असुविधा. शहर का एक भी मैदान सुरक्षित नहीं
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स्टेिडयम सुधरे तो संवर जाये िजंदगी
असुविधा. शहर का एक भी मैदान सुरक्षित नहीं कटिहार : शहर के खिलाड़ियों के लिए शहर में अभ्यास करने के लिए एक भी मैदान मानक के अनुरूप नहीं है. जो भी मैदान हैं, उसमें खेलने से खिलाड़ियों को दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. इससे खिलाड़ी उक्त मैदान में अभ्यास करने से बचते हैं. शहर […]
कटिहार : शहर के खिलाड़ियों के लिए शहर में अभ्यास करने के लिए एक भी मैदान मानक के अनुरूप नहीं है. जो भी मैदान हैं, उसमें खेलने से खिलाड़ियों को दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. इससे खिलाड़ी उक्त मैदान में अभ्यास करने से बचते हैं. शहर में कोई भी खेल के लिए अपना मैदान नहीं होने के कारण खिलाड़ियों को टूटे-फूटे व जर्जर मैदानों में अभ्यास कर जिला व राज्य स्तर के प्रतिस्पर्धा में भाग लेना पड़ता है. आम खिलाड़ियों को शहर में बने जर्जर मैदानों में खेलना पड़ता है.
हालांकि रेलवे का अपना मैदान है. लेकिन रेलवे में बाहरी खिलाड़ियों को खेलने व अभ्यास करने के लिए अनुमति लेना पड़ता है. बीएमपी का भी अपना मैदान है इस मैदान में भी आम खिलाड़ियों को अभ्यास व खेलने के अनुमति लेने की आवश्यकता होती है तत्पश्चात ही खिलाड़ी इस मैदान का प्रयोग कर पाते हैं. यदि शहर में अवस्थित मैदान व स्टेडियम की देखभाल कर दुरुस्त कर दिया जाय तो अन्य जगहों पर भटकना नहीं पड़ेगा. लेकिन ऐसा नहीं हो पाना खिलाड़ियों के लिए आये दिन मुसीबत का सबब बन रहा है.
राजेंद्र स्टेडियम की हालत भी खस्ताहाल : नगर निगम का अपना स्टेडियम यानी राजेंद्र स्टेडियम भी जर्जरता में पहुंच गया है. उचित देखरेख के अभाव में इस स्टेडियम में खेलने लायक मैदान खिलाड़ियों के लिए नहीं रह गया है. मैदान में जगह-जगह गड्ढे उभर आये हैं. पानी के दिनों में उक्त स्टेडियम में जल जमाव हो जाता है. वहीं इस स्टेडियम में विभिन्न राजनीतिक दलों का हमेशा कार्यक्रम होने के कारण स्टेडियम खस्ताहाल हो गया है. दर्शकों के बैठने के लिए दर्शकदीर्घा की कुर्सी टूट-फूट गयी है. निगम का एक मात्र इस स्टेडियम में शहर के करीब सैकड़ों खिलाड़ी अभ्यास इस मैदान में करते हैं. बावजूद इस मैदान की उचित देखरेख नहीं हो पाना कई सवाल खड़ा करता है.
इंडोर स्टेडियम की भी हालत खराब : शहर के हरदयाल चौक स्थित बाबू वीर कुंवर सिंह इंडोर स्टेडियम की भी हालत जर्जर है. इंडोर स्टेडियम में बैठने के लिए दर्शकों को सीट नहीं है. इस स्टेडियम में जब कोई टूर्नामेंट का आयोजन होता है. तब ही इसका दरवाजा खोला जाता है. अन्यथा अन्य दिन यह स्टेडियम में ताला हमेशा लटका रहता है. स्टेडियम बंद रहने के कारण साफ-सफाई व्यवस्था नदारद रहती है. टूर्नामेंट के समय में ही स्टेडियम की साफ-सफाई की जाती है. इंडोर गेम खेलने के लिए शहर में खिलाड़ियों के लिए बस यही एक स्टेडियम है जिसमें कराटे, ताईक्वांडो खेल का आयोजन होता है. फिर भी इस स्टेडियम की देखभाल नहीं की जाती है.
