कटिहार : बिहार में जिस तरह शराबबंदी को लेकर माहौल बना है, यदि इस तरह का माहौल सामाजिक स्तर पर निरंतर देखने को मिले, तो वह दिन दूर नहीं जब सचमुच बिहार देश को नई दिशा देने में मिसाल कायम करे. एक ओर राज्य में शराबबंदी को लेकर जहां सामाजिक स्तर पर सकारात्मक परिणाम आने शुरू हो गये हैं, वहीं इसका प्रभाव इस जिले में भी स्पष्ट रूप से दिखायी पड़ने लगा है.
आपराधिक मामलों में आयी गिरावट: किसी भी जघन्य अपराध करने में अपराधी अक्सर शराब का सहारा लिया करते हैं. चूंकि मानव चेतना जब जागृत रहती है, तब वह किसी भी जघन्य अपराध को करने की ओर अग्रसर नहीं होता है. शराबबंदी का असर समाज में इस तरह हुआ है कि जिले के विभिन्न थानों में होने वाले आपराधिक वारदातों में लगातार गिरावट आ रही है. एक आंकड़े के अनुसार मार्च में जिले के विभिन्न थानों में 432 आपराधिक मामले दर्ज किये गये.
इसमें कई जघन्य अपराध के मामले थे. वहीं अप्रैल माह में जिले में मात्र 240 मामले दर्ज किये गये. लगभग आधे से कम आपराधिक मामले के दर्ज होना यह दर्शाता है कि शराबबंदी लागू हो जाने के बाद अपराधों में कमी आयी है.
प्रशासन सख्त
प्रशासनिक स्तर पर शराबियों को पकड़ने एवं उसे जेल भेजने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है. सोमवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश चंद्र शेखर झा के न्यायालय में शराब पीने के मामले में बंद अपराधियों की लंबी संख्या में जमानत आवेदन खारिज कर दिये गये. इसको लेकर जहां एक ओर पुलिस प्रशासन का मनोबल शराबबंदी को लेकर मजबूत हुआ है, वहीं सोमवार एवं मंगलवार को इन जमानत आवेदनों पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा जमानत आवेदन को खारिज किये जाने को लेकर शराबियों में बेचैनी है.
अधिवक्ताओं ने जिला जज के निर्णय को सराहा
जेल में बंद पियक्कड़ों के जमानत आवेदन खारिज किये जाने पर जिला अधिवक्ता संघ के अधिवक्ताओं जिला जज के निर्णय को सराहते हुए कहा कि इससे समाज में अच्छा संदेश जायेगा और अपराधियों का मनोबल टूटेगा.