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निजी स्कूल में फीस के नाम पर लुट रहे अभिभावक

फार्म से लेकर नामांकन फीस तक स्कूल संचालकों की मनमानी से हो रही परेशान आरटीइ भी निजी स्कूल संचालकों के लिए नहीं रखता कोई मायने शिक्षा विभाग भी मामले के प्रति बना हुआ है उदासीन खगड़िया : निजी स्कूलों में बच्चों का नामांकन कराने में अभिभावक लुट रहे हैं. शिक्षा विभाग भी इसके प्रति गंभीर […]

फार्म से लेकर नामांकन फीस तक स्कूल संचालकों की मनमानी से हो रही परेशान

आरटीइ भी निजी स्कूल संचालकों के लिए नहीं रखता कोई मायने
शिक्षा विभाग भी मामले के प्रति बना हुआ है उदासीन
खगड़िया : निजी स्कूलों में बच्चों का नामांकन कराने में अभिभावक लुट रहे हैं. शिक्षा विभाग भी इसके प्रति गंभीर नहीं है. फार्म से लेकर नामांकन फीस तक स्कूल संचालकों की मनमानी से अभिभावक परेशान हैं. आरटीइ इन निजी स्कूल संचालकों के लिए कोई मायने नहीं रखता है.
शिक्षा विभाग भी उदासीन
शिक्षा विभाग कुछ स्कूल संचालकों को आरटीइ के नियमों की प्रति भेज कर निश्चिंत हो गया है. स्कूलों के पंजीयन में लेन-देन का खेल हावी है. इसके सामने मानक की अनदेखी की जा रही है. आरटीइ के तहत नामांकन की प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है. सीबीएसइ से मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त स्कूल में नामांकन का मौसम आ गया है. जिले में इस तरह के स्कूल शहर से लेकर गांव तक कुकुरमुत्ते की तरह खुले हुए हैं.स्कूल अपने नामांकन के प्रारूप को गोपनीय रखे हुए है. हां, पंजीयन के नाम पर वसूल का खेल शुरू हो चुका है.
फार्म के नाम पर हो रही 100 से 400 रुपये तक की वसूली
सीबीएसइ से मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में नामांकन फार्म के नाम पर 100 रुपये से 400 रुपये वसूले जाते हैं. शहर से लेकर गांव तक सीबीएसइ के स्कूल खुले हुए हैं. कई ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल भी मान्यता प्राप्त हैं. इन स्कूलों में नामांकन से लेकर फीस तक में अभिभावकों का आर्थिक शोषण हो रहा है. गोगरी की आरती देवी बताती हैं कि छोटे बच्चों को बिना टेस्ट लिए ही नामांकन लेना है, लेकिन कक्षा एक के भी छात्रों का टेस्ट लिया जाता है. जमालपुर बाजार की खुशबू कुमारी बताती हैं कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत बच्चों को नि:शुल्क रजिस्ट्रेशन फार्म दिया जाता है या फिर 25 रुपये ही लेना है. लेकिन इसकी जगह स्कूल संचालकों के द्वारा 100 से 400 रुपये तक शुल्क लिये जाते हैं.
नामांकन को लेकर प्रशासनिक आदेश
री-एडमिशन के नाम पर स्कूलों को कोई शुल्क नहीं लेना है.
निर्धारित दुकान से ड्रेस और बुक खरीदने के लिए बाध्य नहीं करना है.
पब्लिकेशन नहीं बदलना है, बुक लिस्ट ओपन करना है.
बीपीएल वालों के नामांकन में पूरी पारदर्शिता रखनी है.
विकास चार्ज, वार्षिक शुल्क नोटिस बोर्ड पर डिस्पले करना है.
एडमिशन का प्रारूप सार्वजनिक करना है.
फीस स्ट्रक्चर में एकरूपता रखना है.
शुल्क बढ़ाने से पहले अभिभावकों से बातचीत करनी है.
स्कूलों को एनसीइआरटी बुक ही चलानी है.
15 दिन तक स्कूल बंद रहने पर प्रबंधन छात्रों से फीस नहीं लेगा.
वर्ग में कमजोर पड़ रहे बच्चों पर शिक्षक खास नजर रखेंगे.
स्कूलों में शिकायत निवारण केंद्र बनेगा, हर हफ्ते डीइओ को रिपोर्ट देनी है.
कहते हैं अधिकारी
सभी स्कूलों को आरटीइ का अक्षरश: पालन करने के निर्देश दिये गये हैं. आरटीइ के बारे में सभी स्कूलों को जानकारी दी गयी है. समय-समय पर उन्हें निर्देश जारी किया जाता है. मानक पर खरा उतरने वाले स्कूलों का ही पंजीयन होना है. बीपीएल परिवार के बच्चों का निर्धारित कोटे पर नामांकन लेकर नि:शुल्क शिक्षा देना है. मनमाने फीस की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जायेगी.
डॉ ब्रजकिशोर सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी,खगड़िया

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