रेलवे क्षेत्र में बनाये गये मैदान सिर्फ रेल के लोगों के लिए है क्यों : रेलवे क्षेत्र के गौशाला स्थित गोल्फ मैदान में आम लोगों को खेलने के लिए इजाजत नहीं है. इसलिए यह मैदान हमेशा से पहरेदारी के साथ बंद रहता है. इस गोल्फ मैदान में सिर्फ रेल के पदाधिकारी ही अपना खेल खेलकर मनोरंजन करते हैं. बड़े पदाधिकारियों के आह्वान पर जब गोल्फ टूर्नामेंट का आयोजन किया जाता है तो तब ही इस मैदान का द्वार खोला जाता है. अन्यथा हमेशा यह बंद ही रहता है. ताकि स्थानीय लोग इसमें घुसकर किसी प्रकार के खेल का अभ्यास करना शुरू न कर दें. कमोबेश यही स्थिति रेलवे मैदान की भी है. इस मैदान के मुख्य द्वार पर भी हमेशा ताला लटका रहता है. किसी बड़े टूर्नामेंट को जब रेल आयोजित करता है तो ही इस मैदान का मुख्य द्वार खोला जाता है नहीं तो पदाधिकारियों द्वारा इसे बंद रखने का आदेश दिया जाता है.
कहते हैं खिलाड़ी : खिलाड़ी सिकंदर राउत, गोविंद, कन्हैया, राम राउत, गुड्डू कुमार, अमर रविदास इत्यादि लोगों ने बताया कि फुटबॉल खेल के लिए राजेंद्र स्टेडियम व श्रम कल्याण केंद्र की जर्जरता के कारण रेलवे के मैदान में अनुमति लेकर खेलना पड़ता है. बैडमिंटन व वॉलीबॉल कोर्ट नहीं होने के कारण बीएमपी व रेलवे में जाकर इसका अभ्यास करते हैं. यदि शहर में अवस्थित मैदान व स्टेडियम को दुरुस्त करा दिया जाय तो हमलोगों को काफी सहूलियत होगी खेलने में.
कई खेलों के कोर्ट व मैदान नहीं है जिले में
शहर समेत पूरे जिले में कई ऐसे खेल हैं जिनको खेलने के लिए उचित मैदान और कोर्ट उपलब्ध नहीं है. खेलों की बात करें तो बैडमिंटन खेल के लिए कटिहार में एक भी कोर्ट नहीं है. हालांकि बगल के जिले पूर्णियां में इस खेल के लिए चार-चार कोर्ट बनाये गये हैं. यदि बैडमिंटन में खिलाड़ी अभ्यास भी करना चाहे तो उनका उचित अभ्यास नहीं हो पाता है. फिर भी बैडमिंटन के खिलाड़ी किसी तरह अभ्यास कर जिले का मान मनौव्वल बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. फुटबॉल के लिए शहर में अपना कोई मैदान नहीं है. फुटबॉल के खिलाड़ी रेलवे मैदान व कोसी रेलवे मैदान में फुटबॉल का अभ्यास करते हैं. वॉलीबॉल के लिए भी कोर्ट नहीं बनाये गये हैं. बीएमपी, रेलवे इत्यादि जगह पर बनाये गये वॉलीबॉल कोर्ट में स्थानीय खिलाड़ी अपना अभ्यास करते हैं. कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि खिलाड़ियों के खेलने के लिए मैदान के साथ-साथ कोर्ट की भी आवश्यकता इनको है.
खिलाड़ियों को टूटे-फूटे व जर्जर मैदानों में अभ्यास कर जिला व राज्य स्तर की प्रतिस्पर्धा में भाग लेने की है विवशता
फुटबॉल के लिए शहर में अपना कोई मैदान नहीं, खिलाड़ी रेलवे व कोसी रेलवे मैदान में फुटबॉल का करते हैं अभ्यास
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