किशनगंज : शहर के सुभाषपल्ली स्थित सार्वजनिक काली मंदिर का अपना वैभवपूर्ण इतिहास रहा है. आदि काल से ऐसी मान्यता चली आ रही है कि सच्चे मन से यहां स्थापित मां काली के समक्ष माथा टेक मांगने वालों की मां काली हर मुरादें अवश्य पूरी करती हैं. यही कारण है कि इसे लोग मन्नतों वाली मां के नाम से भी पुकारते है.
वर्षों पूर्व काली स्थान के निकट अवस्थित बेल वृक्ष के समीप गुजर पासवान नामक स्थानीय व्यक्ति द्वारा बेदी का निर्माण कर प्रतिदिन पूजा अर्चना की जाती थी.
बेदी को मौसम की मार से बचाने के लिए अस्थायी टीन की छत बना दी गयी थी. उनकी भक्ति भावना से अभिभूत होकर स्थानीय लोगों ने देवी को स्थायी स्थान दिलाने की दिशा में पहल की. इस क्रम में वर्ष 1950 में स्थानीय निवासी सतीश चंद्रा ने मंदिर निर्माण के लिए अपनी जमीन दान दे दी,
जिस पर सामाजिक पहल के बाद भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया. वहीं मंदिर के निकट कालांतर में भव्य शिव मंदिर व दुर्गा मंदिर का निर्माण किया गया. स्थानीय लोगों की सहायता से वर्षों पूर्व निर्मित काली मंदिर के स्थान पर भव्य मंदिर निर्माण की योजना मंदिर कमेटी की ओर से की जा रही है.
सुभाषपल्ली वाली मंदिर में वैष्णव ढंग से पूजा होने के कारण बलि प्रथा का चलन यहां नहीं है. इसके बावजूद मंदिर के प्रति लोगों में अटूट आस्था बनी हुई है. काली पूजा के दौरान आडंबरों से दूर बिल्कुल सादगीपूर्ण ढंग से पूरे रीति रिवाज के साथ पूजा-अर्चना किये जाने से भक्तों का हुजूम मंदिर परिसर में उमड़ पड़ता है.