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या हुसैन, या हुसैन की सदा से गूंजा शहर

मुहर्रम . हसन-हुसैन की शहादत को लेकर इमामबाड़ों से निकाला ताजिया जुलूस करबला मैदान में हसन-हुसैन के शहादत को लेकर मुसलिम धर्मावलंबियों ने गुरुवार को ताजिया जुलूस निकाला. इस दौरान शहर के तकरीबन 30 से भी अधिक मुहल्ले के इमामबाड़े से लोगों ने ताजिया जुलूस निकाला तथा नवी के नवासे हसन, हुसैन की शहादत को […]

मुहर्रम . हसन-हुसैन की शहादत को लेकर इमामबाड़ों से निकाला ताजिया जुलूस

करबला मैदान में हसन-हुसैन के शहादत को लेकर मुसलिम धर्मावलंबियों ने गुरुवार को ताजिया जुलूस निकाला. इस दौरान शहर के तकरीबन 30 से भी अधिक मुहल्ले के इमामबाड़े से लोगों ने ताजिया जुलूस निकाला तथा नवी के नवासे हसन, हुसैन की शहादत को याद किया.
कटिहार : मुहर्रम की दशमी बुधवार को ही थी, लेकिन दुर्गापूजा को लेकर जिले के मुसलिम धर्मावलंबियों ने जिला प्रशासन के आग्रह पर एक दिन रुक कर ताजिया जुलूस निकाला. पहलाम के बाद से ही सभी इमामबाड़ों में श्रद्धालुओं ने हसन-हुसैन को याद कर खीचड़ा सहित धूप, अगरबत्ती व प्रसाद चढ़ाया. उसके बाद इमामबाड़ों में पूरे रीति रिवाज के साथ ताजिया के समक्ष लोगों ने करबला में शहादत दिये हसन, हुसैन को याद किया. हसन, हुसैन ने अपने नाना पैगंबर मोहम्मद सल्ले सल्ल्म के उम्म्त के लिए करबला के मैदान में यजीदी के साथ लगातार युद्ध करते रहे तथा उस युद्ध में शहादत दी.
मुसलिम धर्मावलंबी उनकी इस शहादत को याद कर मुहर्रम मनाते हैं. दस दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में लोग अपने धर्म पर शहादत देने वाले हसन, हुसैन को याद करते हैं. उनकी इस कुर्बानी पर मुसलिम धर्मावलंबी ताजिया बिठाते हैं और हुसैन हसन को याद कर उनकी शहादत पर आंसू भी बहाते हैं. शहादत दिवस के रूप में ताजिया जुलूस निकालते हैं.
अखाड़े के साथ निकला जुलूस :
जिले के शहरी क्षेत्रों में 30 से भी अधिक इमामबाड़े से ताजिया जुलूस के साथ अखाड़ा निकाला गया. अखाड़ा जिला प्रशासन की ओर से जारी रूट व समय पर ही सभी इमामबाड़ों से निकला. शहरी क्षेत्र के शरीफगंज नया टोला, शरीफगंज कांतनगर, शरीफगंज देबू टोला, जीएफ रहमत कॉलोनी, डहेरिया, मोफड़गंज, नया टोला अड़गड़ा चौक, चौधरी मुहल्ला, नासिरगंज, हुसैना बाद, मकदमपुर, दुर्गापूर, अमला टोला, बरबन्ना, फकरतकिया, पानीटंकी चौक, ड्राइवर टोला, लड़कनियां टोला, मिरचाईबाड़ी मसजिद टोला, बुद्धू चौक, ललियाही, रामपाड़ा, फसिया ताजगंज, गढभैली सहित शहर के अन्य भागों से ताजिया जुलूस के साथ हजारों हजार की संख्या में लोग अपने-अपने मुहल्ले की टोली के साथ ढाक व डीजे के साथ अखाड़ा खेलते चल रहे थे.
