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खुले में शौचमुक्त नहीं हुईं 19 पंचायतें

उदासीनता. सरकार के संकल्प को लग सकता है झटका, बढ़ रही तारीख पर तारीख सरकारी की महत्वाकांक्षी योजना के तहत पूरे सूबे को खुले में शौचमुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके तहत कटिहार िजले की 27 पंचायतों को खुले में शौचमुक्त किया जाना था, लेिकन अब महज आठ पंचायतें ही लक्ष्य पूरा कर […]

उदासीनता. सरकार के संकल्प को लग सकता है झटका, बढ़ रही तारीख पर तारीख

सरकारी की महत्वाकांक्षी योजना के तहत पूरे सूबे को खुले में शौचमुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके तहत कटिहार िजले की 27 पंचायतों को खुले में शौचमुक्त किया जाना था, लेिकन अब महज आठ पंचायतें ही लक्ष्य पूरा कर पायी हैं. अब िफर 28 फरवरी की तिथि िनर्धारित हुई है.
कटिहार : जिले के गंगा किनारे चार प्रखंड की 27 पंचायत अंतर्गत 51 गांवों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने का अभियान के कमजोर पड़ने पर भले ही जिला प्रशासन सख्त हो रहा हो, लेकिन स्थानीय स्तर पर अभियान में शिथिलता देखी जा रही है. इससे साफ जाहिर होता है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की वर्ष 2019 में 150वीं वर्षगांठ के मौके पर भारत को स्वच्छ घोषित करने के अभियान को झटका लग सकता है.
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा गंगा कार्य योजना के तहत देशभर में गंगा किनारे सभी गांवों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने का अभियान शुरू किया गया है.
कटिहार जिले में भी यह अभियान शुरू किया गया. शुरूआती दौर में 15 अगस्त 2016 तक चिह्नित किये गये सभी गांवों को खुले में शौच से मुक्ति दिला देने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन उस समय कटिहार जिले का एक भी पंचायत खुले में शौच से मुक्त नहीं हो सका. इसके बाद तीन चार बार अलग-अलग तिथियों में चिह्नित सभी गांव व पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त दिलाने का समयसीमा निर्धारित किया गया. लेकिन अब तक लक्ष्य पूरा नहीं हो सका. जिले के गंगा किनारे के 27 पंचायत में से मात्र आठ पंचायत को खुले में शौच से मुक्त कराने का दावा जिला प्रशासन कर रहा है.
हालांकि सूत्रों के अनुसार पांच पंचायत को खुले में शौच से मुक्त होने से संबंधी अधिसूचित किया गया है. गंगा कार्य परियोजना के तहत गंगा किनारे गांव को न केवल खुले में शौच से मुक्ति दिलाये जाने का प्रावधान है बल्कि चिह्नित गांवों के लोगों को भी व्यवहार परिवर्तन करने के लिए प्रेरित करने का लक्ष्य है.
बरारी बना है प्रशासन के लिए चुनौती : बरारी प्रखंड में गंगा कार्य परियोजना के तहत चिह्नित पंचायत को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए प्रशासन के समक्ष चुनौती बना हुआ है. इस प्रखंड के गंगा किनारे कई ऐसे गांव हैं. जो विस्थापित हैं. गंगा दार्जिलिंग पथ सहित विभिन्न चिह्नित गांवों में व्यक्तिगत शौचालय बनाने में परेशानी हो रही है. वहीं कार्ययोजना के तहत नियमित निगरानी के अभाव की वजह से इस प्रखंड के कार्यों में अन्य प्रखंडों की तुलना में थोड़ी शिथिलता है.
कैसे होगा वर्ष 2019 में स्वच्छ भारत : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ पर वर्ष 2019 में दुनिया के सामने भारत को स्वच्छ भारत घोषित करने का संकल्प लिया है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बिहार को वर्ष 2019 तक पूर्ण रूप से स्वच्छ बिहार बनाने की घोषणा की है. लेकिन पिछले छह महीने में गंगा किनारे 27 पंचायत के 51 गांव को खुले में शौच से मुक्त नहीं किया जा सका है. हालांकि स्थानीय जिला प्रशासन ने गंगा किनारे के चार प्रखंड अंतर्गत 27 पंचायत सहित अन्य प्रखंडों के पंचायतों सहित कुल 37 पंचायत को चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 में खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. इस वित्तीय वर्ष के समाप्त होने में अब मात्र डेढ़ महीना बचा हुआ है. जिले में कुल 238 पंचायत, एक नगर निगम व एक नगर पंचायत है. अगर खुले में शौच से मुक्ति दिलाने का यही रफ्तार रही तो प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के संकल्प को झटका लग सकता है.
