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जनगणना संबंधी डाटा हुआ नष्ट

जनगणना संबंधी डाटा हुआ नष्टफिर से करायी जा रही है जनगणना, शिक्षकों को लगाया गया है जनगणना कार्य में प्रतिनिधि, कटिहारजिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में इन दिनों जनगणना का काम जोर-शोर से चल रहा है. जनगणना में प्राथमिक व मध्य विद्यालय के शिक्षकों को प्रगणक के रूप में प्रतिनियुक्त की गयी. प्रतिनियुक्त प्रगणक […]

जनगणना संबंधी डाटा हुआ नष्टफिर से करायी जा रही है जनगणना, शिक्षकों को लगाया गया है जनगणना कार्य में प्रतिनिधि, कटिहारजिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में इन दिनों जनगणना का काम जोर-शोर से चल रहा है. जनगणना में प्राथमिक व मध्य विद्यालय के शिक्षकों को प्रगणक के रूप में प्रतिनियुक्त की गयी. प्रतिनियुक्त प्रगणक सह शिक्षक अपने-अपने आवंटित क्षेत्र में नजरी नक्शा के साथ घर-घर जाकर जनगणना के लिए निर्धारित फॉर्मेट को भर रहे हैं. दूसरी जनगणना में शिक्षकों को लगाये जाने से विद्यालय में पठन-पाठन प्रभावित हो रही है. हालांकि 10 साल पर होने वाली जनगणना व पांच वर्षीय आम चुनाव में शिक्षकों को प्रतिनियुक्त किये जाने का प्रावधान है. जनगणना 2011 के लिए शिक्षकों ने घर-घर जाकर राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) को भरा था. जिसके आधार पर भारत के जनसंख्या पंजीयक ने जनगणना 2011 का रिपोर्ट जारी किया. इस जनगणना में कटिहार जिला भी शामिल था. अब महज पांच वर्ष के भीतर फिर से जनगणना शुरू होना लोगों की समझ से परे है. विभागीय सूत्रों की माने तो जनगणना 2011 के तहत कटिहार जिला का जो डाटा एकत्रित की गयी थी. वह डाटा विभागीय लापरवाही के कारण नष्ट हो गयी है. यद्यपि विभाग यह बात स्वीकार नहीं कर रही है. विभाग यह दलील दे रही है कि एनपीआर में जो व्यक्ति छूट गये हैं, उनका नाम जोड़ा जायेगा तथा एनपीआर के आधार पर लोगों का आधार नंबर जोड़ा जायेगा. लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा नहीं हो रहा है. प्रगणक घर-घर जाकर एनपीआर को नये सिरे से भर रहे हैं. जिले में अभी चल रही जनगणना के लिए जिला प्रशासन ने कोई प्रचार-प्रसार भी नहीं कराया है. वर्तमान में चल रही जनगणना कार्यक्रम कई सवाल खड़ा करता है. यह सर्वविदित है कि जनगणना 2011 के आंकड़ों के आधार पर सरकार विकास व कल्याणकारी योजना तथा नीतियां बनाती है. अब सिर्फ कटिहार जिले में पांच साल के भीतर ही जनगणना होने लगी. यह जनगणना वर्ष 2011 में हुए जनगणना रिपोर्ट से अलग होगी. इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. फिर से होने लगी जनगणनाआम लोगों के बीच यह एक समझ थी कि हर 10 वर्ष में राष्ट्रीय स्तर पर एक साथ एक समय सीमा के भीतर जनगणना होती है. प्रगणक द्वारा जनगणना के द्वारा संग्रहित जानकारी को एनपीआर यानी राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी में अंकित करते हैं. देश भर में जब एनपीआर का काम पूरा हो जाता है, तब दिल्ली में भारत के जनसंख्या पंजीयक के द्वारा जारी होता है. जनगणना 2011 के जारी होने के बाद अब 2021 में जनगणना होना था. लेकिन कटिहार जिले में महज पांच वर्ष के भीतर ही फिर से जनगणना होने लगी है. हालांकि जिला सांख्यिकी विभाग के अधिकारी यह दलील दे रहे हैं कि अभी चल रहे जनगणना कार्य के दौरान एनपीआर के आधार पर लोगों का आधार नंबर जोड़ा जायेगा व छूटे हुए लोगों का नाम जोड़ा जायेगा. डाटा हो गया है नष्टविभागीय सूत्रों की माने तो जनगणना 2011 के तहत कटिहार जिले का डाटा नष्ट हो गया है. इसकी जानकारी जनसंख्या निदेशालय को भी है. सूत्रों की माने तो कटिहार जिले के जनगणना संबंधी डाटा के मिलने की वजह से ही फिर से जनगणना करना पड़ रहा है. सूत्रों के अनुसार यही वजह है कि जिले में शुरू की गयी जनगणना कार्य का प्रचार-प्रसार नहीं कराया जा रहा है. प्रगणक घर-घर जाकर जनगणना के लिए निर्धारित फॉर्मेट यानी एनपीआर भर रहे हैं. विद्यालय में पठन-पाठन प्रभावितशिक्षकों को प्रगणक के रूप में प्रतिनियुक्ति किये जाने के बाद उनके द्वारा घर-घर जाकर एनपीआर भरा जा रहा है. शिक्षकों को इस कार्यों में लगाये जाने के बाद विद्यालय का पठन-पाठन प्रभावित होने लगा है. एक-एक विद्यालय से दो से चार शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति किया गया है. नाम नहीं छापने के शर्त पर जनगणना कार्य में जुटे प्रगणक सह शिक्षक ों ने बताया कि विभागीय आदेश के आलोक में जनगणना कार्य कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें प्रतिनियुक्ति पत्र दिया गया है. साथ ही जनगणना कार्य के लिए विद्यालय से विरमित भी किया गया है. आरटीइ का हो रहा है उल्लंघनशिक्षा अधिकार कानून 2009 के तहत चुनाव कार्य व दस वर्ष पर होने वाले जनगणना कार्य में ही शिक्षकों को सिर्फ लगाया जा सकता है. इसके अलावे सभी गैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को मुक्त रखा गया है. पांच वर्ष के भीतर ही फिर से शिक्षकों को जनगणना कार्य में लगाये जाना आरटीइ के प्रावधानों का उल्लंघन है. पिछले वर्ष ही शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने भी आदेश जारी कर कहा था कि गैर शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति नहीं की जा सकती है. कहते हैं डीएसओजिला सांख्यिकी पदाधिकारी सलीम अंसारी ने इस संदर्भ में बताया कि एनपीआर के आधार पर लोगों का आधार नंबर जोड़ने तथा छूटे हुए लोगों का नाम जोड़ने का काम चल रहा है. निदेशालय से डाटा का जो शॉफ्ट कॉपी भेजा गया है, उसमें कटिहार जिला का डाटा साफ-साफ नहीं मालूम पड़ता है. इसलिए एनपीआर को फिर से भराने का काम चल रहा है. कहते हैं डीइओजिला शिक्षा पदाधिकारी श्रीराम सिंह ने इस बारे में कहा कि प्रशासनिक स्तर पर शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति प्रगणक के रूप में की गयी है. इसकी पूरी जानकारी उन्हें नहीं है. विभाग के स्तर पर इस संदर्भ में वह बातचीत करेंगे.

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