झोपड़ी में बन रहा बच्चों का भविष्य
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सूरत-ए-हाल . जिले के 292 विद्यालयों के पास नहीं है भवन
झोपड़ी में बन रहा बच्चों का भविष्य प्रभात खबर द्वारा शैक्षणिक व्यवस्था को लेकर किये गये पड़ताल से यह बात सामने आयी है कि निधि व भूमि के अभाव में 292 प्रारंभिक विद्यालय झोपड़ी में चल रहे हैं. इन विद्यालयों को स्थापना के वर्षों बाद भी भवन नसीब नहीं हुआ है. आरटीइ के छह वर्ष […]
प्रभात खबर द्वारा शैक्षणिक व्यवस्था को लेकर किये गये पड़ताल से यह बात सामने आयी है कि निधि व भूमि के अभाव में 292 प्रारंभिक विद्यालय झोपड़ी में चल रहे हैं. इन विद्यालयों को स्थापना के वर्षों बाद भी भवन नसीब नहीं हुआ है. आरटीइ के छह वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में प्रभात खबर ने प्रारंभिक शिक्षा व्यवस्था को लेकर शृंखला शुरू की है. शृंखला की दूसरी किस्त के रूप में भवनहीन विद्यालयों की पड़ताल करती यह रिपोर्ट.
कटिहार : शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने व उसके बाद केंद्र एवं राज्य सरकार सहित गैर सरकारी संगठनों द्वारा विभिन्न स्तरों से की जा रही निगरानी व अध्ययन रिपोर्ट के बाद प्रारंभिक शिक्षा में पहले की तुलना में हाल के वर्षों में कुछ सुधार जरूर हुआ है. पर, जिले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. हालांकि सुधार के परिप्रेक्ष्य में देखें, तो महज बच्चों का दाखिला विद्यालय तक हुआ है. जबकि नामांकित बच्चों की विद्यालय तक पहुंच व उनके ठहराव को लेकर एक बड़ी समस्या बनी हुई है. यूं तो शिक्षा का अधिकार कानून 2009 शुक्रवार को छह वर्ष पूरा कर रहा है.
शिक्षा का अधिकार कानून को लेकर केंद्र सरकार ने जो वादा किया था, वह अब तक पूरा नहीं हुआ है. इससे बड़े आश्चर्य की बात और क्या हो सकती है कि शैक्षणिक सत्र या वित्तीय वर्ष 2015-16 में जिले को सर्वशिक्षा अभियान के तहत भवन निर्माण मद में कुछ भी राशि प्राप्त नहीं हुई है. प्रभात खबर द्वारा शैक्षणिक व्यवस्था को लेकर किये गये पड़ताल से यह बात सामने आयी है कि निधि व भूमि के अभाव में 292 प्रारंभिक विद्यालय झोपड़ी में चल रहे हैं. इन विद्यालयों को स्थापना के वर्षों बाद भी भवन नसीब नहीं हुआ है. आरटीइ के छह वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में प्रभात खबर ने प्रारंभिक शिक्षा व्यवस्था को लेकर शृंखला शुरू की है. शृंखला की दूसरी किस्त के रूप में भवनहीन विद्यालयों की पड़ताल करती यह रिपोर्ट.
बच्चों की सुरक्षा पर संकट : भवनहीन विद्यालय में पढ़ने वाले करीब 40 हजार से अधिक बच्चों की शिक्षा व्यवस्था भी भगवान भरोसे है. ऐसे बच्चों की सुरक्षा पर संकट है. बाल अधिकार के तहत बच्चों की सुरक्षा की बात कही गयी है. आरटीइ में भी छात्रों के अनुपात में भवन निर्माण करने की बात कही गयी है, लेकिन सरकार पर इस कानून में दिये प्रावधान का कोई असर नहीं पड़ता है. कानून का राज व सामाजिक न्याय की दुहाई देने वाली सरकार की नजर में इन बच्चों के भविष्य को लेकर कोई चिंता नहीं दिखती है.
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