कब-कब बढ़ायी गयी समय सीमा :
गंगा किनारे के चिह्नित पंचायत व गांव को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने को लेकर 15 अगस्त 2016 का समय निर्धारित किया गया था. इसके बाद तिथि का विस्तार करते हुये 30 नवंबर 2016 तक लक्ष्य पूरा करने की तिथि निर्धारित की गयी. इस तिथि में भी लक्ष्य पूरा नहीं हो सका. इसके बाद 31 दिसंबर 2016 की तिथि निर्धारित की गयी. लक्ष्य पूरा नहीं होने की स्थिति में फिर 26 जनवरी 2017 की तिथि निर्धारित की गयी. इसके बावजूद लक्ष्य पूरा नहीं हो सका. अब 28 फरवरी 2017 तक चिह्नित गांव व पंचायत को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने का लक्ष्य रखा गया है.
प्रशासन का दावा- आठ पंचायत खुले में शौचमुक्त जमीनी स्तर पर पांच पंचायत ही अिधसूचित
जिले की कुल 27 पंचायत को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए चिह्नित किया गया है. ये सभी पंचायत गंगा किनारे के चार प्रखंड के हैं. गंगा कार्य परियोजना के तहत इन पंचायतों में कुल 51 गांवों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाना है. इसमें अमदाबाद के भवानीपुर खट्टी, चौकिया पहाड़पुर, दुर्गापुर, किशनपुर, उत्तरी करिमुल्लापुर, पार दियारा, दक्षिणी करिमुल्लापुर, बरारी के बैसा गोविंदपुर, बकिया सुखाय, दक्षिणी भण्डारतल, गुरूमेला, कांतनगर, मोहना चांदपुर, पूर्वी बारीनगर, शिशिया, उत्तरी भण्डारतल, विशनपुर, कुरसेला के पूर्वी मुरादपुर, जरलाही, शाहपुर धर्मी, दक्षिणी मुरादपुर तथा मनिहारी के बघार
, बाघमारा, दक्षिणी कांटाकोश, धुरियाही व उत्तरी कांटाकोश शामिल है. इनमें से आठ पंचायतों को अब तक खुले में शौच से मुक्ति मिली है. यह दावा स्थानीय प्रशासन ने किया है, जबकि सूत्रों की माने तो जमीनी स्तर पर पांच पंचायत को रविवार तक अधिसूचित किया गया है. इनमें अमदाबाद के उत्तरी करिमुल्लापुर, दक्षिणी करिमुल्लापुर, किशनपुर शामिल है. साथ ही मनिहारी की दो पंचायत को भी खुले में शौच से मुक्त किया गया है. स्थानीय प्रशासन की मानें तो मनिहारी में दो और पंचायत तथा कुरसेला में एक पंचायत को खुले में शौच से मुक्त किया गया है. प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार सबसे खराब स्थिति अभी बरारी की है. खासकर गंगा किनारे बसे विस्थापित लोगों के साथ कई तरह की समस्या है. इसकी वजह से परियोजना के तहत व्यक्तिगत शौचालय बनाने में परेशानी हो रही है.
गंगा किनारे के चार प्रखंड की 27 पंचायत अंतर्गत 51 गांवों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने का रखा गया था लक्ष्य
लक्ष्य से भटका अिभयान, िफर से तय की गयी नयी तिथि
राष्ट्रपिता की वर्ष 2019 में 150वीं वर्षगांठ के मौके पर भारत को स्वच्छ घोषित करने के अभियान को लग सकता है झटका
अब 28 फरवरी तक का रखा गया है लक्ष्य
27 में से आठ पंचायत को खुले में शौच से मुक्ति दिला दी गयी है. यह सही है कि निर्धारित तिथि तक लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सका है. अब 28 फरवरी 2017 तक गंगा किनारे चिह्नित सभी पंचायतों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने का लक्ष्य रखा गया है. बरारी प्रखंड में कुछ समस्या है, जिसका समाधान किया जा रहा है.
राम निरंजन सिंह, निदेशक, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण

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