इसके बाद ही घाट की पट्टेदारी किसी भी नाविक को दी जाती है. नौका पर सर्वप्रथम तो नाव की क्षमता का बोर्ड लगाया जाना चाहिए. इसके अलावा नाव पर लोगों के बैठने की उत्तम व्यवस्था होनी चाहिए. लाइफ जैकेट भी नाव पर होना अति आवश्यक है. फंदा रस्सी और अन्य सामान का भी होना जरूरी है. पर, जिले के एक भी घाट पर नाव चलाने वाले नाविकों के पास ऐसे सामान देखने को नहीं मिलते हैं. इस कारण हादसे के समय लोगों को किसी प्रकार की सुरक्षा नहीं मिल पाती है.
कहीं-कहीं तो ऐसा भी देखा गया है कि नाव को रस्सी के सहारे नदी में इस पार से उस पार किया जाता है. इस पर रोक लगाने की जिम्मेदारी परिवहन विभाग की है. पर, एक भी दिन परिवहन विभाग के अधिकारी जांच करते हुए नजर नहीं आते हैं. यही कारण है कि फुलतौड़ा, बोरना, बदला घाट आदि जगहों पर हादसे होते रहे और प्रशासन घटना के बाद राहत कार्य में जुटा रहा.