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डॉक्टरों की कमी, बढ़ रहे मरीज

लानरवाही. सदर अस्पताल में चार महिला चिकित्सकों के भरोसे हैं महिला मरीज उमस भरी गरमी से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. पिछले एक सप्ताह से अचानक बढ़ी गरमी से आम जनजीवन काफी प्रभावित हुआ है. मई माह के अंत में हुई बारिश से जहां लोग राहत महसूस कर रहे थे वहीं जून की […]

लानरवाही. सदर अस्पताल में चार महिला चिकित्सकों के भरोसे हैं महिला मरीज

उमस भरी गरमी से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. पिछले एक सप्ताह से अचानक बढ़ी गरमी से आम जनजीवन काफी प्रभावित हुआ है. मई माह के अंत में हुई बारिश से जहां लोग राहत महसूस कर रहे थे वहीं जून की गरमी लोगों का सता रही है. ऐसे में बीमारियों ने दस्तक देना शुरू कर दिया है. बाजार और गली मोहल्लों की सड़कें वीरान हो रही हैं. आवश्यक कार्य पड़ने पर ही लोग बाहर का रूख कर रहे हैं. गरमी के कारण मवेशी और फसलों का बुरा हाल है. जिले के किसान आसमान की ओर टकटकी लगाकर बैठे हैं. हालांकि गरमी छुट्टी होने के कारण स्कूल कॉलेज के बच्चों को थोड़ी राहत जरूर मिली है.
कटिहार : उमस भरी गरमी और इनसे जनित बीमारियों का सिलसिला भी बढ़ने लगा है. तभी तो सदर अस्पताल में मरीजों की संख्या पिछले दो माह से काफी बढ़ी है. सदर अस्पताल से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि प्रतिदिन ओपीडी में 400-500 मरीजों का तांता लगा रहता है. मरीजों में मौसमी बीमारियों से जूझ रहे की संख्या अधिक होती है.
अस्पताल प्रबंधक के अनुसार मार्च 2016 में 16701, अप्रैल में 15161, मई में 15958 मरीजों को ओपीडी में देखा गया है. डॉक्टर की मानें तो मौसम में बदलाव के कारण मरीजों की संख्या बढ़ी है. डॉक्टर ने कहा कि जाड़े का मौसम समाप्त होने के समय यानी मार्च में और पिछले माह हुई झमाझम बारिश और वर्तमान में पड़ रही गरमी के कारण लोगों की मुसीबतें बढ़ रही हैं.
डॉक्टर का है टोटा: एक ओर जहां सदर अस्पताल में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है वहीं दूसरी ओर डॉक्टरों की कमी से मरीजों की परेशानी बढ़ रही है. खासकर महिला मरीजों की लगातार बढ़ रही संख्या के एवज में महज चार डॉक्टर ही पदस्थापित हैं. जिनमें दो नियमित डॉक्टर हैं और दो कांट्रैक्ट पर कार्यरत हैं.
इस बाबत डीएस डॉ योगेंद्र प्रसाद भगत कहते हैं कि वर्तमान में हमें पांच नियमित महिला डॉक्टर की जरूरत है और संभवत: 12 जून तक बाकी डॉक्टरों की तैनाती कर दी जायेगी. यही नहीं अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की भी कमी है. जिस वजह से मरीजों को बाहर से ही एक्स-रे व सीटी स्कैन कराना पड़ता है जो कि ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों के लिये महंगा सौदा साबित होता है.
गरमी से जीना हुआ मुहाल
सतर्क रहने की दी हिदायत
मौसम में हो रहे बदलाव को सेहत के लिये खतरनाक करार देते हुए डॉक्टर हमें सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं. डॉ योगेंद्र प्रसाद भगत ने बताया कि इस मौसम में बुखार, डायरिया, पेट दर्द, पेचिस, जांडिस, सिरदर्द समेत अन्य बीमारियां हो सकती हैं. डॉ भगत ने कहा कि हमें इस मौसम में साफ पानी पीना चाहिये ताकि पेट से संबंधित बीमारियों से बचा जा सके. यत्र तत्र मौजूद पानी पीने से गरमी के इस मौसम में जांडिस जैसी बीमारियां होने का खतरा रहता है
और इसका असर हमारे लीवर पर पड़ता है. बुखार आने की स्थिति में जल्द से जल्द शरीर को ठंडा रखने के उपाय करने चाहिये. खासकर घर से बाहर निकलने के दरम्यान हमें ज्यादा मात्रा में साफ पानी पीना चाहिये. उन्होंने कहा कि ठोस आहार लेने के साथ-साथ पेय पदार्थ का अधिक सेवन करना हितकर होगा.

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