लखीसराय : गरमी आते ही जिले भर में अगलगी की घटना में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. अब तक हजारों एकड़ में लगी फसल आग की भेंट चढ़ चुकी है. अकेले मार्च महीने में अगलगी की 21 घटनाएं हुई हैं. जिले में अगलगी की घटना पर नियंत्रण पाने के लिए अग्निशमन विभाग के पास पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. जिला में दो बड़ा दमकल के अलावे सूर्यगढ़ा, हलसी, बड़हिया व रामगढ़चौक में 300 लीटर क्षमता बाला मिनी अग्निशामक है.
क्रमश: 4500 व 3000 लीटर क्षमता वाला दोनों बड़ा दमकल खटारा हो चुका है जो आग पर नियंत्रण पाने में खुद हांफ रहा है. अब तक जनता के करोड़ों रुपये की संपत्ति अग्नि की प्रचंड ज्वाला में स्वाहा हो चुकी है. बावजूद इसके प्रशासन समस्या के समाधान के प्रति संवेदनशील नहीं है. इस संबंध में पिपरीया प्रखंड के रामचंद्रपुर ग्रामवासी समाजसेवी शिव पार्वती नंदन सिंह उर्फ बमबम बाबू ने बताया कि पिपरिया प्रखंड क लगभग पांच पंचायतों में हर वर्ष अाग लगने से लाखों की संपत्ति का नुकसान हो जाता है.
दियारा क्षेत्र होने के कारण गांव में अधिकांश खती व मजदूरी करने वाले परिवार के लोग रहते हैं. जिनका घर खर फूस का बना रहता हैं. जिसमें कही से भी एक छोटी चिनगारी निकलते ही पूरे टोला को अपने आगोश में अग्नि देव ले लेते हैं जिसमें घर के साथ साथ उनकी जमा पूंजी भी अगलगी में जल कर राख हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि अग्नि प्रभावितों के बीच सरकारी सहायता का वितरण कर अपने कर्तव्यों का इतिश्री लेना प्रशासनिक व्यवस्था की नियति बन गई है.
सरकार द्वारा आदेश के बाद जिला प्रशासन लोगों को प्यास लगने पर कुआं खोदता है. स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली अजीबोगरीब है. जब तक दमकल घटनास्थल तक पहुंचता है सबकुछ जलकर राख हो चुका होता है.