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एनडीए की जीत पर भाजपाई उत्साहित

कटिहार : हरलाखी विधानसभा उप चुनाव में एनडीए के घटक दल रालोसपा के प्रत्याशी की जीत पर भाजपा नेताओं ने हर्ष व्यक्त करते हुए बधाई दी है. भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील प्रसाद कर्ण, पूर्व सांसद निखिल कुमार चौधरी, विधायक तारकिशोर प्रसाद, प्राणपुर विधायक विनोद कुमार सिंह, पूर्व एमएलसी राजवंशी सिंह, पूर्व विधायक विभाषचंद्र चौधरी, महेश पासवान, […]

कटिहार : हरलाखी विधानसभा उप चुनाव में एनडीए के घटक दल रालोसपा के प्रत्याशी की जीत पर भाजपा नेताओं ने हर्ष व्यक्त करते हुए बधाई दी है. भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील प्रसाद कर्ण,
पूर्व सांसद निखिल कुमार चौधरी, विधायक तारकिशोर प्रसाद, प्राणपुर विधायक विनोद कुमार सिंह, पूर्व एमएलसी राजवंशी सिंह, पूर्व विधायक विभाषचंद्र चौधरी, महेश पासवान, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ चंद्रभूषण ठाकुर, भाजपा के जिला महामंत्री विजय गुप्ता, वीरेंद्र यादव, देवव्रत गुप्ता, बबन झा, ललन सिंह, युगल किशोर, छाया तिवारी, सुनीता देवी आदि ने हरलाखी उप चुनाव में हुई एनडीए की जीत पर हर्ष प्रकट किया है. इधर भाजपा के क्षेत्रीय प्रभारी मनोज राय, शोभा जायसवाल उर्फ भारती देवी, आदि ने भी हरलाखी विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत पर बधाई दी है.
आरक्षण की उड़ी धज्जियां
इस साल होने वाले पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर में बदलाव किया गया है, लेकिन कटिहार जिले में राज्य निर्वाचन आयोग के अनुमोदन के बाद जारी आरक्षण रोस्टर पर सवाल उठने लगे हैं. यहां तक कि प्रखंड प्रमुख के पद पर 50 फीसदी महिलाओं को दिये जाने वाले आरक्षण का अनुपालन भी नहीं किया गया.
प्रतिनिधि, कटिहार
आसन्न पंचायत चुनाव को लेकर एक तरफ जहां सरगरमी तेज होने लगी है. वहीं राज्य निर्वाचन आयोग के अनुमोदन के बाद जारी आरक्षण रोस्टर पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं.
वर्ष 2006 में पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दी गयी. अन्य पदों के अलावा एकल पद पर भी आधी आबादी को आधा हक दिया गया. राज्य सरकार ने जब पंचायत राज व्यवस्था में महिलाओं को पचास प्रतिशत का आरक्षण दिया तो देश भर में उसकी वाहवाही हुई. पंचायती राज अधिनियम के तहत दो कार्यावधि यानी 10 वर्ष बाद आरक्षण रोस्टर में बदलाव का प्रावधान है. जिसके तहत इस साल होने वाले पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर में बदलाव किया गया है. लेकिन कटिहार जिले में राज्य निर्वाचन आयोग के अनुमोदन के बाद जारी आरक्षण रोस्टर पर सवाल उठने लगे हैं.
यहां तक कि प्रखंड प्रमुख के पद पर 50 फीसदी महिलाओं को दिये जाने वाले आरक्षण का अनुपालन भी नहीं किया गया.
नियमों की हुई है अनदेखी
प्रखंड प्रमुख पद के मामले में आरक्षण निर्धारण में नियमों की अनदेखी की गयी. जानकारों की माने तो 16 प्रखंड प्रमुख पद में से पचास प्रतिशत यानी आठ प्रमुख पद महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए. लेकिन मात्र छह पद महिलाओं के लिए आरक्षित कर आरक्षण नियमावली की अनदेखी की गयी है. शिक्षाविद डॉ आरएन मंडल की माने तो आरक्षण रोस्टर के निर्धारण में नियमावली की अनदेखी की गयी है. उन्होंने कहा कि प्रखंड प्रमुख पद के आरक्षण व्यवस्था को देखने से साफ जाहिर होता है कि महिला सशक्तीकरण का दावा यहां खोखला साबित हुई है.
पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की अत्यधिक भागीदारी व उनके सशक्तीकरण की पुरजोर वकालत करने वाली द हंगर प्रोजेक्ट के स्टेट को-ऑर्डिनेटर शाहिना परवीन ने इस संदर्भ में कहा कि 16 प्रखंड में से मात्र 6 प्रखंड में प्रमुख पद महिला के लिए आरक्षित किया जाना नियमों के अनुकूल नहीं है. 50 प्रतिशत आरक्षण के तहत 8 सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होनी चाहिए.

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