दिघलबैंक : सीमावर्ती क्षेत्र में जंगली हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले एक सप्ताह के भीतर चार बार हाथी इस क्षेत्र में आतंक मचा चुके है. क्षेत्र के धनतोला, करूवामनी के बाद अब अठगछिया पंचायत के कई गांवों में जंगली हाथियों ने उत्पात मचाया है. मंगलवार की तड़के सुबह चार हाथियों का झुंड सुरिभिट्टा, बारहभांग, बासबाड़ी, तलबाड़ी पहुंचा जहां कई एकड़ में लगी मकई की फसल को रौंद डाला. इससे पहले रात्रि में हाथियों का झुंड अठछिया, टंगटंगी पहुंचा, जहां चिंतागिडी के दो मकान एवं परवेज आलम के एक कच्चा मकान को गिरा दिया. कई क्विंटल धान को भी नुकसान पहुंचाया.
सुरिभिट्टा गांव के पीछे मकई की खेतों में हाथियों का झुंड घुस गया तथा घंटों मक्के की दावत उड़ायी. जंगली हाथी की सूचना पर पहुंचे वन विभाग के कर्मचारियों ने उसे भगाने का प्रयास किया, लेकिन हाथी खेत में ही डटे रहे. धीरे-धीरे हाथियों का झुंड पौआखाली के बंदरझुल्ला की ओर बढ़ गया. अभी भी हाथियों का झुंड वहीं पर है. इस दौरान वहां रहने वाले लोगों में खौफ देखने को मिला. आये दिन नेपाल के जंगलों से भटककर जंगली हाथियों का झुंड इस क्षेत्र में पहुंच कर नुकसान पहुंचा है.
पौआखाली प्रतिनिधि के अनुसार जियापोखर थानाक्षेत्र के कद्दुभिट्टा बाजार से महज दो सौ मीटर दूर मक्के की खेत में मंगलवार के दिन हाथियों के एक झुंड ने फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. ग्रामीणों के अनुसार, अहले सुबह से ही चार की संख्या में आये हाथियों के झुंड ने दिनभर अपना डेरा मक्के की खेत में जमाये रखा है.
पुलिस और वन विभाग के कर्मियों की मदद से हाथियों के झुंड को वापस नेपाल की ओर भेजने का प्रयास दिनभर जारी रहा, किन्तु हाथियों का झुंड टस से मस नहीं हुआ. समाचार प्रेषण तक हाथियों का झुंड कद्दुभिठा इलाके में ही मौजूद बताया गया है. हालांकि हाथियों के द्वारा किसी के घर बार या जान माल को नुकसान पहुंचाने की सूचना नहीं है. लेकिन, इलाके में दहशत है. शाम ढलते ही लोगों की बेचैनी बढ़ जाती है. जियापोखर पुलिस और वन विभाग के कर्मियों की नज़र हाथियों के झुंड पर बनी हुई है.
बताया जाता है कि हाथियों के झुंड में तीन बड़े व हाथी का छोटा बच्चा शामिल है, जिन्हें देखने के लिए भारी संख्या में आसपास के लोग जुटे हुए हैं. इससे पूर्व वर्ष 2016 के नवंबर माह में भी एक हाथी ने पौआखाली थानाक्षेत्र के बलकाडूबा गांव स्थित चायपत्ती बागान में उत्पात मचाते हुए एक वनकर्मी और एक महिला को कुचल कर मौत के घाट उतार दिया था, जिसके बाद प्रशासन काफी मशक्कत के बाद उस हाथी को दिघलबैंक के रास्ते नेपाल भेजने में कामयाब रहा था. ठीक वैसी ही घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसको लेकर प्रशासन ग्रामीणों को सजग करते हुए स्वयं भी सतर्क व मुस्तैद है.