धान खरीद का फोटो : 19परिचय: धान का फोटो मधुबनी : एसएफसी की लीला भी अजब है. अपने ही रिपोर्ट में बार बार अंतर कर खुद […]

अपने ही रिपोर्ट से संदेह के घेरे में एसएफसी तीन रिपोर्ट मे तीन प्रकार के राशि का जिक्रहर रिपोर्ट में हो रहा लाखों का अंतरमामला वित्तीय वर्ष 12-13 में धान खरीद का फोटो : 19परिचय: धान का फोटो मधुबनी : एसएफसी की लीला भी अजब है. अपने ही रिपोर्ट में बार बार अंतर कर खुद को ही संदेह के घेरे में डाल कर कटघरे मंे खड़ा हो गया है. मामला वित्तीय वर्ष 12 में धान खरीद से जुड़ा है. जिसमें एक ही मीलर के खिलाफ धान के कथित गबन के मामले मंे एसएसफी ने तीन रिपोर्ट मेें तीन प्रकार के राशि वकाया होने का जिक्र किया है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर बकायेदार पर निगम का बकाया कितना है और मीलर को आखिर कितने राशि का चुकता करना है. निगम के इस रिपोर्ट से पुलिस और न्यायालय भी हैरत में है. क्या है मामला वित्तीय वर्ष 12-13 में धान खरीद योजना में राम जानकी मॉडर्न राईस मिल बासोपट्टी को निगम द्वारा मिलिंग के लिये धान दिया गया. दिये गये धान के अधिकांश भाग को मीलर ने मिलिंग कर निगम को वापस कर दिया कुछ धान कथित तौर पर मीलर के पास रह गया. मामला इसी जगह आकर फंस जाता है. दरअसल तत्कालीन कर्मचारियों के लापरवाही या गलत मंशा के कारण कहीं भी मिलर को दिये गये धान एवं उनसे लिये गये चावल के वास्तविक मात्रा का लिखित तौर पर जिक्र नहीं किया गया. कुछ अन्य मीलर को दिये गये धान की मात्रा भी राम जानकी मॉडर्न राईस मिल बासोपट्टी पर ही चढा दिया गया. जब बात धान के एवज में राशि या चावल वापसी की आयी तो निगम ने अन्य मिलों क ो दिये गये धान की कीमत भी उक्त राईस मिल पर चढा दिया. जिसकी कीमत 4 करोड़ 17 लाख 58 हजार 25 रूपये बताते हुए निगम ने उक्त राईस मीलर के खिलाफ निलाम पत्र वाद दायर कर दिया. जब राम जानकी राईस मिल के मालिक को इस बात की जानकारी हुई तो उसके होश उड़ गये. मिलर ने निगम को दिये गये चावल व उससे लिये गये धान का लिखित आंकड़ा दिया. इसके बाद दुबारा जांच कर रिपोर्ट निगम ने 1 करोड़ 70 लाख 29 हजार रूपये बकाया बताते हुए नगर थाना मे उक्त राईस मीलर के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कर दी. मामला थाना से होते हुए न्यायालय तक पहुंच गया है. अब एक बार फिर हाल ही मंे एसएफसी ने नये रिपोर्ट प्रस्तुत किया है. इसमें फिर राशि का बड़ा अंतर करते हुए राइस मिलर पर 1 करोड़ 32 लाख 66 हजार 949 रूपये बकाया बताया गया है. मिलते जुलते नाम के कारण हुई गड़बड़ी सरकारी महकमा अपने काम के प्रति कितना जागरूक है और सरकारी योजनाओं का हाल क्या है इसका इससे बड़ा प्रमाण क्या होगा कि यदि एक ही नाम से मिलता जुलता नाम होगा तो किसी के उपर का बकाय किसी के नाम पर चढा कर प्राथमिकी दर्ज कर दी जायेगी. इस मामले में भी निगम ने यही किया है. इस बात का खुलासा खुद निगम के अधिकारी ने किया है. रिपोर्ट में यह कहा गया है कि राम जानकी मॉडर्न राईस मिल से मिलता जुलता दो अन्य राईस मिल भी जिले में काम कर रहा हेै. जिस कारण धान देने व चाावल लेेने संबंधित कागजात तैयार करने में कर्मचारियों द्वारा खामियां सामने आयी. परेशान है मीलर निगम के द्वारा लगातार दिये जा रहे रिपोर्ट में हो रहे अंतर से मीलर भी परेशान है. इस बीच उसके उपर प्राथमिकी दर्ज कर दी गयी. जिसका जमानत मिलर को उच्च न्यायालय से लेनी पड़ी है. मिलर ने बताया है कि अब तक उन्हें यह बात ही नहीं पता चल पा रहा है कि आखिर निगम का बकाया कितना है. मिलर की मानें तो तीसरे बार दिये गये रिपोर्ट में भी व्यापक तौर पर खामियां है. निगम फिर से जांच करे तो फिर बड़ा अंतर आयेगा. क्या कहते हंै अधिकारी इस बाबत राज्य खाद्य निगम के जिला प्रबंधक गुलाब हुसैन ने बताया है कि तत्कालीन कर्मचारी के द्वारा इस मामले में लापरवाही बरती गयी है. जिस कारण यह अंतर आया है. े

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