इस दौरान ताजिया भी उस जुलूस के साथ-साथ था. सभी इमामबाड़ों से जुलूस निकलकर अड़गड़ा चौक पहुंचा, जहां कटिहार मुहर्रम कमेटी की ओर से आयोजित कार्यक्रम में शरीक होकर अखाड़ा खेला और अपने करतब दिखाते हुए शहर का भ्रमण करते हुए सभी अपने अपने इमामाबाड़ो की ओर लौट गये.
अखाड़े में दिखाये करतब : सभी मुहल्ले से निकले अखाड़ों में पुरुष वर्ग लाठी, बल्ल्भ, फरसा तलवार सहित अन्य साजो सामान से करतब दिखा रहे थे. कोई झरनी खेल रहा था, तो कोई अपनी छाती पीट रहा था. लोग ढाक बजा कर हुसैन हसन को याद कर रहे थे. डीजे के धुन पर भी हुसैन जिंदाबाद के नारे गूंज रहे थे.
हसनगंज प्रतिनिधि के अनुसार, प्रखंड क्षेत्र में मुहर्रम गुरुवार को शांति व सौहार्दपूर्ण वातावरण में मनाया गया. सभी इमामबाड़े से ताजिया जुलूस निकाला गया. युवाओं ने तलवार व लाठी भांजी. बीडीओ जितेंद्र कुमार, सीओ कमलनयन कश्यप, थानाध्यक्ष कृष्णा प्रसाद सिंह आदि सुरक्षा व्यवस्था को लेकर मुस्तैद रहे.
प्राणपुर प्रतिनिधि के अनुसार, प्रखंड क्षेत्र में मुहर्रम शांतिपूर्वक मनाया गया. इस अवसर पर हसन- हुसैन के याद में ताजिया जुलूस निकाला गया. बस्तौल, कुरसंडा एवं जौनियां धरहन पंचायत के दिघोंच, पथरवार पंचायत के बैना, काठघर पंचायत के धबौल एवं हरसुआ प्राणपुर के सहजा केहुनियां पंचायत के खुशहालपुर केवाला पंचायत के भालगोर बभनी, उत्तरी लालगंज पंचायत के मकरचल्लाह लाभा, दक्षिणी लालगंज पंचायत के रोशना एवं गौरीपुर पंचायत के शाहनगर इंग्लिश एवं पुरानी मकर चल्लाह में लाठी, भाला, तलवार एवं करनी के साथ जुलूस निकाला गया.
कदवा प्रतिनिधि के अनुसार, थाना क्षेत्र के कई गांवों में मुहर्रम को लेकर ताजिया जुलूस गुरुवार को निकाला गया. इसको लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे. महम्मदपुर, कुम्हड़ी, परभेली, भर्री आदि जगहों से ताजिया जुलुस निकाला गया. इसके बाद युवाओं ने अखाड़ा में प्रदर्शन भी किया. हिंदू भाइयों ने भी ताजिया निशां पर जल चढ़ाया.
उम्रदराज लोग भी करतब दिखाने में पीछे नहीं रहे.
पानी टंकी चौक पर करतब दिखाते युवक.
भारत-पाक की युद्ध की दिखायी झलक
जुलूस में शामिल सभी ताजिया में सबसे बेहतर व सुंदर ताजिया लड़कनियां टोला व उसके बाद शरीफगंज का था. भारत-पाक के बिगड़ते हालात को लेकर मुसलिम धर्मावलंबियों ने टैंक व कई मिसाइल भी बनाये थे. इन पर भारतीय झंडा व इंडिया अंकित था. इन टैंकों का संकेत था कि पाकिस्तान भूल से भी भारत से भिड़ने की कोशिश मत करना,
वरना मुंह की खानी पड़ेगी. वहीं लड़कनियां टोला की ताजिया काफी आकर्षक दिख रही थी. पश्चिम टोला, शरीफगंज, दुर्गापूर सहित कई अन्य ताजिया इतनी खूबसूरत बनायी गयी थीं कि जिस रोड से होकर यह ताजिया गुजर रही थी, लोग उसकी सुंदरता की तारीफ कर रहे थे.

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