कटिहार : पार्सल ऑफिस में तैनात मजदूरों का रेलवे के पास तीन वर्ष का करोड़ों की राशि का बकाया का भुगतान नहीं होने पर पार्सल मजदूर हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को मजबूर हुए हैं. रेलवे के द्वारा तीन वर्ष से पार्सल मजदूर को भुगतान नहीं मिलने को कारण उन मजदूरों के पास काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
आरटीआइ से मिली सूचना के अनुसार 15 नवंबर 2012 से रेलवे प्रशासन पार्सल ढुलाई मजदूर से सरदार के माध्यम से रेल प्रशासन रेलवे का बुक माल ढुलवा रही है. पार्सल गोदाम में जो भी माल बुक होते है. उसे बुक टेन तक ले जाने की जिम्मेवारी पार्सल मजदूर की होती है. प्लेटफाॅर्म पर 24 घंटे इनकी ड्यूटी तैनात रहती है.
दिन व रात में भी चलने वाली सभी ट्रेनों से माल उतारना व चढ़ाना इन मजदूरों की जिम्मेवारी रहती है. पार्सल ऑफिस से ट्रेनों तक माल को ले जाना और ट्रेन में जो भी माल आता है. उसे पार्सल गोदाम तक लाना इन मजदूरों का कार्य है. मजदूरों का चयन मजदूर का सरदार खुद करता है. 15 नवंबर 2012 से लेकर 14 नंवबर 2015 तक माल ढुलाई के तीन वर्ष हो गये.
लेकिन इन मजदूरों को उनकी मजदूरी अबतक नहीं मिली है. इस संदर्भ में रेल मजदूर व उसके सरदार ने सीएमआइ, डीसीएम, डीआरएम, जीएम तक को कई बार लिखित शिकायत की है. लेकिन नतीजा अब भी सिफर है. मजदूरी नहीं मिलने के कारण मजदूरों की स्थिति दिनों दिन खराब होते जा रही है.-मजदूरी नहीं मिलने से मजदूरों की स्थिति बदतरपार्सल गोदाम में तकरीबन 70 मजदूर काम करते है, जिनका लगभग तीन वर्ष का बकाया रेलवे पर है.
तीन वर्षो से उन मजदूरों को बकाया राशि का भुगतान नहीं हो पाया है. केंद्रीय श्रम अधिनियमों और रेलवे बोर्ड के सर्कुलर के अनुसार अगर 180 दिनों से अधिक समय से कार्यरत मजदूरों का चतुर्थ श्रेणी रेल कर्मचारी के रूप में अपना दावा पेश कर सकते हैं. -हाइकोर्ट में परिवाद दायरतीन वर्षों से वेतन का भुगतान नहीं किये जाने पर. मजदूरों ने हाइकोर्ट में अपने बकाया राशि के भुगतान के लिए रिट दायर किया है. जिसे लेकर संभवत: मजदूरों को यह भरोसा है कि मामले में उसे न्याय मिलेगी और सभी मजदूरों को बकाया राशि का भुगतान हो पाये.