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दूर-दराज के स्कूलों में झांकने तक नहीं जाते अधिकारी

दूर-दराज के स्कूलों में झांकने तक नहीं जाते अधिकारी ———————अधिकांश विद्यालयों में पठन-पाठन की व्यवस्था पर पड़ रहा प्रतिकूल असर एमडीएम में धांधली से लेकर दूसरी योजनाओं में गोलमाल से छात्र परेशान कागज पर फर्जी हाजिरी बना कर एमडीएम में गोलमाल से योजना का बंटाधार पोशाक राशि से लेकर छात्रवृत्ति वितरण में धांधली रोक पाने […]

दूर-दराज के स्कूलों में झांकने तक नहीं जाते अधिकारी ———————अधिकांश विद्यालयों में पठन-पाठन की व्यवस्था पर पड़ रहा प्रतिकूल असर एमडीएम में धांधली से लेकर दूसरी योजनाओं में गोलमाल से छात्र परेशान कागज पर फर्जी हाजिरी बना कर एमडीएम में गोलमाल से योजना का बंटाधार पोशाक राशि से लेकर छात्रवृत्ति वितरण में धांधली रोक पाने में विभाग फेल शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों के आदेश को नहीं मानते कनीय अधिकारीफाइलों में धूल चाट रहे अधिकारियों के कई आदेशट्रेन के टाइम टेबल के हिसाब से खुलता व बंद होता है स्कूल एक ही दिन बन जाती है महीने भर की हाजिरी, छात्रों की पढ़ाई हो रही बाधित फर्जी छात्रों की उपस्थिति बना कर एमडीएम में हो रहा गोलमाल कई विद्यालय प्रधान चावल बेचते हुए पकड़े गये, प्राथमिकी के बाद भी सुधार नहीं ———————प्रतिनिधि, खगड़ियापोशाक व छात्रवृत्ति की राशि में गोलमाल, मध्याह्न भोजन में गड़बड़ी, महीनों से शिक्षक गायब … आजकल जिले के अधिसंख्य सरकारी स्कूलों में ऐसी खबरें सुर्खियों में रह रही हैं. कहीं स्कूल के प्रधान चावल की कालाबाजारी में पकड़े जाते हैं, तो किसी स्कूल में आपसी खींचतान में पठन पाठन ठप है. ऐसी कई समस्याएं हैं, जो सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को बयां कर रही हैं. स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी के आदेश को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं. नतीजतन, सुधार की बजाय स्थिति बिगड़ती जा रही है. कुल मिला कर सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति चरमरा सी गयी है. दूसरों को शिक्षा देकर ज्ञान की रोशनी फैलाने वाले गुरुजी आजकल गोलमाल पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. लिहाजा सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य उज्जवल होने की बजाय अंधकारमय हो रहा है.दूर-दराज के स्कूलों की स्थित बदतरयूं तो शहरी क्षेत्र में स्थित विद्यालयों की स्थिति भी कुछ ठीक नहीं है, लेकिन दियारा सहित दूर दराज के विद्यालयों का हाल तो बेहद बुरा है. इन स्कूलों में निरीक्षण करने की अधिकारियाें को फुरसत नहीं है. लिहाजा शिक्षकाें की मनमानी से स्कूल का हाल खस्ता है. कहीं प्रधान शिक्षक की कुरसी की मारा-मारी, तो किसी स्कूल में सरकारी योजनाआें में धांधली के बाद हो-हल्ला जैसी स्थिति ने सरकारी स्कूलों का बेड़ा गर्क कर दिया है. एमडीएम में धांधली से लेकर दूसरी योजनाओं में गोलमाल से छात्र से लेकर अभिभावक परेशान हैं. कागज पर फर्जी हाजिरी बना कर एमडीएम में गोलमाल से योजना