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ईंट को ले मचा हाहाकार, अधूरी तैयारी के बीच इ-चालान हुआ लागू

मधेपुरा : जिले में ईंट आपूर्ति बंद हो जाने से एक बारगी बालू, गिट्टी के बाद ईंटों के लिए भी हाहाकार प्रारंभ हो गया है. बिहार सरकार द्वारा 15 जनवरी से इ-चालान व्यवस्था लागू करने के निर्देश तथा ईंट प्रेषण के लिए इसकी बाध्यता के बाद ईंट भट्ठों से ईंट की आपूर्ति बंद है. इस […]

मधेपुरा : जिले में ईंट आपूर्ति बंद हो जाने से एक बारगी बालू, गिट्टी के बाद ईंटों के लिए भी हाहाकार प्रारंभ हो गया है. बिहार सरकार द्वारा 15 जनवरी से इ-चालान व्यवस्था लागू करने के निर्देश तथा ईंट प्रेषण के लिए इसकी बाध्यता के बाद ईंट भट्ठों से ईंट की आपूर्ति बंद है. इस बाबत खान व भूतत्व विभाग के विशेष सचिव सह निदेशक द्वारा स्पष्ट निर्देश है कि यदि कोई ईंट से भरा वाहन बिना इ चलान के माध्यम से परिचालित होता हुआ पाया जाय तो उसे अविलंब जब्त करते हुए नियमानुसार कार्रवाई की जाय.

यह अलग बात है कि आधी अधूरी तैयारी के साथ व्यवस्था को लागू करने का खामियाजा ईंट भट्ठा मालिक के साथ-साथ गृह निर्माण कर रहे लोग, सरकारी निर्माण कार्य, दैनिक मजदूरों पर भी पड़ रहा है. मजे की बात है कि इस व्यवस्था को 15 जनवरी से लागू होना था. लेकिन खान व भूतत्व विभाग के द्वारा इ-चालान के लिए वर्णित पोर्टल पर भी 15 जनवरी को इ-चालान जारी करने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी. वहीं 17 जनवरी को भी जिले के किसी भी ईंट भट्ठा मालिक को यूजर आइडी पासवर्ड उपलब्ध नहीं कराया जा सका है. आलम यह है कि अगर पूरी रफ्तार से भी चेकलिस्ट व बाकी प्रक्रिया को पूरा करने की कवायद की जाय तो अगले 15 दिन तक यही स्थिति रहने की आशंका है.

कहते हैं ईंट व्यवसायी
ईंट व मिट्टी पर इ-चालान का नियम ईंट निर्माताओं के लिए न्याय प्रद नहीं है. सभी ईंट निर्माता खनन विभाग व जीएसटी का टास्क देते हैं. फिर इ चलान का कोई औचित्य नहीं है. मिट्टी के खेतों व ईंट भट्ठों पर इंटरनेट सुविधा व कंप्यूटर ऑपरेटर की सुविधा भी एक बड़ी चुनौती है. ऐसी स्थिति में ई चलान जेनरेट करना बहुत ही कठिनाई का काम है. विक्रेता कहते हैं कि वे भी उसी प्रकार के उत्पादक है जैसे अन्य रोजर्मरा वस्तुओं के उत्पादक जो कि खनिज पदार्थ कच्च माल के रूप में प्रयोग करते हैं. चिमनी पर प्रतिदिन 200 से अधिक लेवर कार्य करते हैं. काफी दैनिक खर्च होता है. ऐसे में ईंट बिक्री पर रोक लगने से कई तरह की कठिनाई प्रारंभ है.
देहाती क्षेत्र के ईंट भट्ठा पर कैसे होगी व्यवस्था
ईंट भट्ठा ज्यादातर आबादी से दूर सुदुर देहाती क्षेत्रों में होते हैं. वहां सुविधाओं का अभाव होता है. उन क्षेत्रों में जहां बिजली तक नहीं है वहां इंटरनेट, कंप्यूटर, प्रिंटर के साथ ऑपरेटर रखना होगा ताकि इ चलान लागू हो सके. इसके लिए पूर्व तैयारी के नाम पर सरकार द्वारा महज खानापूर्ति की गयी. यहां तक की खुद विभाग के साइट पर 15 जनवरी को इ चलान जारी करने की सुविधा नहीं थी. अभी तक जिले में एक भी ईंट भट्ठा को यह सुविधा नहीं मिल पायी है. उस पर से कई क्षेत्रों में ईंट के ट्रैक्टर पकड़ने का कार्य शुरू है.
लोगों ने कहा, इस तरह तो कांप जायेगा घर बनाने के नाम पर रूह
गृह निर्माण कर रहे लोगों ने कहा कि बिहार सरकार नये नियम को लागू करें, लेकिन इसके लिए पूर्व की तैयारी दुरूस्त होनी चाहिये. इसके बजाय तुगलकी तरीके से आनन फानन में नियम बना कर लागू करने का प्रयास किया जाता है. इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है. बालू गिट्टी के लिए बनायी गयी नीति से अभी तक लोग परेशान है. इस नये नियम के बाद तो बिहार में घर बनाने के नाम से रूह कांपने की स्थिति है. नगर परिषद समेत आसपास के तमाम क्षेत्र में ईंटों की किल्लत का असर साफ-साफ दिखने लगी है.
जिले में लगभग 30 ईंट भट्ठा विभाग से अनुज्ञप्ति प्राप्त है. सभी भट्ठा मालिक को चेकलिस्ट उपलब्ध करा दिया गया है. जांच के बाद अविलंब यूजर आइडी व पासवर्ड उपलब्ध करा दिया जायेगा. नयी व्यवस्था है. शुरुआत में थोड़ी कठिनाई होती है, लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक हो जायेगा. ईंट की कमी नहीं है. जल्द ही लोगों को ईंट मिलना शुरू हो जायेगा.
मनोज कुमार झा, जिला खनन पदाधिकारी,

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