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अवहेलना . डीइओ के आदेश की उड़ायी जा रही हैं धज्जियां

खगड़िया/परबत्ता: शिक्षा बाजार में प्रतिनियोजन का बाजार खुला हुआ है. बाजार में लाभ लेना है तो ले सकते हैं बस दाम सही होना चाहिये. जी हां शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव तक कड़े निर्देश देकर शिक्षकों का प्रतिनियोजन पर भले ही रोक लगा दिये हो लेकिन खगड़िया शिक्षा विभाग के अधिकारी को इन आदेशों से […]

खगड़िया/परबत्ता: शिक्षा बाजार में प्रतिनियोजन का बाजार खुला हुआ है. बाजार में लाभ लेना है तो ले सकते हैं बस दाम सही होना चाहिये. जी हां शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव तक कड़े निर्देश देकर शिक्षकों का प्रतिनियोजन पर भले ही रोक लगा दिये हो लेकिन खगड़िया शिक्षा विभाग के अधिकारी को इन आदेशों से कोई लेना देना नहीं है. हां इतना जरूर है मुख्यालय से पत्र आने के बाद एक पत्र डीइओ स्तर से निकाल कर सभी शिक्षकों को मूल विद्यालय में योगदान का आदेश दे दिया जाता है अनुपालन हुआ या नहीं यह कोई देखने वाला नहीं है. बताया जाता है कि प्रतिनियोजन के बाजार में रेट फिक्स है. बस चढ़ावा दीजिये और प्रतिनियोजन के बाजार का मजा ले सकते हैं.
नहीं रुक रहा प्रतिनियोजन का खेल . ताजा मामला शिक्षकों के प्रतिनियोजन से संबंधित है. शिक्षा विभाग के तमाम दावों के बीच जुगाड़ू शिक्षकों के द्वारा प्रतिनियोजन के नाम पर सवैतनिक छुट्टियों का मजा लेने का सिलसिला जारी है. यह कुछ सप्ताह या महीने से नहीं,बल्कि वर्षों से अनवरत चल रहा है. प्रखंड के रामपुर उर्फ रहीमपुर पंचायत अंतर्गत प्राथमिक मकतब तेमथा के दो शिक्षक विगत कई माह से प्रतिनियोजन पर हैं. यह प्रतिनियोजन तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा किया गया था. डीइओ के पत्रांक 407 दिनांक 13 मार्च 15 के द्वारा प्राथमिक मकतब तेमथा की नियोजित शिक्षिका शाहिदा खातून का प्रतिनियोजन खगड़िया प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय शर्मा टोला माड़र कर दिया गया था. इसके साथ ही इस स्कूल के एक अन्य शिक्षक ब्रजेश कुमार विगत कई वर्षों से प्राथमिक विद्यालय कुर्मी टोला श्रीरामपुर में प्रतिनियोजित हैं. यह तो महज उदाहरण हैं शिक्षा विभाग की फाइल में प्रतिनियोजित शिक्षकों की लिस्ट लंबी है.
डीइओ का आदेश भी ठंडे बस्ते में . तत्कालीन डीइओ के सेवानिवृत के बाद इस पद पर आसीन होने वाले पदाधिकारी सुरेश प्रसाद साहू ने पूर्व से किये गये सभी प्रतिनियोजनों को रद्द करने का आदेश दिया गया था. डीइओ के ज्ञापांक 156 दिनांक 03 फरवरी 17 के अनुसार शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के पत्रांक 35 दिनांक 22 सितंबर 16 के आलोक में जिले में एक शिक्षकीय विद्यालय तथा न्यायालय के आदेश से प्रतिनियुक्त शिक्षकों को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के प्रतिनियोजन को रद्द कर दिया गया. साथ ही आगे से किसी का प्रतिनियोजित नहीं करने का निर्देश दिया गया. जिले के सभी बीइओ इस पत्र के माध्यम से निर्देश दिया गया कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके प्रखंड में कोई शिक्षक प्रतिनियोजित नहीं है. इस आदेश के अनुपालन के लिये तीन दिनों का समय दिया गया था. यह समय सीमा बीते महीनों बीत गये लेकिन अनुपालन हुआ या नहीं यह गारंटी शिक्षा विभाग के कोई अधिकारी नहीं दे रहे हैं.
क्या कहता हैं सरकारी नियम. शिक्षा विभाग के नियमावली के अनुसार नियोजित शिक्षकों के प्रतिनियोजन का कोई नियम नहीं है. इस संबंध में सूचना का अधिकार के तहत मांगी गयी. दी गयी सूचना में शिक्षा विभाग के प्राथमिक शिक्षा निदेशक कार्यालय के लोक सूचना पदाधिकारी संजीव कुमार के पत्रांक 1314 दिनांक 12 अगस्त 2009 के अनुसार पंचायत तथा प्रखंड शिक्षकों के प्रतिनियोजन का प्रावधान नहीं है. इन प्रतिनियोजनों में नियोजित शिक्षकों से संबंधित मूल सिद्धांतों की अवहेलना की गयी है. नियोजित शिक्षकों के बारे में सरकार का रुख यह है कि ये राज्य सरकार के नहीं बल्कि नियोजन ईकाईयों के कर्मी हैं. सरकार नियोजन ईकाईयों को अनुदान देती है तथा नियोजन इकाई इस अनुदान से अपने कर्मियों को भुगतान देती है.ऐसे में सवाल यह है कि जब नियोजित शिक्षक एक नियोजन इकाई के कर्मी हैं तो उनकी सेवा दूसरे नियोजन इकाई के द्वारा कैसे लिया जा सकता है.

कैसे चलता है प्रतिनियोजन का बाजार
कहा जाता है कि प्रतिनियोजन कराने वाले शिक्षकों को अपने काम के लिये हर द्वार देखा हुआ है.उनके इस कार्य में कभी जिला स्तर के पदाधिकारी तो कभी प्रखंड स्तर के पदाधिकारी मददगार साबित होते हैं. लेकिन हर बार इन प्रतिनियोजनों में छात्र हित और जन हित को कारण बताया जाता है. आम तौर पर विद्यालयों से फरार रहने वाले शिक्षक अपना प्रतिनियोजन वैसे स्कूलों में कराते हैं जहां निरीक्षण आदि होने की संभावना कम होती है.कई बार महिला शिक्षिका अपने मायके या ससुराल में रहने के उद्देश्य से इस सुविधा का उपयोग करती हैं. कुछ मामलों में अवैध अनुपस्थिति को ढंकने के लिये इसका उपयोग होता है. कुछ शिक्षकों ने अपने हृदय की सर्जरी के लिये डिप्टेशन कराया. तो कई शिक्षकों ने देवघर जाने के लिये इस जुगाड़ का उपयोग किया.

कहते हैं डीइओ
फरवरी में नये सिरे से पूर्व में किये गये सभी प्रतिनियोजन को रद्द कर दिया गया है. साथ ही सभी प्रखंड के बीइओ को पत्र भेज कर यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि कोई शिक्षक प्रतिनियोजित नहीं है. फिर भी प्रतिनियोजन किया गया है या कोई शिक्षक प्रतिनियोजित हैं तो इसकी जांच करा कर उचित कार्रवाई की जायेगी.
– सुरेश प्रसाद साहु, जिला शिक्षा पदाधिकारी.

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