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बिना मान्यता के चल रहे सैकड़ों निजी स्कूल

जिले में मात्र 106 विद्यालयों को ही मिली है स्कूल चलाने की मान्यता कटिहार : राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी व सरकार की नीतियों की वजह से बहुस्तरीय शिक्षा व्यवस्था से समाज का हर तबका परेशान है. कल्याणकारी राज्य होने के बावजूद इस तरह की शिक्षा व्यवस्था मौजूदा शासन को मुंह चिढ़ा रही है. दरअसल सरकारी […]

जिले में मात्र 106 विद्यालयों को ही मिली है स्कूल चलाने की मान्यता

कटिहार : राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी व सरकार की नीतियों की वजह से बहुस्तरीय शिक्षा व्यवस्था से समाज का हर तबका परेशान है. कल्याणकारी राज्य होने के बावजूद इस तरह की शिक्षा व्यवस्था मौजूदा शासन को मुंह चिढ़ा रही है. दरअसल सरकारी शैक्षणिक संस्थानों के समानांतर निजी शैक्षणिक संस्थानों की बढ़ती तादाद ने शिक्षा को व्यवसाय के रूप में परिवर्तित कर दिया है. हालांकि निजी शैक्षणिक संस्थानों को खोलने के लिए सरकार ने नीतियां व नियमावली भी बनायी है.
लेकिन उसका अनुपालन कटिहार जिले में नहीं हो रहा है. जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बगैर शिक्षा विभाग के अनुमति से धड़ल्ले से निजी शैक्षणिक संस्थान खोले जा रहे हैं. स्थानीय शिक्षा विभाग की आंकड़ों के अनुसार मात्र 106 निजी विद्यालय को विभाग द्वारा प्रस्वीकृति प्रदान की गयी है.
इस आंकड़े से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह नियमों को ताक पर रखकर निजी विद्यालय की स्थापना व संचालन किया जा रहा है. निजी विद्यालय के स्थापना व संचालन में शिक्षा अधिकार कानून के प्रावधानों की भी अनदेखी की जा रही है. इस मामले में स्थानीय शिक्षा विभाग खामोश है. यद्यपि कभी-कभार शिक्षा विभाग पत्र निकालकर नियमावली व आरटीइ के प्रावधानों के अनुपालन करने का निर्देश देकर औपचारिकता जरूर निभाता रहा है.
निजी स्कूलों की संख्या तीन सौ से अधिक
जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के हर गली मोहल्ले में निजी विद्यालय नजर आ जाते हैं. व्यावसायिक प्रतिष्ठान की तरह निजी विद्यालय दिखने लगे हैं. जानकारों की माने तो जिले में 300 से अधिक निजी विद्यालय का संचालन हो रहा है, जबकि शिक्षा विभाग ने मात्र 106 को ही मान्यता प्रदान किया है. विभाग के अनुसार जिले में 209 से अधिक निजी विद्यालय का संचालन हो रहा है. विभाग के दावे को ही सही मानें, तो 100 से अधिक निजी विद्यालय बगैर मान्यता के ही संचालित किये जा रहे हैं.
शिक्षा विभाग बना है उदासीन
नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से खुल रहे निजी विद्यालय के प्रति स्थानीय शिक्षा विभाग पूरी तरह उदासीन है. निजी विद्यालय की स्थापना व उसके संचालन की निगरानी स्थानीय शिक्षा विभाग द्वारा नियमित रूप से नहीं की जाती है. इसके फलस्वरूप निजी विद्यालय प्रबंधन मनमाने तरीके से न केवल विद्यालय का संचालन कर रही है बल्कि अभिभावकों का कई स्तरों पर शोषण भी किया जा रहा है.
नियमों का ठीक से नहीं हो रहा क्रियान्वयन
दरअसल, निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी पर रोक लगाने के प्रति राजनीतिक इच्छाशक्ति की भी कमी रही है. राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी व सरकारी नियमों का प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन नहीं होने की वजह से भी निजी शैक्षणिक संस्थानों के संचालकों का मनोबल बढ़ा हुआ है. इसके लिये निगरानी करने वाली इकाई राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग व बिहार राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग भी उदासीन है.
निजी स्कूलों के लिए है प्रावधान
स्थापना से पूर्व विभाग की अनुमति लेना अनिवार्य
निजी विद्यालय के स्थापना व संचालन को लेकर सरकार द्वारा नीतियां व नियमावली भी बनायी गयी है. नियमावली के अनुसार जिला शिक्षा पदाधिकारी की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय जांच समिति निजी विद्यालय के प्रस्वीकृति संबंधी आवेदन के विरुद्ध उस विद्यालय का स्थल जांच करेगी.
स्थल जांच के दौरान विद्यालय के आधारभूत संरचना यथा छात्रों के अनुपात में कमरा, शिक्षक, शुद्ध पेयजल, शौचालय, खेलकूद का मैदान आदि कई बिंदुओं पर समिति जांच करेगी. मानक के अनुरूप पाये जाने के बाद ही जांच समिति द्वारा विद्यालय को प्रस्वीकृति प्रदान करने की अनुशंसा प्रदान की जाती है. वहीं शिक्षा अधिकार कानून 2009 के अनुसार निजी विद्यालय के स्थापना से पूर्व शिक्षा विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य है.
संचालकों की शीघ्र बुलायी जायेगी बैठक
निजी विद्यालयों को नियमों के अनुकूल संचालन करने के लिए निर्देशित किया गया है. शीघ्र ही निजी विद्यालय के संचालकों की बैठक बुलाकर उन्हें नियमों व प्रावधानों को अनुपालन करने का निर्देश दिया जायेगा.
श्रीराम कुमार, डीपीओ

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