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नयी विधि से पढ़ेंगे कक्षा एक से पांच के बच्चे

मधुबनीः प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में पहली बार बदलाव हुआ है. छात्रों की तरह शिक्षकों के लिये भी पुस्तकें भेजी गयी है. इससे जहां कमजोर शिक्षकों की नींद हराम हो गयी है. वहीं मेधावी शिक्षकों का मनोबल बढ़ गया है. शिक्षकों के लिये भेजी गयी इस पुस्तक को शिक्षक साथी का नाम दिया गया है. […]

मधुबनीः प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में पहली बार बदलाव हुआ है. छात्रों की तरह शिक्षकों के लिये भी पुस्तकें भेजी गयी है. इससे जहां कमजोर शिक्षकों की नींद हराम हो गयी है. वहीं मेधावी शिक्षकों का मनोबल बढ़ गया है.

शिक्षकों के लिये भेजी गयी इस पुस्तक को शिक्षक साथी का नाम दिया गया है. सत्र 2013 से हिंदी और गणित विषय में पढ़ाने का तरीका बताने के लिये पहली बार मैनुअल तैयार की गयी है. प्रथम चरण में कक्षा एक से पांच के लिये शिक्षकों के लिये पुस्तक भेजी गयी है.

शिक्षक भरेंगे तालिका
सत्र 2013 में नयी पुस्तकें छात्रों को दी जा रही है. जिसे पढ़ाने के लिये शिक्षकों को नये प्रयोग करने होंगे. हर पाठ के बाद दी गई तालिका को शिक्षक भरेंगे. सभी प्राथमिक व मिडिल स्कूलों में प्रोग्रेस रिपोर्ट संधारण का सरकार ने निर्णय लिया है. प्रत्येक विद्यार्थी के लिये कक्षावार व विषयवार पूरे साल में चार माह पर इस प्रोग्रेस रिपोर्ट को भरना जरूरी होगा. जुलाई,नवंबर व मार्च में इस प्रोग्रेस रिपोर्ट को भरना जरूरी होगा. यह छात्र छात्राओं की उपलब्धियों का दर्पण होगा. इसी आधार पर मूल्यांकन भी होगा.

शिक्षक बनेंगे गाइड
अब स्कूलों में शिक्षक सिर्फ टीचर ही नहीं गाइड की भूमिका में भी रहेंगे. शिक्षक बच्चों से बातचीत कर भयमुक्त वातावरण का निर्माण करेंगे. बच्चों को सरल व स्पष्ट भाषा में निर्देश देंगे. टीचिंग लर्निग मैटेरियल का हर हाल में उपयोग करेंगे. शिक्षक या शिक्षिका बच्चों की बातों को ध्यान से सुनेंगे. जब बच्चे गतिविधि कर रहे हों तो शिक्षक लगातार अवलोकन करेंगे. बच्चों की गलतियों को पहचान कर उसका समाधान करेंगे. समय समय पर शिक्षक बच्चों को प्रोत्साहित भी करेंगे.

ट्रेडिशनल टीचिंग को बाय-बाय
पढ़ाई के नये तौर तरीके के लिये अब परंपरागत तरीके को शिक्षक छोड़ेंगे. वे दिल लद गये जब शिक्षक क्लास में अपना लेर दे देते थे और सभी छात्र उसे सुन लेते थे. अब बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने कहा है कि अब ऐसा नहीं चलेगा. क्योंकि सभी बच्चों की दक्षता एक जैसी नहीं होती है. अब शिक्षक बच्चों के हर सवाल का जवाब देंगे. पढ़ाने के दौरान उन्हें पहले पाठ की भूमिका या इंट्रोडक्सन को समझाना होगा. बच्चों के सीखने व समझने के लिये उन्हें ग्रूप डिस्कशन भी करना होगा.

शिक्षक अब अपनी नहीं छात्र छात्राओं के बोलने व लिखने की दक्षता को विकसित करेंगे. हिंदी को ही लें सवाल चाहे कविता की हो या कहानी की शिक्षकों को बच्चों के अभिव्यक्ति को विकसित करने के तौर तरीके पर गाइड करना होगा. कैसे गाइड करेंगे ये उन्हें शिक्षक साथी नामक पुस्तक से जानकारी मिलेगी. बिहार शिक्षा परियोजना के राज्य निदेशक राहुल सिंह का मानना है कि अगर शिक्षक मैनुअल के अनुसार पढ़ाने में सफल हो गये तो यह वर्ष 2013 के इतिहास में बाल शिक्षा के क्षेत्र में भारी कामयाबी साबित होगी.

जांच कार्य में आयेगी तेजी
अब शिक्षक प्रत्येक बच्चे का लिखित व मौखिक अभ्यासों की जांच करेंगे. अगर कोई कमी बच्चे में पाते हैं तो उसे दूर करने के लिये पाठ की पुनरावृत्ति करेंगे. शिक्षक जांच से यह जानने की कोशिश करेंगे कि बच्चों ने सीखा या नहीं. नहीं सीखने वाले बच्चों की पहचान भी शिक्षकों को करनी होगी.

आधुनिक विधि से होगी पढ़ाई
कितने बच्चों ने क्या क्या सीखा इसे शिक्षक संदर्शिका पर भरेंगे. कितने बच्चों ने कविता को लय के साथ पढ़ा या फिर कितने बच्चों ने कहानियों को समझ कर पढ़ा. कितने बच्चे धारा प्रवाह बोल सकते हैं.

कितने बच्चे शब्द सुनकर लिख सकते हैं. कितने बच्चे राष्ट्रगान को लय के साथ सुना सकते हैं. कितने बच्चे साफ साफ लिख सकते हैं. कितने बच्चे शिक्षकों से सवाल पूछते हैं. कितने बच्चे अखबार पढ़ते हैं. इन सभी सवालों का जवाब शिक्षकों को मैनुअल में दिये गये भाग में भरना है.

क्या कहते हैं अधिकारी
जिला शिक्षा पदाधिकारी श्रीराम सिंह का कहना है कि शिक्षक सहयोग संदर्शिका शिक्षकों के लिये पुस्तक का काम करेगी. शिक्षकों को नयी पद्धति से पढ़ाने का अवसर मिलेगा जिससे शिक्षकों की क्षमता में निखार आयेगा. उन्होंने बताया कि डीपीओ सर्वशिक्षा अभियान को यह निर्देश दिया गया है कि वे इस बात की जांच करेंगे कि सभी शिक्षक चार माह पर प्रोग्रेस रिपोर्ट भरें व सतत व व्यापक मूल्यांकन नियमित रूप से करें.

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