मधुबनी : भले ही नगर परिषद द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत वार्डों को ओडीएफ घोषित कर दिया गया हो. पर खुले में शौच से अब तक शहर को निजात नहीं मिल सका है. शहर के वार्डों में अभी भी खुले में शौच को जाने को लोग मजबूर हैं. दो अक्टूबर 2018 को शहर को ओडीएफ घोषित कर दिया गया. कुछ पार्षदों को छोड़ अधिकांश पार्षदों ने अपने अपने संबंधित वार्डों का ओडीएफ क्लीयरेंस का प्रमाण पत्र भी दे दिया. पर अब तक शहर में न तो सामुदायिक और न ही पब्लिक टॉयलेट नहीं है.
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बिना कम्युनिटी शौचालय बनाये ही कर दिया शहर को ओडीएफ
मधुबनी : भले ही नगर परिषद द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत वार्डों को ओडीएफ घोषित कर दिया गया हो. पर खुले में शौच से अब तक शहर को निजात नहीं मिल सका है. शहर के वार्डों में अभी भी खुले में शौच को जाने को लोग मजबूर हैं. दो अक्टूबर 2018 को शहर को […]
आनन फानन में निविदा निकाल दिया गया. लेकिन अब तक निकाले गये निविदा पर कार्य शुरू भी नहीं हुआ है. आलम यह है कि शहर के प्रमुख इलाकों में एक भी कम्यूनिटी शौचालय नहीं है. जिला मुख्यालय होने के कारण कार्यालय के काम या बाजार के काम के लिए आने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है.
यहां यह बता दें कि सामुदायिक शौचालय निर्माण किस जगह पर होना है और किस जगह पर इसकी अधिक जरूरत है, इसका सही से विभाग के पास अब तक जानकारी नहीं है. इसका सर्वे ही नहीं किया गया. जहां जिस जगह खाली लगा वहां पर शौचालय निर्माण के लिये टेंडर निकाल दिया गया.
2018 में निकाली थी निविदा. नियम के अनुसार शहर में उन गरीबों को जिनके पास शौचालय निर्माण के लिए जमीन नहीं है उनके लिए सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया जाना था.
एक भी लोग शौचालय से वंचित न रहे यह सुनिश्चित करने के बाद उसके बाद ही शहर को ओडीएफ करना था. 25 मार्च को एक दैनिक अखबार में सार्वजनिक शौचालय निर्माण के लिए निविदा का प्रकाशन किया गया. 13 अप्रैल को दस सामुदायिक शौचालय के लिए कार्यादेश दिया गया. पर अब तक एक आध को छोड़ निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हुआ.
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