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कोरोना काल के बाद पहली बार पटरी पर बढ़ा ट्रेनों का लोड, बिहार में आउटर पर ही थमने लगी रही ट्रेनों की रफ्तार

बीते 10 दिनों से यह परेशानी पटना जंक्शन आने वाले यात्रियों के साथ हो रही हैं. जंक्शन पर सिग्नल नहीं मिलने की वजह से सबसे अधिक सचिवालय व हार्डिंग पार्क के बीच आउटर पर ट्रेनें खड़ी हो रही हैं. कोई 20 मिनट तो कोई एक से डेढ़ घंटे तक ट्रेनों को आउटर पर रोका जा रहा है.

आनंद तिवारी, पटना. पहले रेलवे स्टेशन पर लंबे समय तक इंतजार और फिर घंटों आउटर पर ट्रेन के रुकने से रेलयात्रियों की परेशानियां बढ़ गयी हैं. खासकर बीते 10 दिनों से यह परेशानी पटना जंक्शन आने वाले यात्रियों के साथ हो रही हैं. जंक्शन पर सिग्नल नहीं मिलने की वजह से सबसे अधिक सचिवालय व हार्डिंग पार्क के बीच आउटर पर ट्रेनें खड़ी हो रही हैं. कोई 20 मिनट तो कोई एक से डेढ़ घंटे तक ट्रेनों को आउटर पर रोका जा रहा है. यह समस्या पैसेंजर ट्रेनों के साथ-साथ सुपरफास्ट ट्रेनों के साथ हो रही हैं. वहीं जानकारों की माने तो छठ पर्व की वजह से स्पेशल ट्रेन की संख्या बढ़ने के चलते 25 प्रतिशत तक लोड अधिक हो गया है, जिससे जंक्शन पर प्लेटफॉर्म खाली नहीं रहता और इससे आउटर पर ट्रेन रोकी जा रही हैं.

दानापुर से पटना जंक्शन आने में लग गये एक घंटे 38 मिनट

पिछले दिनों दिल्ली से कामख्या तक चलने वाली ट्रेन नंबर 15657 ब्रह्मपुत्र मेल दानापुर स्टेशन पर दोपहर 2:05 बजे पहुंच गयी. इसके बाद 2:11 पर फुलवारीशरीफ और 2:16 पर सचिवालय हाल्ट पर पहुंची. लेकिन सचिवालय हाल्ट से खुलने के बाद इस ट्रेन पटना जंक्शन के आउटर पर घंटों रोक दिया गया. ऐसे में यह ट्रेन को 2:20 के बदले दोपहर 3:43 बजे पटना जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर पहुंची. इस तरह इस ट्रेन को दानापुर से पटना जंक्शन आने में एक घंटे 38 मिनट से भी अधिक का समय लग गया. यही स्थिति दिल्ली व इस्लामपुर से चलने वाली मगध एक्सप्रेस, मालदा टाउन फरक्का एक्सप्रेस में भी देखने को मिला. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बीते 10 दिन से रोजाना एक दर्जन से अधिक ट्रेनें आउटर पर रुक रही हैं.

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135 से बढ़कर 200 हुई प्रतिदिन आने वाले गाड़ियों की संख्या

ऐसे स्टेशन पर जहां दो वाले सिग्नल हों वहां ट्रेन को प्लेटफॉर्म पर लाने से पहले अगर रोकना हो तो सबसे पहले आउटर सिग्नल पर ही रोका जाता है. यह स्टेशन पर आने से पहले ट्रेन का पहला स्टॉप साइन होता है. इसे स्टेशन से ठीक-ठाक दूरी पर बनाया जाता है. अगर आउटर सिग्नल मौजूद नहीं है तो ट्रेन का पहला स्टॉप सिग्नल होम सिग्नल होता है. आउटर सिग्नल को होम सिग्नल से भी अच्छी-खासी दूरी दी जाती है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अगर ट्रेन को होम से पहले कहीं रोकने की जरूरत पड़े तो आराम से रोक दिया जाये. छठ पर्व के चलते इन दिनों पटना जंक्शन पर रोजाना 200 से अधिक ट्रेनें गुजर रही हैं. जिससे ट्रैक पर लोड बढ़ा है. इससे पहले 120 से 135 के बीच ट्रेनों का आवागमन होता है. ऐसे में अगर प्लेटफॉर्म पर पहले से कोई गाड़ी मौजूद है. इसलिए उस प्लेटफॉर्म पर आने वाली ट्रेन को आउटर पर रोक दिया जाता है. भले ही आपकी गाड़ी सही टाइम पर पहुंची हो.

प्लेटफॉर्म खाली होने पर ही दूसरी ट्रेन लाने का निर्देश

छठ पर्व पर यात्रियों की हो रही अतिरिक्त भीड़ व सुरक्षा और संरक्षा को देखते हुए रेलवे ने कई निर्णय लिया है. इसी क्रम में ड्राइवर, गार्ड व स्टेशन मास्टर को भी कहा गया है कि जब तक पैसेंजर पूरी तरह से ट्रेन में चढ़ न जाएं या फिर प्लेटफॉर्म पूरी तरह से खाली नहीं हो जाएं तब तक ट्रेन को चलाना नहीं है. यही वजह है कि कई बार आउटर पर ट्रेनों को खड़ा करना पड़ रहा है. धीरे-धीरे ट्रैफिक लोड कम होगा ट्रेनें पूर्व की भांति आवागमन करने लगेंगी.

  • वीरेंद्र कुमार, सीपीआरओ, पूमरे.

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