का बंटाधार हो रहा है. पोशाक राशि से लेकर छात्रवृति वितरण में धांधली रोक पाने में विभाग फेल साबित हो रहा है. पढ़ाई छोड़ धरना-प्रदर्शन कर रहे छात्र अभी कुछ दिनों पहले प्राथमिक विद्यालय कात्यायनी स्थान के छात्र-छात्राएं समाहरणालय गेट पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे. उन्हाेंने बताया कि स्कूल में पढ़ाई नहीं होती है. सरकारी योजना की राशि का घोटाला कर छात्रों की हकमारी की जा रही है. इसलिए पढ़ाई छोड़ कर धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा. ऐसी ही हालत मथुरापुर मध्य विद्यालय, मध्य विद्यालय रानी शकरपुरा आदि की है, इन स्कूलों में सरकारी योजनाआें में गोलमाल को ले हो-हंगामा हो चुका है. 12 बजे लेट नहीं दो बजे भेंट नहीं कुछ इसी तर्ज पर अधिकांश सरकारी स्कूलों का संचालन हो रहा है. शिक्षकों को टाइम टेबल से कोई लेना देना नहीं रहता है. ट्रेन के टाइम टेबल के हिसाब से स्कूल का ताला खुलता व बंद होता है. कई विद्यालयों में तो महीनों तक विद्यालय में शिक्षक झांकने भी नहीं जाते हैं. एक ही दिन महीने भर की हाजिरी बना कर वेतन उठा लिया जाता है. फर्जी छात्रों की उपस्थिति बना कर एमडीएम में गोलमाल जोरों पर है. कई विद्यालय प्रधान चावल बेचते हुए पकड़े जा चुके हैं. कई स्कूलाें के प्रधान पर प्राथमिकी के बाद भी सुधार नहीं हो पाया है. ऐसे में बच्चाें के पठन-पाठन का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. रद्दी की टोकरी में अधिकारी के आदेश शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों के आदेश को कनीय अधिकारी तवज्जो नहीं देते हैं. प्राथमिक विद्यालय कात्यायनी स्थान में ही विभिन्न सरकारी योजनाओं में गोलमाल व पठन-पाठन में लापरवाही के खुलासा को ही लेते हैं. डीएम के निर्देश पर 14 सितंबर को डीपीओ मध्याह्न भोजन द्वारा इस विद्यालय की जांच में धांधली का खुलासा हुआ. जांच रिपोर्ट के आधार पर डीइओ ने 17 सितंबर को प्रधान शिक्षिका आशा भारती व पूर्व प्रधान दिवाकर चौधरी पर प्राथमिकी दर्ज कर बीइओ से सात दिनाें के अंदर अनुपालन प्रतिवेदन तलब किया. लेकिन महीनों बीतने के बाद भी डीइओ के आदेश पर अमल नहीं हो पाया है. फाइलों में अधिकारी के आदेश के धूल चाटने से दाल में काला की आशंका जतायी जा रही है. कहते हैं डीइओकई शिक्षकों की कारगुजारियों से शिक्षा विभाग को फजीहत झेलनी पड़ी है. हालांकि समय-समय पर विभिन्न विद्यालयों का औचक निरीक्षण कर लापरवाही बरतने वालाें पर कार्रवाई हो रही है. सरकारी स्कूलों की व्यवस्था में सुधार के लिए विभाग तत्पर है.ब्रजकिशोर सिंह, डीइओविभागीय अधिकारियों व शिक्षकों की लापरवाही से सरकारी स्कूलाें का बेड़ा गर्क हो रहा है. कागज में आदेश देकर अधिकारी कर्तव्य से पल्ला झाड़ रहे हैं. आदेश का अनुपालन हो रहा है या नहीं इसे देखने तक की अधिकारियाें को फुरसत नहीं है. सरकारी योजनाआें में गोलमाल जोरों पर है. सरकारी स्कूलाें की दुर्दशा के कारण बच्चाें का भविष्य अंधकारमय हो रहा है. सुभाष चन्द्र जोशी, शिक्षाविद् सह समाजसेवी

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