दुखद . ट्रेन हादसे में आजमनगर के चार युवकों की मौत से पसरा है सन्नाटा
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अब कर्ज कैसे टूटेगा, भाई रहा नहीं : नूर
दुखद . ट्रेन हादसे में आजमनगर के चार युवकों की मौत से पसरा है सन्नाटा अशफाक के घर शुभचिंतकों का लगा रहा तांता. गमगीन सनोवर के परिजन. पुुत्र के मौत की खबर सुन अनवारुल के मां की हालत बिगड़ी. आजमनगर : इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन की दुर्घटना में प्रखंड के महेशपुर पंचायत निवासी मो दविरुद्दीन के […]
अशफाक के घर शुभचिंतकों का लगा रहा तांता.
गमगीन सनोवर के परिजन.
पुुत्र के मौत की खबर सुन अनवारुल के मां की हालत बिगड़ी.
आजमनगर : इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन की दुर्घटना में प्रखंड के महेशपुर पंचायत निवासी मो दविरुद्दीन के पुत्र मो अशफाक आलम 35 वर्ष की मौत हो जाने के बाद वो अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गये. घटना के बाद परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो रहा है. बूढ़ा पिता और बेगम अर्जी खातून सहित बच्चों में अप्सरी ख़ातून 10 वर्ष, प्रवीणा ख़ातून 8 वर्ष, अजमल हुसैन पुत्र 6वर्ष, साहबी ख़ातून 4वर्ष और एक दूधमुंहे एक वर्षीय पुत्र अजमत हुसैन को अपने पीछे छोड़ गये हैं.
जबकि मृतक 42 वर्षीय मो हातिम ने अपने पीछे वृद्ध पिता मो खबिरुद्दीन सहित अपनी बेगम हुस्न आरा के अलावा पुत्र अलि हसन 20 वर्ष मोहसेन 18वर्ष, पुत्री हस्मती ख़ातून 12 वर्ष, नूर जमील 10 वर्ष, नूर आलम 8 वर्ष, जनती खातून 6 वर्ष को अपने पीछे छोड़ गये हैं. इसके अलावा मृतक मो सनौवर 22वर्ष पिता स्वर्गीय फैय्याज ने अपने पीछे अपनी बूढी माँ सहित अपने से बड़े भाई संजर आलम और छोटे भाई शाहिद आलम बहन नूर सदी खातून के अलावे भरा पूरा परिवार छोड़ गया.
जिनका रो-रो कर बुरा हाल हो रहा है. मालूम हो कि मर्वतपुर पंचायत निवासी मृतक अनवारुल 25 वर्षीय ने अपने पीछे 90 वर्षीय वृद्ध कलीमुद्दीन उर्फ़ कालू बड़ा भाई बालिस्टर आलम वृद्ध अम्मी सोलिया खातून और बहन गुलाबो तब्बसुम सुखिया कलिमा सहित भरा पूरा परिवार को रोता बिलखता छोड़ गया है. ये भी शव आने का इंतजार कर रहे हैं. इन चारों बहनों का शादी भी हो चुका है. सिर्फ अनवारुल का शादी होना बांकी था. मृतकों के घरों में घटना की खबर के बाद चूल्हा नहीं जला है.
बहन 80 हजार रुपये लेकर आ रहा हूं: गुलाबो : ट्रेन हादसे में मृतक अनवारुल की बहन गुलाबों ने नम आंखों लड़खड़ाती जुबानों से बंया करते हुए बताया कि भाई जब इंदौर स्टेशन में ट्रेन पर सवार हो गया था तो उस वक्त फोन पर बात हुई थी. बताया था कि जिस कंपनी में काम करता वो कंपनी बंद हो गयी है. पांच माह का हिसाब कर मालिक ने कुल 80 हजार रूपये दिए हैं वो भी पुराने नोट घर आकर बैंक में बदलनी हैं और कुछ कर्ज भी तोड़ने हैं. जो सपना बन गया.
गुलाबो ने रोते बिलखते हुए बताया कि मृतक अनवारुल भाईंयों में तीसरे नंबर का था. दो भाई गांव में खेती बड़ी दूसरे के खेतों में किया करते थे और समय समय पर दूसरे प्रदेश में भी जाकर मजदूरी का काम करते हैं. मृतक भाई इंदौर में काम करता था. लगभग पांच माह पूर्व काम करने इंदौर गया था ये कह कर कि थोड़े दिनों के लिए दूसरे प्रदेश काम करने जाता हूं. रूपये कमा कर घर बनाने हैं फिर शादी भी करनी है. भांजे के लिए नए-नए कपड़े लाऊंगा. अम्मी और अब्बू की बहुत फ़िक्र रहती थी.
उनको भाई के साथ साथ परिवार के कई अरमान सपने रह गए हैं. बहन गुलाबो सहित पूरा परिवार को इंदौर से चले शव को घर पहुंचने का कर रहे हैं. अनवारुल का भांजा अपनी मां गुलाबो से अम्मी मामा कब आयेंगे कह कर परेशान कर रहा था. शायद उनको इस बात की जानकारी नहीं कि उनकी ट्रेन हादसे में मौत हो चुकी है. आगामी दिनों में भाई अनवारुल की भी शादी होती.
70 हजार लेकर आ रहा था सनोवर : नूर सदी खातून : ट्रेन हादसे में मृतक सनौवर की बहन नूर सदी ख़ातून ने बताया कि बीते दिन की शाम लगभग सात बजे बताया था कि इंदौर में ट्रेन में बैठा हूं. 70 हजार रूपये साथ पुराने नोट लेकर आ रहा हूं. बैंक में बदली कर कर्जदारों के कर्ज तोड़ने हैं अब कर्ज कैसे टूटेगा. परिजनों का भरण पोषण कैसे होगा. ये सब सोच सोच कर परिजन फफक-फफक कर रो रही हैं. ट्रेन हादसे में मृतक सनौवर आलम के भाई संजर आलम, शाहिद आलम ने रोते बिलखते विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि मृतक भाई महाजनों के काफी कर्ज थे. मृतक भाई के नाम से भी बैंक ऋण थे. दिली इच्छा लिए कुछ माह पूर्व रोजगार हेतु अपने प्रदेश को छोड़ इंदौर काम करने चला गया और घर आने क्रम में इंदौर ट्रेन हादसे का शिकार हो गया. जहां से उसकी मौत की खबर मिलते ही पांव तले सबों की जमीन खिसक गयी. फिर क्या देर रात रोने बिलखने की आवाज सुन आस पास के लोगों का जुटान सांत्वना देने को होने लगा. इसी कड़ी में पंचायत की मुखिया नीलम सिंह भी पहुंची ने बताया कि हुए ट्रेन हादसे ने उनके पंचायत के ही मो सनौवर 22 वर्ष पिता स्वर्गीय फैय्याज को सब की नजरों से काफी दूर कर दिया. अपने परिवार का एक मजबूत सहारा था. अपने पीछे अपनी बूढी माँ सहित अपने से बड़े भाई संजर आलम और छोटे भाई शाहिद आलम बहन नूर सदी ख़ातून के अलावे भरा पूरा परिवार छोड़ गया. सभी का रो-रो कर बुरा हाल हो रहा है. परिजन रेलवे से 10-लाख मुआवजे की मांग सहित बिहार सरकार से भी मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
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