नि:शक्तता संबंधी प्रमाणपत्र नहीं होने से बड़ी संख्या में नि:शक्त सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं.
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नि:शक्तता साबित करने के लिए दर-दर ठोकर खा रहे दिव्यांग
नि:शक्तता संबंधी प्रमाणपत्र नहीं होने से बड़ी संख्या में नि:शक्त सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं. कटिहार : भले ही मौजूदा केंद्र सरकार ने पिछले दिनों संसद सत्र के दौरान नि:शक्तजनों को सम्मानजनक जीवन जीने सहित उनके अधिकार को लेकर कानून बनाया हो. लेकिन कटिहार जिले के नि:शक्त अब भी अपने किस्मत पर आंसू […]
कटिहार : भले ही मौजूदा केंद्र सरकार ने पिछले दिनों संसद सत्र के दौरान नि:शक्तजनों को सम्मानजनक जीवन जीने सहित उनके अधिकार को लेकर कानून बनाया हो. लेकिन कटिहार जिले के नि:शक्त अब भी अपने किस्मत पर आंसू बहा रहे हैं. केंद्र व राज्य सरकार की तमाम योजनाओं, नीतियों व कानून होने के बावजूद जिले के नि:शक्त अपनी नि:शक्तता साबित करने के लिए दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं. नि:शक्ता संबंधी प्रमाणपत्र नहीं होने से बड़ी संख्या में नि:शक्तजन सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं. साथ ही मुख्य धारा से कटे हुए भी हैं.
यह अलग बात है कि समय-समय पर सरकार ने नि:शक्तों को लेकर अलग-अलग शब्दावली दी है. केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद नि:शक्तजनों को दिव्यांग कहा जाने लगा है. इस दिव्यांग को कटिहार जिले में योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कटिहार जिले में करीब 91 हजार विकलांग हैं.
इसमें से मात्र 22562 नि:शक्तजनों को ही सामाजिक सुरक्षा के तहत पेंशन का लाभ मिल रहा है. यह माना जा रहा है कि अब तक इतने ही लोगों को नि:शक्तता प्रमाणपत्र दी गयी है. हालांकि समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव ने पत्रांक 1065 दिनांक 25.05.2010 के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव व अन्य अधिकारियों को निर्देश देकर कैंप के जरिये नि:शक्तों का प्रमाणपत्र बनाने का निर्देश दिया था. उसके बावजूद बड़े पैमाने पर नि:शक्त सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे हैं जिस कारण भारी परेशानी हो रही है.
जल्द नहीं बनता है नि:शक्तता प्रमाणपत्र
यूं तो समाज कल्याण विभाग के निर्देश के आलोक में स्थानीय स्वास्थ्य विभाग द्वारा नि:शक्तजनों को प्रमाणपत्र बनाने के लिये व्यवस्था की गयी है. लेकिन जब नि:शक्तजन प्रमाणपत्र बनाने के लिये आवेदन देते हैं तो उन्हें एक महीने से अधिक की तिथि देकर मामले को टाल दिया जाता है.
कई नि:शक्तजनों ने बताया कि सदर अस्पताल में नि:शक्तजनों के जांच के लिये जिन चिकित्सकों को रखा गया है वह टाल मटोल करते हैं. दूर दराज से आने वाले लोग निराश होकर चले जाते हैं. ऐसे में बड़े पैमाने पर नि:शक्तजन प्रमाणपत्र से वंचित हो जाते हैं तथा प्रमाणपत्र नहीं होने की वजह से उन्हें योजना के लाभ से वंचित होना पड़ता है.
22562 नि:शक्तों को मिलती है सामाजिक सुरक्षा पेंशन
जनगणना 2011 के अनुसार कटिहार जिले में करीब 91 हजार नि:शक्तजन हैं. इसमें से मात्र 22562 को समाजिक सुरक्षा पेंशन का लाभ मिलता है. जिसमें बिहार राज्य नि:शक्तता पेंशन योजना का लाभ 20751 को मिलता है. जबकि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय नि:शक्ता पेंशन का लाभ पाने वाले की संख्या 1811 है. इसमें से आजमनगर में 2468, कोढ़ा में 1679, डंडखोरा में 288, फलका में 949, प्राणपुर में 1269, समेली में 573, बलरामपुर में 1835, अमदाबाद में 1114, कदवा में 3042, मनिहारी में 1580, हसनगंज में 315, बरारी में 2193, मनसाही में 433, कटिहार में 2215, कुरसेला में 357 व बारसोई में 2252 हैं. उल्लेखनीय है कि इन प्रखंडों में बड़ी संख्या में ऐसे नि:शक्तजन हैं जो नि:शक्ता प्रमाणपत्र के अभाव में पेंशन सहित अन्य सरकारी योजना से वंचित हैं.
मूक-बधिर की नहीं होती है जांच
जिले के नि:शक्तजनों में मूकबधिर श्रेणी के नि:शक्तजन के जांच की व्यवस्था अब तक नहीं हो पायी है. जिले में बड़ी तादाद में मूकबधिर सरकारी अस्पताल पहुंचते हैं. लेकिन निराश होकर उसे लौट जाना पड़ता है. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार चिकित्सक के अभाव में मूकबधिर की जांच नहीं हो पाती है. जिले के रायपुर पंचायत के शहादत हुसैन ने बताया कि उनके गांव में करीब एक दर्जन मूकबधिर हैं. विभिन्न सरकारी अस्पतालों में मूकबधिर को लेकर जांच कराने पहुंचे. लेकिन डॉक्टर नहीं होने का कारण बता दिया गया.
डीएम को भी दिया गया मांग पत्र पर कार्रवाई नहीं : नि:शक्तों के प्रतिनिधि संगठन कोशी क्षेत्रीय विकलांग विधवा वृद्ध कल्याण समिति कटिहार द्वारा जिला पदाधिकारी को कई बार मांग पत्र के जरिये नि:शक्तों की समस्याओं से अवगत कराया गया. अभी हाल ही में नि:शक्तों की जांच में हो रही परेशानी को लेकर 17 दिसंबर को सिविल सर्जन व जिला पदाधिकारी को अवगत कराया गया. अधिकारियों के द्वारा अब तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गयी है. समिति के जिला सचिव शिव शंकर रमाणी ने इस संदर्भ में बताया कि नि:शक्तजनों का समय पर जांच प्रक्रिया पूरी नहीं होने से उन्हें प्रमाणपत्र नहीं मिल पा रहा है. जिससे विभिन्न सरकारी योजनाओं लाभ से वंचित होना पड़ रहा है.
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