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एसआइटी के रडार पर शिक्षा माफिया

आरोप. खगड़िया के दर्जनों कॉलेजों में पैसा लेकर परीक्षा में अच्छे नंबर दिलवाने का धंधा इंटर टॉपर घोटाले से जिले के शिक्षा माफियाओं में हड़कंप है. मेधा घोटाले की जांच कर रही एसआइटी की टीम की रडार पर हैं. पूर्व से रिजल्ट में विवादों को लेकर चर्चित रहे खगड़िया के कॉलेजों में भी डिग्री के […]

आरोप. खगड़िया के दर्जनों कॉलेजों में पैसा लेकर परीक्षा में अच्छे नंबर दिलवाने का धंधा

इंटर टॉपर घोटाले से जिले के शिक्षा माफियाओं में हड़कंप है. मेधा घोटाले की जांच कर रही एसआइटी की टीम की रडार पर हैं. पूर्व से रिजल्ट में विवादों को लेकर चर्चित रहे खगड़िया के कॉलेजों में भी डिग्री के काले कारोबार से शिक्षा माफिया के मालामाल होने की खबर हैं.
खगड़िया : इंटर मेधा घोटाले की जांच कर रही एसआइटी टीम के रडार पर बिहार के 100 से अधिक शिक्षा माफियाओं के रहने की खबर से खगड़िया में भी खलबली मची हुई है. इधर, खगड़िया तक एसआइटी के पहुंचने की आहट से शिक्षा माफिया सहमे हुए हैं. कई कॉलेजों में फाइल-रजिस्ट्रर को दुरुस्त करने का काम भी युद्धस्तर पर जारी रहने की खबर है. बताया जाता है कि खगड़िया के शिक्षा माफिया भी टॉपर के खेल में शामिल रहे हैं.
पूर्व के इतिहास के अनुसार मैट्रिक व इंटर के रिजल्ट पर उत्पन्न हुए विवाद कुछ इसी ओर इशारा भी कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार इंटर टॉपर घोटाले में गिरफ्तार शातिर व बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष से पूछताछ के कई जिलों में फैले डिग्री के काले कारोबार के बारे में अहम जानकारी एसआइटी के हाथ लगने की खबर है, जिसके आधार पर शिक्षा माफिया पर शिकंजा कसने की तैयारी जोरों पर है. एसआइटी से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि जल्द ही कई जगहों पर छापेमारी की जा सकती है.
टॉपर के खेल में शिक्षा माफिया मालामाल : खगड़िया में भी कई स्कूल-कॉलेजों में टॉपर से लेकर डिग्री बांटने का खेल करके कई शिक्षा माफिया करोड़ों के मालिक बने बैठे हैं. कई कॉलेज ऐसे हैं जहां विद्यार्थी सिर्फ परीक्षा देने ही आते हैं. ऐसे कॉलेजों में एडमिशन से लेकर अच्छे नंबर से परीक्षा पास करवाने का ठेका लिया जाता है. इसके एवज में विद्यार्थी से मोटी रकम की वसूली की जाती है. बिना पढ़े पास करने की चाहत में अभिभावक से लेकर छात्र भी अवैध रकम की मांग पूरी करने में कोई देरी नहीं करना चाहते हैं. ऐसे में इन शिक्षा माफियाओं के काले कारोबार की दुकान मजे से चलते रहते हैं और विद्यार्थी को डिग्री भी मिल जाती है. कई कॉलेज में आवश्यक संसाधन व मूलभूत सुविधा का घोर अभाव रहता है.
इन कॉलेजों में तैनात प्रोफेसर से लेकर अन्य कर्मचारी भी नामांकन या फिर परीक्षा व रिजल्ट के समय ही नजर आते हैं. इधर, ज्यादा से ज्यादा अनुदान हासिल करने के लिये अच्छे नंबर पास कराने की चाहत में कॉलेज प्रबंधन भी हर तिकड़म अपनाने से गुरेज नहीं करते हैं.
