लखीसराय : शारदीय नवरात्रा को लेकर प्रसिद्ध जागृति पीठ मां बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर में श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए सजावट व व्यवस्था को अंतिम रूप दिया जा रहा है. 21 सितंबर को विद्वान पंडितों के मंत्रोच्चारण के साथ कलश स्थापना की जायेगी. इस मंदिर की स्थापना पालवंश के समय पंडित सह तांत्रिक श्रीधर ओझा जी द्वारा माता के दर्शन एवं आशीर्वाद से किया था.
ज्ञात हो कि कश्मीर के वैष्णो देवी की स्थापना श्रीधर ओझा जी द्वारा ही किया गया था़. वहां भी मंदिर के नीचे बरही गांव है जो शोध का विषय है. यह मंदिर भागलपुर-पटना के मध्य सड़क व रेल मार्ग पर गंगा व हरूहर नदियों से चारों ओर घिरे कल कल पानी के बीच प्राकृतिक हरियाली की गोद में लखीसराय जिला के बड़हिया में विराजमान है़ इस मंदिर की 156 फीट ऊंची संगमरमरी रूप भी लोगों के मन को बहुत भाता है. जिसके दर्शन के लिये प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. इसके अलावा शारदीय एवं वासंतिक नवरात्रा में नौ दिन राज्य के कोने-कोने से एवं दूसरे राज्यों से भी श्रद्धालु माता के दर्शन के लिये आते हैं.
जिनके द्वारा माता के जयकारा से बड़हिया शक्तिपीठ धाम गुंजते रहता है. इस मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा पांच पिडिंयों की पूजा अर्चना एवं दर्शन किया जाता है. पंडित श्रीधर ओझा जी ने माता के आदेश से बालू, मिट्टी की चार पिंडियां बनायी थी. जिनमें पहला मां बाला त्रिपुर सुंदरी, दूसरा माता महाकाली, तीसरा माता महालक्ष्मी एवं चौथा माता महासरस्वती की पिंडियां बनायी और प्राण प्रतिष्ठा देकर स्थापित कर दी. जिसके बाद मां के आशीर्वाद से श्रीधर ओझा जी ने जलसमाधि ले ली. बाद में माता के श्रद्धालुओं ने भक्त श्री ओझा जी का के लिए भी पांचवीं पिंडी बना कर एक कोने में स्थापित कर दिया. जिस वजह से वर्तमान समय में इस मंदिर में पांच पिडिंयों की पूजा अर्चना होती है.
कैसे हुई माता स्थापित . आलेखों के अनुसार भक्त श्रीधर ओझा जी माता के सच्चे भक्त थे. वे गंगा किनारे कुटिया बना कर रहते थे. एक दिन मां ने रात्रि में स्वप्न में साक्षात दर्शन दी और कहीं कि वे ज्योति स्वरूप खप्पर में प्रात: गंगा की धारा होकर जा रही हैं. भक्त श्री ओझा जी को प्रात: उठे और अपना क्रियाक्रम कर गंगा के तट पर पहुंच कर पानी को एकटक से निहारने लगे. उदयमान भास्कर की लालिमा जैसे ही जलधारा पर पड़ी वैसे ही माता के ज्योति स्वरूपा खप्पर पर भक्त श्रीधर ओझा जी का नजर पड़ी.
वे खुशी से पागल हो गये. ज्यों ही उनके सामने माता के ज्योति स्वरूपा खप्पर आयी वैसे ही श्री ओझा जी गंगा में कूद पड़े और उनके सामने प्रकट हो गये. माता उनके भक्ति से बड़ा प्रभावित होकर खुश हुई और वरदान मांगने को कही. जिस पर भक्त श्री ओझा जी ने माता से इस गांव में विराजमान रहने का वरदान मांगा. माता ने उन्हें वरदान दे देने के साथ कहा कि वे गंगा की मिट्टी में वास करेंगी.
बोले मंदिर सचिव . मंदिर ट्रस्ट के सचिव जयशंकर प्रसाद सिंह उर्फ भादो बाबू ने बताया कि शारदीय नवरात्रा की तैयारियां पूर्ण कर ली गयी है. शांति व्यवस्था के लिये पचास वोलेंटियर महिला पुरुष, सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है. ताकि श्रद्धालुओं को दस दिन पूजा अर्चना में कष्ट न हो.
पूजा की सारी तैयारी पूरी, कल होगी कलश स्थापना
मंदिर प्रबंध वोलेंटियरों को करते हैं प्रतिनियुक्त
मंदिर व्यवस्थापक द्वारा शारदीय नवरात्रा में राज्य और दूसरे राज्य से आने वाले माता भक्तों को पूजा अर्चना में सुविधा व शांति व्यवस्था को लेकर लगभग 50 महिला पुरुष वोलेंटियर को रखा गया है. जिससे भक्त शांति व्यवस्था के बीच पूजा अर्चना व दर्शन कर सके. महिला और पुरुष के लिये अलग अलग पूजा अर्चना एवं दर्शन की व्यवस्था की गयी है. मंदिर व्यवस्थापक की मांग पर जिला प्रशासन ने भी महिला एवं पुरुष पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति नौ दिनों के लिये मंदिर में की है.
माता का मुख्य प्रसाद
मां बाला त्रिपुर सुंदरी माता के मुख्य प्रसाद में बतासा, पेड़ा, नारियल, रोरी, अक्षत आदि हैं.
लगे हैं सीसीटीवी कैमरे
इस वर्ष मंदिर व्यवस्थापक द्वारा भीड़ को नियंत्रण के लिये मंदिर में सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है, ताकि भीड़ पर नजर रखी जा सके. केबुल द्वारा इसके प्रसारण की भी व्यवस्था की गयी है. मंदिर में मां बाला त्रिपुर सुंदरी का प्रत्येक वर्ष दो बार पूजा होती है. एक शतचंडी यज्ञ, दूसार ग्रामता पूजा. शतचंडी कृषि कल्याणार्थ और ग्रामता नगर तथा आसपास के इलाकों के कल्याणार्थ किया जाता है. जिसमें 11 विद्वान पंडितों द्वारा दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है.