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जिले में जाम से मिलेगी मुक्ति

कवायद. सूबे के 23 शहरों में ट्रैफिक थाना खोलने पर विचार इसके तहत लगभग दो लाख की आबादी वाले शहरों को इस सुविधा से किया जायेगा लैस. अब वो दिन दूर नहीं, जब कटिहार शहर के लोगों को ट्रैफिक कंजेशन बीते दिनों की बात जैसी लगेगी. कटिहार : सुबह हो या शाम जाम ही जाम […]

कवायद. सूबे के 23 शहरों में ट्रैफिक थाना खोलने पर विचार

इसके तहत लगभग दो लाख की आबादी वाले शहरों को इस सुविधा से किया जायेगा लैस. अब वो दिन दूर नहीं, जब कटिहार शहर के लोगों को ट्रैफिक कंजेशन बीते दिनों की बात जैसी लगेगी.
कटिहार : सुबह हो या शाम जाम ही जाम की समस्या से दो चार होने वाले कटिहार वासियों के लिये खुशखबरी है. लगभग तीन लाख की आबादी वाले इस शहर को जल्द ही ट्रैफिक कंजेशन से निजात मिलेगी. सूबे के 23 शहरों के साथ-साथ जिले में भी ट्रैफिक थाना खोले जाने पर सहमति हुई है. इस बाबत तमाम तैयारियां भी पूरी की जा चुकी हैं और यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो वो दिन दूर नहीं, जब शहर के लोगों को ट्रैफिक कंजेशन बीते दिनों की बात जैसी लगेगी.
बता दें कि यातायात की बढ़ती समस्या के मद्देनजर सरकार ने सूबे के 23 शहरों में ट्रैफिक थाना खोलने पर विचार किया है. इसके तहत लगभग दो लाख की आबादी वाले शहरों को इस सुविधा से लैस किया जायेगा. ट्रैफिक थाना के संचालन के लिए डीएसपी रैंक के पदाधिकारी को प्रतिनियुक्त किया जायेगा.
नहीं होती है कार्रवाई : ऑटो चालकों की मनमानी सिर्फ शहर की गलियों में ही नहीं चलती है, बल्कि नगर थाना के आसपास भी चलती है. सब चलता है…की तर्ज पर ऑटो चालक अपनी मरजी से गाड़ियां थाने के बाहर लगाते हैं और जाम को न्योता देते हैं. इन ऑटो चालकों पर कभी कोई कार्रवाई होती है और न ही पुलिसिया डंडा इन पर चलता है. शहरवासी बेवजह जाम की समस्या से परेशान हैं और पुलिस प्रशासन महज मूकदर्शक की भूमिका में है.
अव्यवस्थित है जिले का ट्रैफिक सिस्टम
शहर की बढ़ती आबादी और वाहनों की बढ़ती संख्या के बावजूद ट्रैफिक सिस्टम को दुरुस्त नहीं किया जा रहा है. लिहाजा, दिन रात गाड़ियों का रैला सड़कों पर लगा रहता है. वाहन चालकों को कड़ी मशक्कत के बाद ही जाम से छुटकारा मिल पाता है. खासकर त्योहारी मौसम में तो यह स्थिति विस्फोटक हो जाती है.
त्योहारी मौसम में आमतौर पर लोग खरीदारी करने बाजार आते हैं और बेतरतीब ढंग से गाड़ियां पार्क करते हैं. इस वजह से भी शहर में जाम की समस्या आम हो जाती है. हालांकि पुलिस की लचर व्यवस्था का सबसे अधिक फायदा ऑटो चालक उठाते हैं. उन्हें न तो ट्रैफिक सेंस से कोई सरोकार होता है और न ही जाम की समस्या की परवाह. ऑटो चालक बेपरवाह होकर व धड़ल्ले से भीड़ भाड़ वाले क्षेत्रों में न सिर्फ गाड़ियां चलाते हैं, बल्कि इन सड़कों पर गाड़ी रोक कर बाकायदा सवारी भी बैठाते हैं.

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