विवादों में रहा है शारदा गिरधारी कॉलेज : वर्ष 2013 में पिंकी उर्फ आस्था आनंद के इंटर में आठवां स्थान लाने की कहानी भी कम रोचक नहीं है. शारदा गिरधारी कॉलेज से परीक्षा देने वाली पिंकी उर्फ आस्था आनंद के टॉपर बनने के बाद खासा विवाद हुआ था. जांच कमेटी भी बनी. कडे एक्शन के दावे कर टॉपर घोटाले की लीपापोती कर दी गयी. हालांकि इस पूरे मामले में कॉलेज प्रबंधन से लेकर शिक्षा विभाग की खासा किरकिरी भी हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे मामले को ठंडे बस्ते में दे दिया गया. इसी तरह एक ही वर्ष में एक छात्रा के मैट्रिक व इंटर की परीक्षा देने का मामला सामने आने के बाद भी भी खासा बवाल हुआ था.
यह मामला भी इसी कॉलेज से जुड़ा हुआ है. हालांकि पूरे मामले में कॉलेज प्रशासन खुद को पाक-साफ बता रहा है. राज्य सरकार ने वर्ष 2015 में ही महेशखूंट के शारदा गिराधारी केसरी कॉलेज का एफलिएशन रद्द कर दिये जाने के बाद भी कॉलेज प्रशासन ने सत्र 2015-16 में स्नातक प्रतिष्ठा विषय के लिये 1535 छात्रों का नामांकन ले लिया. अब फार्म भरने में पेंच फंसने के बाद छात्रों के भविष्य को देखते हुए तिलकामांझी विवि प्रशासन ने अलौली के सोनिहार कॉलेज से टैगिंग कर रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी तब जाकर विद्यार्थी का भविष्य बरबाद होने से बचा है.
नियम कायदे के विपरीत काम करने वाले कॉलेजों पर विश्वविद्यालय प्रशासन की पैनी नजर है. गलत करने वाले बच नहीं पायेंगे. खगड़िया के शारदा गिरधारी केसरी कॉलेज प्रकरण में विश्वविद्यालय का रुख साफ है. इस बार 1535 छात्रों के भविष्य देखते हुए अलौली के सोनिहार कॉलेज से रजिस्ट्रेशन की अनुमति दे दी गयी. आगे से नामांकन लिया जाता है तो विश्वविद्यालय प्रशासन की कोई जवाबदेही नहीं होगी.
प्रो एके राय, प्रतिकुलपति, तिलकामांझी विश्वविद्यालय भागलपुर.
पूरे बिहार के सभी जिले के मैट्रिक व इंटर में वन टू टेन टॉपर के कॉपियों की दोबारा जांच हो जाये तो शिक्षा विभाग को मुंह छिपाने की जगह नहीं मिलेगी. शिक्षा विभाग में बड़े सर्जरी की जरूरत है. खगड़िया के वर्षों से कई कॉलेजों में भी मोटी रकम लेकर डिग्री बांटने का खेल करके शिक्षा माफिया मालामाला हो गये हैं.
सुभाष चंद्र जोशी, सामाजिक कार्यकर्ता
कॉलेज पर लगाये जा रहे सारे आरोप बेबुनियाद हैं. नियम कायदे के दायरे से बाहर जाकर काम करने की बात सरासर गलत है. सत्र 2015-16 में स्नातक में नामांकित 1535 छात्रों को अलौली के कॉलेज से टैगिंग कर दिया गया है. शारदा गिरधारी केसरी कॉलेज का राज्य सरकार से संबंधन के लिये प्रक्रिया की जा रही है. जल्द ही संबंधन प्राप्त कर लिया जायेगा.
रणधीर कुमार, कॉलेज टस्ट्र के चेयरपर्सन.
शिक्षा व्यवस्था को घुन की तरह खा रहे इन शिक्षा माफियाओं को चिन्हित कर तुरंत सलाखों के पीछे भेजा जाना चाहिये. साथ ही इनके मददगार अधिकारियों पर भी कड़ी कार्रवाई की जरूरत है. जन अधिकार पार्टी जल्द ही बदहाल शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ हर जिले में आंदोलन छेड़ कर शिक्षा माफियाओं को बेनकाब करेगी.
पप्पू यादव, सांसद सह जन अधिकार पार्टी सुप्रीमो

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